CAMELS:अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैंकों की गुणवत्ता मापने का तरीका
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैंकों की गुणवत्ता मापने का यह तरीका सबसे पहले अमेरिका में 1979 में फेडरल बैंक ने शुरू किया थाl भारत में इस रेटिंग मानक की शुरुआत 1995 में भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग सुपरविजन की समीक्षा करने के लिए गठित S. पद्मनाभम की अध्यक्षता में गठित एक समिति की सिफारिश के आधार पर शुरू की गयी थी l किसी भी बैंक को ‘CAMELS’ की 6 श्रेणियों के आधार पर रैंकिंग दी जाती हैl
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैंकों की गुणवत्ता मापने का यह तरीका सबसे पहले अमेरिका में 1979 में फेडरल बैंक ने शुरू किया था l भारत में इस रेटिंग मानक की शुरुआत1995 में रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग सुपरविजन की समीक्षा करने के लिए गठित S. पद्मनाभम की अध्यक्षता में गठित एक समिति की सिफारिश के आधार पर शुरू की गयी थीl इस समिति ने यह सुझाव दिया कि बैंकों के सुपरविजन को सुद्रढ़ता, वित्तीय, प्रबंधकीय तथा क्रियात्मक कुशलता के लिए परिभाषित मानकों पर ध्यान देना चाहिए l “CAMELS” रेटिंग में 6 मानक हैं जो कि इस प्रकार हैं :
1. C: Capital Adequacy Ratio (पूँजी पर्याप्तता अनुपात):- पूँजी पर्याप्तता इस बात को मापती है कि बैंक किस प्रकार अपनी हानियों को ठीक करता है और बैंक को बंद किये बिना ग्राहकों के प्रति अपने सभी दायित्वों का निर्वहन करता हैl इसे 25% भार (weightage) दिया गया हैl
2. A:Asset Quality (संपत्ति की गुणवत्ता) :- परिसंपत्तियों में एक बैंक की सभी संपत्तियों को गिना जाता है जैसे वर्तमान लोन, निवेश, जमीन और बैलेंस शीट के अलावा अन्य तरह के लेनदेन आदि l इसे 20% भार (weightage) दिया गया हैl
3. M: Management Effectiveness (प्रबंधन प्रभावशीलता)¬:- इसमें बैंक के निदेशक मंडल और शीर्ष-स्तरीय प्रबंधकों को शामिल किया जाता है जो कि एक बैंक की सभी नीतियों, जैसे निवेश, व्यापार विस्तार और कर्मचारियों से सम्बंधित सभी निर्णय लेते हैंl इसे 25% भार (weightage) दिया गया हैl
4. E: Earning (कमाई):- इसमें जिन गतिविधियों के द्वारा बैंक लाभ कमाता है, को शामिल किया जाता है l यदि कोई बैंक कम रुपये निवेश कर ज्यादा लाभ कमाता है तो उसको लाभ कमाने वाला बैंक माना जाता हैl इसे 10% भार (weightage) दिया गया हैl
5. L:Liquidity (तरलता):- परिसंपत्तियों को नकद में बदलने की बैंक की क्षमता को ‘तरलता’ कहा जाता हैl इसे 10% भार (weightage) दिया गया हैl
6. S: Sensitivity (बाजार जोखिम के प्रति संवेदनशीलता, विशेष रूप से ब्याज दर जोखिम):- इसमें बैंक की इस योग्यता को मापा जाता है कि बैंक बदलती बाजार की स्थितियों की दशा में किस प्रकार की नीति अपनाता है, साथ ही कितनी सटीकता से इस बात का अनुमान लगता है कि ब्याज दर में परिवर्तन, विदेशी विनिमय दरों में परिवर्तन बैंक के लाभ या हानि को कैसे प्रभावित करता हैl इसे 10% भार (weightage) दिया गया हैl
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किसी भी बैंक को इन उपर्युक्त 6 मानकों के आधार पर जांचा जाता है और हर मानक को 1 से लेकर 5 तक के पॉइंट दिए जाते हैं l सबसे अच्छे प्रदर्शन को1 अंक और सबसे ख़राब को 5 अंक दिया जाता है l यदि किसी बैंक को 3 रेटिंग मिलती है तो यह माना जाता है कि बैंक की स्थिति संतोषजनक स्तर से कम है और इसको अपनी गुणवत्ता में सुधार लाने की जरुरत है l
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इस रेटिंग के आधार पर बैंक का सुपरविजन अधिकारी इस बात का निर्णय लेता है कि किन बैंकों का प्रदर्शन ठीक नही है और इसको ठीक करने की रणनीति बताता हैl यहाँ पर यह बात उल्लेखनीय है कि कहीं कहीं केवल 5 मानकों के आधार पर रेटिंग तय की जाती है l
भारत में विदेशी बैंकों के प्रदर्शन की गुणवत्ता, कार्यप्रणाली को जानने के लिए CACS मानक का प्रयोग किया जाता है l इसका विस्तार इस प्रकार है :
C: Capital Adequacy (पूँजी पर्याप्तता)
A: Assets Quality (संपत्तियों की गुणवत्ता)
C: Compliance (RBI के नियमों का अनुपालन)
S: Sensitivity (जोखिम के प्रति संवेदनशीलता)
इस प्रणाली में ‘प्रबंधन और कमाई’ को शामिल नही किया गया है l
इस प्रकार, "CAMELS" रेटिंग के माध्यम से, बैंक की समग्र वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है और सुधारात्मक कार्य, यदि कोई हो, तदनुसार किया जाता है।
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