73वीं वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में कोविड 19 की जाँच के लिए ऑस्ट्रेलिया का प्रस्ताव

दिसम्बर 2019 से शुरू हुई कोविड 19 महामारी आज विश्व में लगभग 3.20 लाख लोगों की जान ले चुकी है और 4.78 मिलियन लोगों को संक्रमित कर चुका है. ऐसे माहौल में विश्व की सर्वोच्च संस्था होने के नाते विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख नीति निर्धारक इकाई, वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में 18 मई से शुरू हुए सत्र में इस बात की चर्चा की जाएगी कि यह वायरस पूरी दुनिया में कैसे फैला और इसे रोकने के लिए किस प्रकार के वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है?
कोरोना वायरस किस तरह से मनुष्य में आया, कहां से शुरू हुआ, इसकी जाँच की मांग को लेकर 73वीं वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में एक ड्राफ्ट प्रस्ताव पेश किया गया है. इस मीटिंग के द्वारा कोविड 19 से लड़ने के लिए विश्व व्यापी सहभागिता को जुटाने के प्रयास किया जायेगा.
वर्ल्ड हेल्थ असेंबली के बारे में (About World Health Assembly)
वर्ल्ड हेल्थ असेंबली, विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख नीति निर्धारक इकाई है इसके 194 सदस्य देश हैं. इस साल इसकी 73वीं बैठक 18 मई से चल रही है जो 19 मई को खत्म होगी. विश्व स्वास्थ्य सभा की इस बैठक में WHO के सभी 194 सदस्य देश और पर्यवेक्षक शामिल हैं. विश्व स्वास्थ्य सभा हर साल मई में जेनेवा में आयोजित होती है.
हर साल वर्ल्ड हेल्थ असेंबली (WHA) में ये देश मिलकर संयुक्त राष्ट्र की इस हेल्थ एजेंसी के काम की समीक्षा करते हैं और आने वाले साल के लिए उसकी प्राथमिकताएं तय करते हैं. इस साल इसका मुख्य फोकस कोरोना वायरस के फैलाव और इसके ओरिजिन के ऊपर बेस्ड है. इस बार इस महामारी पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की समीक्षा की जाएगी. इसमें यह भी दिस्कुस्स किया जायेगा कि डब्ल्यूएचओ और उसके सदस्य देशों ने वायरस के प्रसार को किस तरह हैंडल किया?
हालांकि WHO एक एडवाइज़री बॉडी है और उसके पास ये शक्ति नहीं है कि वो देशों पर कोई जानकारी साझा करने के लिए दबाव बना सके. सभा में डब्ल्यूएचओ को और शक्ति देने की बात भी हो सकती है, ताकि वो कोई भी आउटब्रेक शुरू होते ही देशों में जाकर स्वतंत्र जांच कर सकें जिससे बीमारी महामारी ना बने.
इस बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए 18-19 मई यानी दो दिन इस सभा का आयोजन होने जा रहा है. जिसमें हर देश का स्वास्थ्य मंत्री भाग ले रहा है. भारत की ओर से श्री हर्षवर्धन जी इसमें भाग लेंगे.
इस वार्षिक बैठक में ऑस्ट्रलिया ने एक प्रस्ताव रखा है जिसमें इस बात का जिक्र है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन एक स्वतंत्र जांच में यह पता लगाये कि कोविड 19 की उत्पत्ति किस प्रकार हुई है. हालाँकि इस प्रस्ताव में कहीं भी किसी देश या जगह का ज़िक्र नहीं है, लेकिन डब्ल्यूएचओ से अपील की गई है कि ‘वो ज़ूनॉटिक ('एनिमल सोर्स') कोरोना वायरस के स्रोत की निष्पक्ष जाँच करे और पता लगाए कि मनुष्यों तक ये वायरस कैसे पहुंचा.’
अर्थात जांच से यह पता लगाया जाना चाहिए कि ये वायरस इंसानों में सीधे जानवरों से आया या बीच में कोई और लिंक भी था? इसका मतलब वायरस को प्रयोगशाला में बनाये जाने से है.
हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि मौजूदा सबूत इस ओर इशारा करते हैं कि कोरोना वायरस जानवरों से आया है और इसे लैब में नहीं बनाया गया है.
ऑस्ट्रेलिया का प्रस्ताव क्या है?(The Australian Proposal at WHA)
लभगग 116 देशों का यह प्रस्ताव इस बात के लिए है कि WHO इस बात की निष्पक्ष जांच कराये कि क्या कोरोना वायरस प्रयोगशाला में बनाया गया है, यह सबसे पहले कहाँ से शुरू हुआ और जानवरों से इंसानों में कैसे पहुंचा?
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प सीधे तौर पर चीन की प्रयोगशाला में इसके बनाये जाने की बात कह चुके हैं लेकिन इस प्रस्ताव में किसी देश का नाम नहीं है.
फाइव आईज ग्रुप (जिसमें अमेरिका,ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैण्ड, यूनाइटेड किंगडम और कनाडा शामिल हैं) ने चीन सरकार से मांग की है कि इन सभी देशों की टीमों को चीन के वुहान शहर में प्रयोगशाला की जांच करने की अनुमति दी जाये.
चीन सरकार ने इस मांग को ठुकरा दिया है, इस कारण ऑस्ट्रेलिया सहित सभी देश विश्व स्वास्थ्य संगठन की वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में ये प्रस्ताव लेकर चले गए हैं.
इस प्रस्ताव को भारत ने भी समर्थन दिया है लेकिन पाकिस्तान,नेपाल, कम्बोडिया ने इसका समर्थन नहीं किया है. निम्न देशों ने इस प्रस्ताव को-स्पोंसर को किया हैं.
चूंकि इस प्रस्ताव को 116 देशों का समर्थन प्राप्त है इसलिए इसे वर्ल्ड हेल्थ असेंबली द्वारा स्वीकार कर लिया गया है.
वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि चीन ने इस पूरे मामले में पार्दर्शिता और ज़िम्मेदारी के साथ काम किया है. उन्होंने कहा, "हमने विश्व स्वास्थ्य संगठन और संबंधित देशों को समय पर सारी जानकारी दी थी."
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना पर पूरी तरह क़ाबू पा लेने के बाद चीन किसी भी जाँच का समर्थन करता है. लेकिन अभी सभी देशों को इस बीमारी को ख़त्म करने लिए लड़ना चाहिए.
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