IAS और PCS दोनों ही प्रशासनिक सेवाओं में देश की सबसे प्रतिष्ठित सिविल सेवाओं में आती है। यही वजह है कि बीते कई वर्षों में संघ लोक सेवा आयोग(UPSC) सिविल सेवा और संबंधित राज्य लोक सेवा आयोग(PCS) सेवाओं के लिए हर साल आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ती जा रही है। दोनों ही परीक्षा कठिन हैं, जिनमें सफलता मिलना निश्चित नहीं है, लेकिन फिर भी युवा इस परीक्षा के लिए दिन रात तैयारी करते हैं। वहीं, कई युवा कई सालों तक परीक्षा के लिए तैयारी करते हैं और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की बागडोर संभालने के इंतजार में रहते हैं। प्रशासनिक स्तर पर इन दोनों सेवा में अंतर होता है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से इन दोनों के बीच अंतर बताने जा रहे हैं, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
क्या होता है IAS
IAS अधिकारी बनने के लिए संघ लोक सेवा आयोग(UPSC) सिविल सेवा की परीक्षा देनी होती है, जो कि साल में एक बार मई या जून में आयोजित की जाती है। परीक्षा का आयोजन तीन चरणों में किया जाता है, जिसमें प्रीलिम्स, मेंस और इंटरव्यू चरण होते हैं। इसके सिलेबस में भारत और विश्व के विभिन्न विषयों के लेकर सवाल पूछे जाते हैं। प्रीलिम्स में पेपर 1 सामान्य अध्ययन और पेपर 2 सीसैट का होता है। यह क्वालीफाइंग नेचर का होता है, जिसमें रीजनिंग व मैथ्स के सवाल पूछे जाते हैं। साथ ही एक भाषा का भी पेपर होता है। इसके बाद मेंस में विभिन्न विषयों के पेपर और दो ऑप्शनल के पेपर होते हैं। यह चरण पास होने के बाद इंटरव्यू में अभ्यर्थी की पर्सेनेलिटी चेक की जाती है। तीन चरणों के बाद एक फाइनल लिस्ट बनाई जाती है, जिसमें परीक्षा में सबसे अधिक अंक लाने वाले अभ्यर्थियों को आईएएस सेवा दी जाती है।
इस तरह मिलता है पद
IAS सेवा मिलने के बाद अभ्यर्थियों को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी(LBSNAA) में 10 माह का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके बाद प्रशिक्षुओं को उनके संबंधित कैडर में जिला प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है। यह प्रशिक्षण पूरा होने पर वे दोबारा मसूरी स्थित अकादमी पहुंच दूसरे चरण की ट्रेनिंग पूरी करते हैं, जिसमें उन्हें विदेश भी ले जाया जाता है। इसके बाद वे नई दिल्ली स्थित विभिन्न मंत्रालयों में सहायक सचिव के तौर पर तीन महीने तक काम करते हैं। तीन महीने काम करने के बाद उन्हें फिर से उनके संबंधित कैडर में भेज दिया जाता है। कैडर में राज्य प्रशासन के अनुसार अधिकारियों को पद दिया जाता है। उदाहरण के तौर पर, उत्तर प्रदेश में शुरुआती पद ज्वाइंट मजिस्ट्रेट, बिहार में एसडीएम और तेलंगाना में सब-कलेक्टर का पद है। कुछ जगहों पर अधिकारी उप जिलाधिकारी (एडीएम) के रूप में काम शुरू कर देते हैं, उन्हें एक जिले या तहसील का प्रभार दिया जाता है। यदि एसडीएम की नियुक्ति दी गई है, तो तहसील यानी अनुमंडल (सब -डिवीजन) की कानून-व्यवस्था का काम सौंपा जाता है। आईएएस अफसर सरकारी विभागों या मंत्रालयों में भी भेजे जा सकते हैं। कार्य के दौरान उन्हें डेपुटेशन पर वर्ल्ड बैंक, इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड, एशियन डेवलपमेंट बैंक, द एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक और यूनाइटेड नेशंस और उसकी एजेंसियों में तैनात किया जा सकता है।
क्या होता है PCS
PCS अधिकारी बनने के लिए संबंधित राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से सिविल सेवा का आयोजन किया जाता है। इस परीक्षा का आयोजन भी साल में एक बार मई से जून के बीच में होता है। वहीं, इसके सिलेबस की बात करें, इसका सिलेबस काफी हद तक यूपीएससी सिविल सेवा की तरह होता है। हालांकि, इस परीक्षा में संबंधित राज्य के लिए अलग से पढ़ना होता है। क्योंकि, परीक्षा में राज्य को लेकर विशेष रूप से पूछा जाता है।
इस तरह मिलता है पद
पीसीएस के संबंध में, ट्रेनिंग के बाद उन्हें सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट के तौर पर नियुक्ति मिलती है। इसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट, एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट(एडीएम) के तौर पर सेवा मिलती है। कुछ जिलों में एडीएम के दो से तीन पद होेते हैं, जो कि एडीएम(फाइनेंस या रेवन्यू), एडीएम(सिटी) और एडीएम(एक्जीक्यूटिव) है।
IAS और PCS में प्रमुख अंतर
-IAS का चयन केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है, जबकि PCS अधिकारी का चयन राज्य सरकार द्वारा किया जाता है।
-IAS की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जबकि PCS की नियुक्ति राज्यपाल करता है।
-IAS संविदा पर किसी भी राज्य में कुछ समय तक अपनी सेवाएं दे सकते हैं। वहीं, PCS अधिकारी संविदा पर अलग-अलग विभागों में काम कर सकते हैं, लेकिन वे सिर्फ अपने राज्य में ही काम कर सकते हैं।
-IAS का बेसिक वेतन अधिक होता है, जिसमें अन्य भत्ते जोड़कर मासिक वेतन और अधिक हो जाता है, जबकि PCS का बेसिक आईएएस की तुलना में कम होता है।
-IAS और PCS के प्रमोशन में अंतराल होता है।
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