Monetary Policy Committee (MPC): संरचना और उद्देश्य

The Monetary Policy Committee (MPC) का गठन वर्ष 2016 में किया गया गया था ताकि देश की मौद्रिक नीति के लिए उचित ब्याज दरों और पालिसी रेट में परिवर्तन किये जा सकें. Monetary Policy Committee की बैठक की अध्यक्षता रिज़र्व बैंक के गवर्नर द्वारा की जाती है.
मौद्रिक नीति क्या है (Meaning of Monetary Policy)
मौद्रिक नीति; भारतीय रिज़र्व बैंक की उस नीति को बताती है जिसके माध्यम से देश की मौद्रिक नीति को इस प्रकार नियंत्रित किया जाता है कि देश में मुद्रा स्फीति को बढ़ाये बिना देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सके.
ज्ञातव्य है कि RBI; भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत मौद्रिक नीति बनाने के लिए अधिकृत है.
इसलिए मौद्रिक नीति से तात्पर्य किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा अपनाए गए ऋण नियंत्रण उपायों से है.
न्यूनतम गारंटी योजना (MIG) और न्यूनतम आय गारंटी योजना (UBI) में क्या अंतर है?
मौद्रिक नीति के उद्देश्य: (Objectives of Monetary Policy)
चक्रवर्ती समिति के अनुसार; मूल्य स्थिरता, आर्थिक विकास, आर्थिक समानता, सामाजिक न्याय, नए मौद्रिक और वित्तीय संस्थानों को बढ़ावा देना और पोषण करना भारत में मौद्रिक नीति के महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं.
RBI हमेशा मुद्रास्फीति की दर को कम करने या इसे एक स्थायी सीमा के भीतर रखने की कोशिश करती है, जबकि दूसरी ओर भारत सरकार देश की जीडीपी वृद्धि में तेजी लाने पर ध्यान केंद्रित करती है.
मौद्रिक नीति समिति क्या है? (What is Monetary Policy Committee)
केंद्र सरकार द्वारा धारा 45ZB के तहत मौद्रिक नीति समिति (MPC) गठित की जाती है. MPC; देश के विभिन्न क्षेत्रों के विकास के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत दरों जैसे रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट, बैंक रेट इत्यादि का निर्धारण करता है.
केंद्र सरकार द्वारा संशोधित RBI अधिनियम, 1934 की धारा 45ZB के अनुसार 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) का गठन किया जाता है. मौद्रिक नीति समिति की पहली बैठक 3 अक्टूबर, 2016 को आयोजित की गई थी.
रिज़र्व बैंक का मौद्रिक नीति विभाग (MPD) मौद्रिक नीति तैयार करने में MPC की सहायता करता है.
मौद्रिक नीति समिति का गठन (Composition of Monetary Policy of India)
मौद्रिक नीति समिति (MPC) में अध्यक्ष सहित कुल 6 सदस्य होते हैं. यह समिति विभिन्न नीतिगत निर्णय लेती है जो कि रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, एमएसएफ और लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी आदि से सम्बंधित होते हैं.
अक्टूबर 2019 में मौद्रिक नीति समिति में शामिल सदस्य इस प्रकार हैं;
1. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर - अध्यक्ष, पदेन; (श्री शक्तिकांत दास)
2. बैंक के कार्यकारी निदेशक, मौद्रिक नीति के प्रभारी - जनक राज
3. भारतीय रिजर्व बैंक के एक अधिकारी को केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित किया जाता है - पदेन सदस्य,; (डॉ. माइकल देवव्रत पात्रा)
4. डॉ. रवींद्र ढोलकिया, प्रोफेसर, भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद - सदस्य
5. प्रोफेसर पामी दुआ, निदेशक, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स - सदस्य
6. श्री चेतन घाटे, प्रोफेसर, भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) - सदस्य
पदेन सदस्यों को छोड़कर शेष सभी सदस्य 4 वर्ष या अगले आदेश तक (जो भी पहले हो) कार्यभार सँभालते हैं.
ज्ञातव्य है कि रिज़र्व बैंक द्विमासिक समीक्षा में पालिसी रेट में बदलाव लाता रहता है. किसी दर में बदलाव लाना है या नहीं इसका निर्णय ये 6 सदस्य ही वोटिंग के आधार पर करते हैं और फैसला बहुमत के आधार पर होता है .
मौद्रिक नीति के साधन;( Instruments of Monetary Policy)
मौद्रिक नीति के साधन दो प्रकार के होते हैं:
1. मात्रात्मक साधन (Quantitative Instruments): सामान्य या अप्रत्यक्ष (कैश रिज़र्व रेशियो, वैधानिक तरलता अनुपात, ओपन मार्केट ऑपरेशंस, बैंक दर, रेपो दर, रिवर्स रेपो दर, सीमांत स्थायी सुविधा और लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (LAF).
2. गुणात्मक साधन (Qualitative Instruments): चयनात्मक या प्रत्यक्ष (मार्जिन मनी में परिवर्तन, प्रत्यक्ष कार्रवाई, नैतिक दबाव)
यह उल्लेखनीय है कि मौद्रिक नीति के उपर्युक्त सभी उपकरण अर्थव्यवस्था की आवश्यकता के अनुसार उपयोग किए जाते हैं. ये उपकरण अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति के प्रवाह को बनाए रखते हैं ताकि अर्थव्यवस्था की वृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए मुद्रास्फीति की दर को स्थिर किया जा सके.
मुझे आशा है कि इस लेख को पढ़ने के बाद आपको यह समझना चाहिए कि मौद्रिक नीति समिति कैसे बनी है और इसके उद्देश्य क्या होते हैं? यह टॉपिक प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे यूपीएससी और राज्य लोक सेवा आयोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
भारत सरकार दुनिया में किस किस से कर्ज लेती है?
घाटे की वित्त व्यवस्था क्या होती है और इसके क्या उद्येश्य होते हैं?