COVID-19: जानें कोविरैप (COVIRAP) के बारे में और यह कैसे कोरोना संक्रमण का पता लगाएगा

COVID-19: कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद- आई. सी. एम. आर. (Indian Council of Medical Research-ICMR) ने कोविरैप की दक्षता को मान्यता दे दी है. यह कोरोना के खिलाफ जंग में काफी बड़ी उपलब्धि साबित हो सकती है.
ऐसा बताया जा रहा है कि इस जांच को संचालन के लिए काफी आसान बनाया गया है साथ ही यह जांच काफी सस्ती होगी और इसके नतीजे की जानकारी एक घंटे के अंदर कस्टम-विकसित मोबाइल फोन एप्लिकेशन में उपलब्ध करायी जा सकेगी.
आइये कोविरैप और इसके कार्य प्रक्रिया के बारे में अध्ययन करते हैं
यह उपकरण पोर्टेबल होगा और बहुत कम ऊर्जा आपूर्ति पर संचालित किया सकेगा जिसके कारण यह ग्रामीण भारत में कई लोगों के जीवन को प्रभावित करेगा. ओर तो और न्यूनतम प्रशिक्षित ग्रामीण युवा इस उपकरण को संचालित कर सकते हैं.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के अनुसार “उच्च गुणवत्ता वाली और सटीक कोविड जांच को लगभग 500 रूपए की खर्च के साथ आम लोगों के लिए बेहद सस्ता बना दिया है, जिसे सरकारी हस्तक्षेप के माध्यम से और अधिक सस्ता किया जा सकता है.” आगे उन्होंने कहा, “जैसा कि आईआईटी खड़गपुर द्वारा सूचित किया गया है, इस मशीन को न्यूनतम ढांचागत जरूरतों के साथ 10,000 रुपये से भी कम की लागत में विकसित कर इस प्रौद्योगिकी को आम लोगों के लिए सस्ता बनाया जा सकता है. इस नई मशीन में जांच की प्रक्रिया एक घंटे के भीतर पूरी हो जाती है."
COVID-19 के नियंत्रण में सीरियल इंटरवल (Serial Interval) की क्या भूमिका है?
प्रोफेसर सुमन चक्रवर्ती के अनुसार कोविरैप में तापमान नियंत्रित करने की यूनिट, जीनोमिक एनालिसिस के लिए स्पेशल डिटेक्शन यूनिट और एक अनुकूलित स्मार्टफोन एप शामिल हैं. SARS-CoV-2 का पता लगाने के लिए कोविरैप में तीन उपकरण विभिन्न जीनों को चिह्नित करते है और इसकी उपस्थिति की पुष्टि करते हैं.
जो नमूने एकत्र होते हैं जब वे दिए गए मिश्रण के साथ रियेक्ट करते हैं और जब पेपर स्ट्रिप्स को प्रतिक्रिया उत्पादों में डुबोया जाता है तो रंगीन कलर की रेखाएं वायरस की उपस्थिति का संकेत देती हैं.
साथ ही आपको बता दें कि ICMR ने इस प्रौद्योगिकी का दिशा-निर्देशों के अनुसार कठोर प्रोटोकॉल के अधीन परीक्षण किया है.
आखिर कोविरैप में विशेष क्या है , इसके क्या फायदे हैं?
जैसा की हम जानते हैं कि वर्तमान परीक्षणों में आरटी-पीसीआर अत्यधिक सटीक है परन्तु इसके लिए उन्नत प्रयोगशाला की जरूरत होती है और एंटीजन परीक्षण मिनटों में परिणाम दे सकते हैं लेकिन इसकी सटीकता कम होती है.
कोविरैप की मदद से संक्रमण के बहुत शुरुआती चरणों का पता लगाया जा सकता है, ताकि रोगी को अलग रहने के लिए कहा जा सके.
कोविरैप टेस्ट की प्रक्रिया एक घंटे में पूरी हो जाती है. इसका परिक्षण कम लागत वाले उन्नत पोर्टल उपकरण द्वारा आयोजित किया जाता है. इसे अकुशल ऑपरेटरों द्वारा प्रयोगशाला के बाहर भी आयोजित किया जा सकता है. यह उच्च लागत वाली RTPCR मशीनों का एक आप्शन है.
यहाँ तक कि इसके माध्यम से खुले क्षेत्रों में भी नमूनों का परिक्षण किया जा सकता है.
यह आईआईटी खड़गपुर के अनुसंधान दल द्वारा विकसित है और इसे अल्ट्रा-लो-कॉस्ट पोर्टेबल डिवाइस यूनिट में संचालित किया जा सकता है.
जांच के नतीजे इस टेस्ट में मैन्युअल व्याख्या की जरुरत के बिना एक कस्टम-निर्मित मोबाइल एप्लिकेशन के द्वारा प्रदान किए जाते हैं.
इस मशीन में COVID-19 जांच के अलावा, ‘आइसोथर्मल न्यूक्लिक एसिड-आधारित जांच’ (आईएनएटी) की श्रेणी में आने वाले कई अन्य जांच, किये जा सकते हैं. यानी इन्फ्लुएंजा, मलेरिया, डेंगू, जापानी एन्सेफलाइटिस, तपेदिक और कई अन्य संक्रामक बीमारियों, के साथ ही वेक्टर-जनित रोगों की जांच भी इस मशीन का उपयोग करके की जा सकती है.
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार देश ने पिछले कुछ दिनों में प्रतिदिन 10 लाख से अधिक नमूनों के औसत परीक्षण के साथ COVID-19 का पता लगाने के लिए परीक्षण करने में 10 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है. हालांकि प्रतिदिन नए मामलों में गिरावट आ रही है परन्तु विशेषज्ञों के अनुसार कई क्षेत्रों में अधिक परीक्षणों की जरूरत है.
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