क्या भारत चीन के उत्पादों का बहिष्कार कर सकने की स्थिति में है?

Bycott Chinese Products: वर्तमान में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के कारण युद्ध जैसे हालात बन रहे हैं और लाइन ऑफ़ एक्चुअल कण्ट्रोल (LAC) पर लड़ाई के कारण दोनों देशों के कुछ सैनिक मारे भी गये हैं . ऐसे हालात में भारत में यह बात जोर पकड़ती है कि भारत के लोगों को चीनी वस्तुओं को नहीं खरीदना चाहिए.लेकिन क्या भारत के लिए ऐसा करना संभव है? आइये इस लेख में जानने की कोशिश करते हैं.
India-China Trade relations
India-China Trade relations

चाणक्य नीति के अनुसार दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है| भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनावपूर्ण सम्बंधों के बीच चीन का पदार्पण इसी कहावत को सिद्ध करता है | जब भारत ने सिन्धु जल समझौते को तोड़ने की बात कही तो चीन ने भी कह दिया कि वह ब्रह्मपुत्र नदी की एक सहायक नदी को बंद कर देगा। चीन के इस कदम से भारत के असम, सिक्कम और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में पानी की आपूर्ति में कमी आ सकती है जिससे इन राज्यों में पानी की कमी होने से आम जन-जीवन, कृषि और उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं |

भारत और चीन के बीच बाजार की स्तिथि इस प्रकार है:(India China Trade relations 2018-19)

फरवरी में जारी आधिकारिक भारतीय आंकड़ों के अनुसार, चीन के साथ भारत का व्यापार 2017-18 में 89.71 बिलियन डॉलर से घटकर 2018-19 में US$87.07 बिलियन हो गया था. चीन से भारत का आयात 2018-19 में US$70.32 बिलियन डॉलर था जबकि भारत का चीन को निर्यात 2018-19 में US$ 16.75 था. इस प्रकार 2018-19 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा US$53.57 था. 

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कौन-कौन से उत्पाद भारत चीन से आयात करता है (Chinese products imported in India): खिलौने,बिजली उत्पाद, कार और मोटरसाइकिल के कलपुर्जे, दूध उत्पाद,उर्वरक,कम्प्यूटर,एंटीबायोटिक्स दवाई, दूरसंचार और उर्जा क्षेत्र से

जुड़े विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादों का आयात भारत करता है |

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कौन-कौन से उत्पाद भारत, चीन को निर्यात करता है (Indian Products Exported to China)  : कृषि उत्पाद, सूती वस्त्र, हस्तशिल्प उत्पाद, कच्चा लेड, लौह अयस्क,स्टील, कॉपर,टेलीकॉम सामाग्री,तथा अन्य पूंजीगत वस्तुएं इत्यादि .भारत अपने हीरे का 36% चीन को निर्यात करता है.

चीन के उत्पाद भारत में इतने पसंद क्यों किये जाते हैं:

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चीन में बने उत्पाद, कम उत्पादन लागत के कारण सस्ते होते है इसी कम कीमत के कारण यहाँ का सामान भारत सहित पूरी दुनिया के बाजार में छाया हुआ हैं| भारत में बने उत्पादों की लागत अधिक होने के कारण भारत, चीन के बाजारों में अपनी पकड़ नही बना पा रहा है |2015-16 के वित्त वर्ष में भारत का चीन को निर्यात $2,390 मिलियन था जो कि भारत के कुल निर्यात का केवल 3.59% था|दूसरी तरफ चीन की तरफ से भारत को निर्यात $14,704 मिलियन था,जो कि भारत के कुल आयात का 15% था |

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चीन ने भारत के किस क्षेत्र को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है ? (Which industry is most affected by Chinese Import)

चीन के द्वारा सबसे ज्यादा नुकसान भारत के खिलौना उद्योग को हुआ है | चाइनीज खिलौनों की लागत इतनी कम है कि कोई भी भारतीय कम्पनी चीन की प्रतियोगिता का मुकाबला करने में असमर्थ है | पिछले साल भारतीय खिलौनों के केवल 20% बाजार पर भारतीय कंपनियों का अधिकार था बाकी के 80% बाजार पर चीन और इटली का कब्ज़ा था |एसोचैम के एक अध्ययन के अनुसार पिछले 5 साल में 40% भारतीय खिलौना बनाने वाली कम्पनियां बंद हो चुकी है और 20 % बंद होने की कगार पर हैं|

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चीन ने भारत के इलेक्ट्रॉनिक उद्योग की भी कमर तोड़ दी है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण दिवाली के मौके पर घर- घर में इस्तेमाल होने वाली “बिजली की लड़ी” है | इसके अलावा बिजली का लगभग हर सामान भारत के बाजारों में भरा पड़ा है |

(यहाँ पर China Bazaar तिरंगे के रंग में रंगा है)

Jagranjosh

Image source:zade.wordpress.com

क्या भारत चीन के उत्पादों को भारत में आने से रोक सकता है?

