रैपिड ट्रांजिट (Metro) और लाइट रेल (Metrolite) के बीच क्या अंतर है?

भारत में शहरी रेल पारगमन में उपनगरीय रेल (suburban rail), रैपिड ट्रांजिट (rapid transit), मोनोरेल ( monorail), लाइट रेल (light rail) और ट्राम ( tram) सिस्टम शामिल हैं। इस लेख में हम रैपिड ट्रांजिट (Metro) और लाइट रेल (Metrolite) के बीच का अंतर जानेंगे।
रैपिड ट्रांजिट (Metro)
1- वर्तमान में भारत के 21 शहरों में 13 ऑपरेशनल रैपिड ट्रांजिट (जिसे 'मेट्रो' भी कहा जाता है) सिस्टम हैं।
2- रैपिड ट्रांजिट (Metro) एक समर्पित तेज़ लोकल ट्रेन प्रणाली है, जो सामान्य रेलवे नेटवर्क से थोड़ी अलग है।
3- इस सिस्टम में ट्रैक एलिवेटिड और भूमिगत दोनों तरह से बनाए जाते हैं।
4- रैपिड ट्रांजिट (Metro) सिस्टम में कॉनकोर्स (जहां टिकट वगैरह उपल्ब्ध होता है) और प्लेटफॉर्म (जहां से मेट्रो बोर्ड और डीबोर्ड करते हैं) अलग-अलग होते हैं।
5- रैपिड ट्रांजिट (Metro) में एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म तक जाने या मेट्रो स्टेशन में प्रवेश-निकास (entry-exit) के लिए सबवे (subway), फुटओवर ब्रिज (footover bridge), लिफ्ट (lift) और सीढ़ियों (stairs) का इस्तेमाल किया जाता है। इसका इस्तेमाल केवल यात्रियों द्वारा ही किया जा सकता है।
6- इसमें मेट्रो बोर्ड करने के लिए ऑटोमेटेड टिकट सिस्टम होता है और किसी टीसी की आवश्यकता नहीं होती है।
7- रैपिड ट्रांजिट (Metro) में हज़ारों की तादाद में यात्री एक ही रेल में सफर कर सकते हैं।
8- भारत में पहली रैपिड ट्रांजिट प्रणाली कोलकाता मेट्रो (Kolkata Metro) है, जिसे 1984 में परिचालित किया गया था। दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) का पूरे देश में सबसे बड़ा नेटवर्क है। 8 मार्च 2019 को नागपुर मेट्रो (Nagpur Metro) का परिचालन शुरू किया गया जो देश का सबसे नया रैपिड ट्रांजिट (Metro) सिस्टम है।
लाइट रेल (Metrolite)
1- मेट्रोलाइट एक लाइट रेल अर्बन ट्रांजिट सिस्टम है, जिसे भारत में कम राइडरशिप प्रोजेक्शन वाले शहरों में और मौजूदा मेट्रो सिस्टम के लिए फीडर सिस्टम के रूप में प्लान किया जा रहा है।
2- लाइट रेल (Metrolite) सामान्य रेलवे नेटवर्क से थोड़ी अलग है और इसे अपग्रेडेड ट्राम (Tram) और डाउनग्रेडेड मेट्रो (Metro) कह सकते हैं।
3- इस सिस्टम को पूरी तरह से ग्राउंड लेवल पर बनाया जाएगा, इसमें समर्पित ट्रैक होंगे, जिन्हें सड़क से फेंसिंग या दीवार की सहायता से अलग किया जाएगा।
4- लाइट रेल (Metrolite) सिस्टम में टिकेट काउंटर, प्लेटफार्म आदि ग्राउंड लेवल पर होंगे।
5- एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म तक जाने के लिए सबवे (subway) या ओवर ब्रिज (over bridge) का इस्तेमाल किया जाता है। इसका इस्तेमाल यात्रियों के अलावा अन्य लोग भी कर सकते हैं।
6- लाइट रेल (Metrolite) सिस्टम में ट्रेन बोर्ड करने के लिए ऑटोमेटेड टिकट सिस्टम नहीं होगा और भारतीय रेल की तरह कई टी.सी. स्टेशन पर होंगे जो आपका टिकट चैक करेंगे।
7- इसमें 300-400 तक की ही तादाद में यात्री एक रेल में सफर कर सकते हैं।
8- दिल्ली में इसका निर्माण कार्य शुरू हो चुका है और इसके 2025 तक पूर्ण होने की सम्भावना है। ये 19.15 किलोमीटर लंबी लाइन होगी जिसमें 22 स्टेशन (कीर्ति नगर - बामनोली गाँव) होंगे। यह लाइन दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) के फेज 4 प्रोजेक्ट का हिस्सा है।
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