हुमायूँ का मकबरा (1993), दिल्ली: तथ्यों पर एक नजर

हुमायूं की मृत्यु 1556 में हुई थी, और उसकी विधवा हमीदा बानो बेगम जिसे हाजी बेगम के रूप में भी जाना जाता है, उसने हूमांयू की मृ्त्यु के चौदह वर्षों के बाद 1569 में इस मकबरे (दिल्ली) का निर्माण कार्य शुरू किया था। मकबरे का निर्माण 15 लाख रुपये (1.5 मिलियन) की लागत से किया गया था। इस मकबरे का वास्तुकार मिरक मिर्जा घियाथ (Mirak Mirza Ghiyath) नामक एक फारसी था।

हुमायूं की मृत्यु 1556 में हुई थी, और उसकी विधवा हमीदा बानो बेगम जिसे हाजी बेगम के रूप में भी जाना जाता है, उसने हूमांयू की मृ्त्यु के चौदह वर्षों के बाद 1569 में इस मकबरे का निर्माण कार्य शुरू किया था। यह सही मायनों में मुगल शैली का पहला शानदार उदाहरण है जो फारसी स्थापत्य कला से प्रेरित था। मकबरे का निर्माण 15 लाख रुपये (1.5 मिलियन) की लागत से किया गया था। इस मकबरे का वास्तुकार मिरक मिर्जा घियाथ (Mirak Mirza Ghiyath) नामक एक फारसी था जिसे हाजी बेगम द्वारा नियुक्त किया गया था।

हुमायूं का मकबरा (दिल्ली) की तस्वीर:

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हुमायूं की तस्वीर:
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हुमायूं के मकबरे के बारे में एक नजर तथ्यों पर:

1.यह सही मायनों में मुगल शैली का पहला शानदार उदाहरण है जो फारसी स्थापत्य कला से प्रेरित था।

2. यह मकबरा एक चकौर बगीचे के मध्य में स्थित है जिसके फुटपाथों के पास चार मुख्य पुष्पवाटिकाएं (चारबाग) हैं और इनके मध्य में पानी के फव्वारें स्थित हैं।

3.मकबरे का निर्माण मूलरूप से पत्थरों को गारे-चूने से जोड़कर किया गया है और यह लाल बलुआ पत्थर से ढंका हुआ है। मकबरा 7 मीटर ऊंचे मूल चबूतरे पर खड़ा है। इसके ऊपर पच्चीकारी, फर्श की सतह, झरोखों की जालियों, द्वार-चौखटों और छज्जें हैं।

4.मुगल सम्राट बहादुर शाह ज़फ़र ने 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहां शरण ली थी।

5.इसका निर्माण पूरी तरह से लाल बलुआ पत्थरों से किया गया है।

6.यह भारत का ऐसा पहला मकबरा था जिसका निर्माण गार्डन शैली में किया गया था।

भारतीय स्थापत्य कला और मूर्तिकला

7.इस मकबरे ने इसके बाद निर्मित हुए कई मकबरों के लिए उदाहरण स्थापित किए जिनमें सिकंदरा (उत्तर प्रदेश) में अकबर का मकबरा, तुगलकाबाद में गयास -उद-दीन तुगलक का मकबरा, लोदी गार्डन और ताज महल में सिकंदर लोदी का मकबरा।

8.हुमायूं के अलावा यह मकबरा उसकी पत्नी पत्नी हमीदा बहू बेगम, शाहजहां के बेटे दारा शिकोह और शाही परिवार के अन्य प्रमुख मुगलों का अंतिम विश्राम स्थल है।

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9. इसे 1993 में यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल का दर्जा दिया गया था।

प्रवेश शुल्क:

भारत के नागरिकों और सार्क के पर्यटकों (बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, पाकिस्तान, मालदीव और अफगानिस्तान) तथा बिम्सटेक देशों (बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, थाईलैंड और म्यांमार) के पर्यटकों से 10 रुपये प्रति आगुंतक।

अन्य देशों के लिए: 5 अमेरिका डॉलर या Rs. 250/- प्रति व्यक्ति
शुल्क लिया जाता है। 15 वर्ष तक के बच्चों के लिए प्रवेश निशुल्क है |

दिल्ली में इसी प्रकार के अन्य स्मारक हैं:-
I.     इंडिया गेट
II.    कैनोपी
III.   कोरोनेशन दरबार पार्क
IV.    लोदी गार्डन
V.     कुतुब मीनार
VI.    लाल किला
VII.   सफदरजंग का मकबरा
VIII.  इसा खान का मकबरा
IX.    जामा मस्जिद
X.     अलाई दरवाजा

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