भारत के सामने सबसे बड़ी समस्या यह भी है कि,‘डब्ल्यूटीओ नियमों के कारण अब किसी देश से आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना संभव नहीं है चाहे उस देश के साथ हमारे राजनयिक,क्षेत्रीय या सैन्य समस्याएं क्यों न हो।’

लोकसभा में सदस्यों के पूरक प्रश्नों के उत्तर में वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत ने चीन से दूध एवं दुग्ध उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है क्योंकि उनकी गुणवत्ता अस्वीकार्य थी।

उन्होंने कहा कि वैसे कुछ मोबाइल फोन जिन पर अंतराष्ट्रीय मोबाइल स्टेशन उपकरण पहचान संख्या (IMEI No.) या अन्य सुरक्षा सुविधाएं नहीं थी, उन्हें भी प्रतिबंधित किया गया है। इसके साथ चीन से कुछ इस्पात उत्पादों के आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।

यहाँ पर यह बात भी ध्यान दिलाने योग्य है कि,भारत अपने कुल निर्यात का 8% चीन को भेजता है जबकि चीन अपने कुल निर्यात का केवल 2% भारत को भेजता है | इस प्रकार यदि भारत चीन के उत्पादों को बंद करता है तो चीन भी ऐसा ही करेगा जिससे ज्यादा नुकसान चीन का ना होकर भारत का और उसके निवासियों का होगा |चीन के इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को बंद करना भी भारत के हित में नही होगा क्योंकि भारत में इलेक्ट्रॉनिक की ज्यादातर चीजें चीन से ही आती है जो कि सस्ती होती है| यदि भारत ने इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर रोक लगा भी दी तो भी इतनी जल्दी इन चीजों का उत्पादन भारत में शुरू नही हो सकता क्योंकि इसमें अधिक समय और अधिक निवेश की जरुरत होती है |

भारत, चीन के उत्पादों को रोकने के लिए क्या कर सकता है ?

डब्ल्यूटीओ नियमों के कारण भारत चीन के सामान पर प्रत्यक्ष नियंत्रण तो नही लगा सकता लेकिन भारत सरकार चीनी सामान पर “एंटी डंपिंग ड्यूटी” जरूर लगा सकती है | यह एक प्रकार का शुल्क है जिससे चीनी वस्तुओं की कीमतें बढ़ जायेगीं और भारतीय उत्पादक उनका मुकाबला कर सकेंगे | यदि चीन के उत्पादक इस ड्यूटी की वजह से भारत में सामान नही भेजते हैं तो भारतीय उत्पादक उन्हें भारत में बनाना शुरू करेंगे जिससे हमारे देश में रोजगारों का सृजन होगा और हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी |

भारतीय बाजार में जितनी बड़ी मात्रा में चाइनीज सामान मिलता है उससे तो सिर्फ यह लगता है कि चीन के उद्योगपतियों ने भारत में मनाये जाने वाले हर त्यौहार, उत्सव, समाज, आयु वर्ग, विभिन्न प्रदेशों में इस्तेमाल होने वालों समानों की लिस्ट बनायी होगी फिर उत्पादन शुरू किया होगा तभी तो हमारे शादी समारोह से लेकर जन्मदिन, होली, दिवाली, रक्षाबंधन सभी अवसरों के लिए ‘मेड इन चाइना’ सामान सस्ते दामों पर हर दुकान और नुक्कड़ पर मिलता है|

अब हालातों को देखते हुए इतना अवश्य कहा जा सकता है कि चीन के उत्पादों को भारत में घुसने से भारत सरकार नही बल्कि भारत के लोग अवश्य ही रोक सकते हैं | हम भारतीयों को “Think Globally and Act Locally” वाली विचारधारा को अपनाना ही होगा तभी हमारे देश के हाथ मजबूत होंगे |

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