सतत विकास पर संयुक्त राष्ट्र संघ का सम्मेलन
संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) के सतत् विकास सम्मेलन जिसे रियो, 2012 के नाम से भी जाना जाता है, सतत् विकास पर तीसरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है जो विश्व समुदाय के पर्यावरणीय तथा आर्थक उद्देश्यों से संबंधित है। ब्राजील में 13 से 22 जून, 2012 तक रियो डि जेनेरियो में हुआ यह सम्मेलन 1992 के पृथ्वी सम्मेलन से अब तक 20 वर्षों में हुई प्रगति से संबंधित है। तथा 2002 के सतत् विकास के जोहान्सबर्ग विश्व सम्मेलन का द्योतक है।
यह इस दस दिवसीय महासम्मेलन जिसमें तीन दिन का उच्च स्तरीय संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन सम्मिलित है जिसमे संयुक्त राष्ट्र संघ के 192 सदस्यों ने हिस्सा लिया जिनमें 57 देशों के प्रमुखों तथा 31 देशों के सरकारों के प्रमुखों ने, निजी कंपनियों, गैर सरकारी संस्थानों तथा अन्य समूहों ने हिस्सा लिया।
इस सम्मेलन को करने का निर्णय संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव संख्या A/RES/64/236 द्वारा 24 दिसंबर, 2009 को लिया गया। एक बड़े स्तर का सम्मेलन करने का निर्णय लिया है जिसमें राष्ट्राध्यक्षों तथा सरकार के अध्यक्षों तथा अन्य प्रस्तुतकर्ता शामिल हुए तथा जिससे वैश्विक पर्यावरणीय नीति संबंधित एक केन्द्रित राजनैतिक प्रस्ताव तैयार हो सके।
उद्देश्य:- इस सम्मेलन के तीन मुख्य उद्देश्य हैं:-
- सतत् विकास हेतु एक नई राजनैतिक प्रतिबद्धता स्थापित करना।
- पिछली निर्धारित प्रतिबद्धताओं की प्रगति का आंकलन तथा योजनाओं को कार्यबद्ध करने में आने वाली समस्याओं का आंकलन।
- नयी समस्याओं को संबोधित करना।
परिणाम:- इस सम्मेलन का प्राथमिक परिणाम गैर-बाध्य प्रपत्र, “भविष्य जो हम चाहते हैं” जो एक 49 पृष्ठों का कार्यकारी दस्तावेज था। इसमें 192 सरकारों के राष्ट्राध्यक्षों ने उपस्थित होकर, सतत् विकास से संबंधित अपनी राजनैतिक प्रतिबद्धताओं को नवीकृत किया तथा उन्होंने सतत् भविष्य के लिए की गई प्रतिबद्धताओं का उल्लेख किया। इस दस्तावेज में मुख्यत: सभी राष्ट्रों ने अपने पिछली कार्यकारी योजनाओं जैसे एजेंडा 21 को अपना विश्वास दिखाया। कुछ मुख्य परिणाम इस प्रकार हैं:-
- इस लेख में सतत् विकास लक्ष्यों के विकास का समर्थन करने वाली भाषा का प्रयोग किया गया है जिसमें वैश्विक स्तर पर सतत् विकास को बढ़ावा देने वाले लक्ष्यों का उल्लेख किया गया है। यह सोचा गया है कि सतत् विकास के लक्ष्य वहां से शुरू करेंगे जहां शताब्दी विकास लक्ष्य समाप्त होंगे तथा इइस आलोचना को कि जहां मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के विकास में हार जाएंगे को संबोधित करेंगे।
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम को सुदृढ़ करने का प्रयास ताकि इसे अग्रिम वैश्विक पर्यावरणीय ईकाई बनाया जा सके, इसकी 48 प्रमुख सलाहों को मानकर इसकी कारिणी को वैश्विक सदस्यता से सुदृढ़ करना, इसके आर्थिक स्त्रोतों को बढ़ाकर तथा संयुक्त राष्ट्र के मुख्य अंगों से इसका सामंजस्य बढ़ाकर।
- राष्ट्रों ने सकल घरेलू उत्पाद के स्थान पर संपदा के एक ऐसे मानक को चुनने पर सहमति जताई जिसमें पर्यावरणीय तथा सामाजिक कारकों को सम्मिलित किया जाए तथा पर्यारण द्वारा दी गई सेवाओं का भुगतान किया जाए जैसे कार्बन श्रंखलाकरण तथा निकाय संरक्षण।
- इस बात को मान्यता दी गई कि किन मुख्य परिवर्तनों जिनसे समाज ग्रहण तथा उत्पादन करता है ताकि एक वैश्विक सतत् विकास को प्राप्त किया जा सके। यूरोपियन संघ के अधिकारी यह सलाह देते हैं कि एक ऐसी व्यवस्था हो जिसमें मजदूरों को कम तथा प्रदूषकों को ज्यादा कर देना पड़े।
- यह दस्तावेज सामुद्रिक भंडारों को सतत् स्तर तक पहुंचाने तथा देशों को विज्ञान संबंधी प्रबंधन तकनीकें अपनाने पर बल देते हैं।
- सभी राष्ट्रों में जीवाश्म ईंधनों पर मिलने वाली सरकारी छूट (सब्सिडी) को समाप्त करने पर बल दिया।
एजेंडा 21 सतत् विकास से संबंधित एक स्वायत्त, गैर बाध्य संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्यकारी योजना है। यह पर्यावरण तथा विकास पर संयुक्त राष्ट्र संघ के सम्मेलन का एक उत्पाद है जो 1992 में ब्राजील के रियो डि जेनेरियो शहर में हुआ। यह संयुक्त राष्ट्र संघ के अन्य बहुमुखी संस्थाओं तथा वैयक्तिक सरकारों की एक कार्यकारी योजना है जिसे क्षेत्रीय, राष्ट्रीय तथा वैश्विक स्तर पर लागू किया जा सकता है। ऐजेंडा 21 में ‘21’ से अभिप्राय 21सवीं शताब्दी से है। यह आगे हुई संयुक्त राष्ट्र संध के अन्य सम्मेलनों में हुए कुछ बदलाव तथा पुन: अधिकृत किया गया।