1971 Bhuj War: विजय कार्णिक कौन हैं और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भुज में क्या हुआ था?

बॉलीवुड फिल्म भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया का ट्रेलर हाल ही में रिलीज़ किया गया है जिसने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय जवानों और माधापुर की महिलाओं द्वारा प्रदर्शित वीरता की याद दिला दी है.
फिल्म में अजय देवगन विजय कार्णिक की मुख्य भूमिका में हैं और उनकी टीम ने पाकिस्तानी सेना से लड़ाई लड़ी. स्थानीय गांव की 300 महिलाओं की मदद से भारतीय वायुसेना के एयरबेस को चंद घंटों में दोबारा से निर्माण कर दिया गया था. भारत ने यह युद्ध जीता और उनका योगदान सबसे योग्य रहा.
1971 Bhuj War : हाल ही में क्या हुआ है?
ट्रेलर के रिलीज़ होने के बाद इस युद्ध को लेकर काफी बातें या चर्चा शुरू हो गई हैं.
यह युद्ध दो मोर्चों पर लड़ा गया था:
1. पूर्वी पाकिस्तान जो बांग्लादेश बन गया
2. पश्चिमी पाकिस्तान (वर्तमान पाकिस्तान)
1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत का प्रतीक विजय ज्वाला 11 जुलाई 2021 को भारतीय नौसेना स्टेशन, कट्टाबोम्मन में प्राप्त की गई थी. एक औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर (Guard of honour) का भी आयोजन किया गया था.
आइये अब जानते हैं कि 1971 में भुज में क्या हुआ था?
भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971:
1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध या अधिक लोकप्रिय रूप से बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के रूप में जाना जाता है, जो भारत के मित्रो वाहिनी बलों (Mitro bahini forces) और पाकिस्तान के बीच लड़ा गया था. यह पूर्वी पाकिस्तान में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के बीच हुआ, जो 3 दिसंबर 1971 को शुरू हुआ और 16 दिसंबर, 1971 को ढाका के पतन तक चला. युद्ध की शुरुआत 11 भारतीय हवाई स्टेशनों पर ऑपरेशन चंगेज़ खान के हवाई हमलों से की गई थी.
8 दिसंबर 1971 को भारत पर पाकिस्तानी घुड़सवार सेना ने रात में हमला किया था. भुज में भारतीय वायुसेना की एक पट्टी पर 14 से अधिक नेपाम बम गिराए गए. इससे भारतीय वायुसेना के विमानों के उड़ान भरने में बाधा उत्पन्न हुई.
IAF, BSF की मदद लेना चाहता था लेकिन इस काम को अंजाम देने के लिए पर्याप्त जवान नहीं थे. हालांकि, भुज के पास के गांव माधापुर के लोगों ने भारतीय वायुसेना की मदद की और मुख्य रूप से गांव की महिलाओं ने लगभग 72 घंटों में सफलतापूर्वक काम पूरा कर लिया. यानि उनकी मदद से भारतीय वायुसेना ने एयर स्ट्रिप बनाने का काम सिर्फ 72 घंटे में ही पूरा कर लिया गया था.
ऐसे प्रतिभागियों में से एक, वालबाई सेघानी (Valbai Seghani) ने एक दैनिक समाचार को बताया, "हम 300 महिलाएं थीं जिन्होंने वायु सेना की मदद के लिए अपने घरों को छोड़ दिया, यह सुनिश्चित करने के लिए कि पायलट यहां से फिर से उड़ान भरेंगे. अगर हम मर जाते, तो यह एक सम्मानजनक मौत होती."
सेघानी ने यह भी कहा, “हम तुरंत दौड़कर झाड़ियों में छिप जाते. हमें खुद को छिपाने के लिए हल्के हरे रंग की साड़ी पहनने को कहा गया था. एक छोटा सायरन एक संकेत था कि हम काम फिर से शुरू कर सकते हैं. हमने दिन के उजाले का अधिकतम उपयोग करने के लिए सुबह से शाम तक कड़ी मेहनत की."
विजय कार्णिक कौन हैं?
विजय कार्णिक, जो अब सेवानिवृत्त भारतीय वायु सेना अधिकारी हैं, ने 1971 में भारतीय वायुसेना में एक विंग कमांडर के रूप में कार्य किया था. क्षतिग्रस्त हवाई पट्टी के निर्माण के लिए माधापुर की महिलाओं को जुटाने के विचार के पीछे यह व्यक्ति थे.
उनका जन्म 6 नवंबर 1939 को नागपुर में हुआ था. उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और भारतीय वायुसेना में शामिल हो गए. वह सेना की पृष्ठभूमि से हैं और उनके भाई भी भारतीय सेना में सेवारत हैं.
1971 में भारत और पाकिस्तान के युद्ध के समय उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वह 1962 में एयरफोर्स में शामिल हुए थे.
कार्णिक का सबसे प्रसिद्ध क्षण वह है जब उन्होंने PAF द्वारा नष्ट की गई हवाई पट्टी के पुनर्निर्माण के लिए भुज गांव की 300 महिलाओं को जुटाया. यह काम 72 घंटे के अंदर किया गया था.
युद्ध के बारे में बात करते हुए, विजय कार्णिक ने कहा, “हम एक युद्ध लड़ रहे थे और अगर इनमें से कोई भी महिला हताहत हुई होती, तो यह युद्ध के प्रयास के लिए एक बड़ी क्षति होती. लेकिन मैंने फैसला लिया और यह काम कर गया. मैंने उन्हें बताया था कि अगर हमला हुआ तो वे कहां शरण ले सकते हैं और उन्होंने बहादुरी से इसका पालन किया."
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