कौन-सा है एशिया का सबसे पढ़ा-लिखा गांव, जानें

दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में शिक्षा का अधिक महत्व है। इसलिए यह कहा भी जाता है कि बेहतर शिक्षित लोग सामाज का बेहतर तरीके से विकास कर सकते हैं। आपने भारत के सबसे अधिक शिक्षित राज्य केरल के बारे में सुना ही होगा, हालांकि क्या आपको एशिया का सबसे शिक्षित गांव के बारे में पता है। कहां हैं यह गांव और कितने पढ़े-लिखें हैं यहां के लोग, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
एशिया का सबसे पढ़ा-लिखा गांव
एशिया का सबसे पढ़ा-लिखा गांव

शिक्षा का प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में अधिक महत्व है। सामाज को बेहतर रूप में ढालने के लिए लोगों का बेहतर तरीके से शिक्षित होना भी जरूरी है। यही वजह है कि हर देश में शिक्षा पर अधिक ध्यान दिया जाता है। वहीं, भारत में 2021-22 के बजट के अनुसार, शिक्षा पर जीडीपी का 3 पर्सेंट खर्च किया गया है। भारत के प्रत्येक गांव तक शिक्षा की उजियारा फैलाया जा रहा है, जिससे हर घर में हाथों में कलम पकड़ने वाला शख्स हो सके। भारत में जब भी सबसे शिक्षित राज्य के बारे में बात होती है, तो सबके दिमाग में केरल राज्य का नाम आता है। हालांकि, क्या आपको एशिया के सबसे पढ़े-लिखे गांव के बारे में पता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम आपको एशिया के सबसे पढ़े-लिखे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं। कहां है यह गांव और कितनी है यहां की साक्षरता, जानने के लिए यह लेख पढ़ें। 

 

भारत में है एशिया का सबसे पढ़ा-लिखा गांव

आपको यह जानकर गर्व होगा कि एशिया का सबसे पढ़ा-लिखा गांव कहीं और नहीं बल्कि अपने भारत देश में ही है। यह उत्तरप्रदेश राज्य के अलीगढ़ जिले में स्थित है, जो कि धोर्रा माफी गांव के रूप में जाना जाता है। 

 

लिम्का बुक में हो चुका है दर्ज

ऑनलाइन पोर्टल हर जिंदगी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह गांव साल 2002 में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करा चुका है। उस समय इस गांव की साक्षरता दर 75 फीसदी दर्ज की गई थी। 

 

हर घर में पढ़ा-लिखा है व्यक्ति

इस गांव के हर घर में आपको पढ़ा-लिखा व्यक्ति मिल जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस गांव में अब साक्षरता दर 90 फीसदी तक पहुंच गई है। इसको देखते हुए इसे गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के लिए सर्वे में शामिल किया गया था। 

 

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गांव के नजदीक है अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय

इस गांव के नजदीक ही अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय है। ऐसे में इस गांव के आसपास भी पढ़ाई-लिखाई का माहौल रहता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस गांव के कई लोग इस विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। वहीं, कुछ लोग अन्य विश्वविद्यालय में प्रोफेसर व कुलपति भी रहे हैं। इसके अलावा यहां पर सरकारी पदों पर तैनात अधिकारी भी मिल जाएंगे। 

 

गांव में मौजूद है पानी-बिजली की सुविधाएं

इस गांव में पानी और बिजली की बेहतर सुविधा उपलब्ध है। वहीं, यहां के लोग खेती के बजाय नौकरी पर निर्भर हैं। ऐसे में लोगों को यहां से पलायन करने की अधिक आवश्यता नहीं पड़ती है। गांव के अधिकांश लोग अच्छे पदों पर काम कर रहे हैं, जबकि कुछ लोगों का अपना काम भी है। 

 

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