Traditional और Digital Marketing में क्या होता है अंतर, जानें

बाजार में जब भी कोई कंपनी नया उत्पाद या सर्विस लांच कर रही होती है, तो सबसे पहले उसकी मार्केटिंग के ऊपर ध्यान दिया जाता है। इसके माध्यम से लोगों के बीच कंपनी के उत्पाद या सर्विस को पहचान दिलाकर स्थापित किया जाता है। हालांकि, यह एक दिन की नहीं, बल्कि लंबी प्रक्रिया होती है। समय-समय पर सही मार्केटिंग करने से लोगों को उत्पाद या सर्विस के बारे में जानकारी हो जाती है और वह उसे पहचानने लगते हैं। मार्केटिंग से ही जुड़े शब्द हैं, ट्रेडिशनल मार्केटिंग और डिजिटल मार्केटिंग। लेकिन, क्या आपको इन दोनोंं के बीच अंतर पता है। यदि नहीं, तो हम इस लेख के माध्यम से इन दोनों के बीच अंतर को समझेंगे।
क्या होती है ट्रेडिशनल मार्केटिंग
ट्रेडिशनल मार्केटिंग यानी परंपरागत मार्केटिंग, एक पंरपरागत मार्केट है, जो कई वर्षों से चली आ रही है। इसमें किसी भी सर्विस या उत्पाद की मार्केटिंग का मुख्य तरीका अखबारों, टीवी या पोस्टर के माध्यम से विज्ञापन देकर होता है। पुराने दौर में इंटरनेट नहीं होने की वजह से लोग मार्केटिंग के लिए इन माध्यमों का इस्तेमाल करते थे। वहीं, मार्केटिंग के यह तरीके लोगों के लिए शुरू से ही लोकप्रिय रहे हैं। हालांकि, समय के साथ हुए बदलाव के साथ-साथ मार्केटिंग करने के तरीकों में बदलाव हुआ। वहीं, आज भी अखबार, टीवी और रेडिया ट्रेडिशनल मार्केटिंग की वजह से संचालन का खर्च निकाल रहे हैं। क्योंकि, ट्रेडिशनल मार्केटिंग के माध्यम से मिलने वाले विज्ञापन की वजह से संचालन का खर्च निकलता है।
क्या होती है डिजिटल मार्केटिंग
समय के साथ हुए बदलाव के साथ मार्केटिंग का तरीका भी बदला है, जो कि अब मॉर्डन हो गया है। डिजिटल मार्केटिंग में अब मार्केटिंग का तरीका रेडिया, टीवी और अखबारों से निकलकर लोगों के मोबाइल और लैपटॉप में पहुंच गया है। जब भी हम सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए विज्ञापन के माध्यम से किसी भी उत्पाद या सर्विस के बारे में जानते हैं, वह डिजिटल मार्केटिंग का ही रूप है। वर्तमान में बड़ी-बड़ी कंपनियां अब डिजिटल मार्केटिंग पर ही ध्यान केंद्रित कर रही हैं। साथ ही युवा भी इसमें आगे बढ़कर अपने करियर को संवार रहे हैं।
ट्रेडिशनल और डिजिटल मार्केटिंग में अंतर
ट्रेडिशनल मार्केटिंग |
डिजिटल मार्केटिंग |
मार्केटिंग का महंगा माध्यम है |
मार्कटिंग का सस्ता माध्यम है |
केवल सीमित लोगों तक पहुंच |
अधिकांश लोगों तक पहुंच |
रिजल्ट का एनालिसिस करना होता है मुश्किल |
रिजल्ट का एनालिसिस आसान होता है |
अधिक समय की खपत होती है और केवल कुछ ही लोगों तक पहुंचा जा सकता है। |
कम समय में अधिक लोगों तक पहुंचा जा सकता है। |
शारीरिक मेहनत की अधिक आवश्यकता होती है। |
घर बैठे ही डिजिटल मार्केटिंग को किया जा सकता है। |
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