भारत का अनोखा मंदिर जहां कुत्तों की होती है पूजा, जानें क्या है मंदिर के पीछे की कहानी

भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है, जहां आपको खाने से लेकर भाषा में विविधताएं मिल जाएंगी। इसके अलावा भी हम भारत में अलग-अलग प्रकार की चीजों के बारे में सुनते रहते हैं। हालांकि, क्या आपको भारत के एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में पता है, जहां पर कुत्तों की पूजा होती है। यह सुनने में थोड़ा अजीब हो सकता है, हालांकि ऐसा हो रहा है। क्या है इस मंदिर के बनने के पीछे की कहानी, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
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भारत को अतूल्य भारत कहा जाता है, जहां आपको भाषा, धर्म और संस्कृति में विविधता देखने को मिल जाएगी। समय-समय पर हमें भारत के अलग-अलग हिस्सों से अलग-अलग प्रकार की कहानियां सुनने को मिलती हैं। इसके साथ ही भारत में आपको अलग-अलग प्रकार के जानवर भी मिल जाएंगे, जिनमें कुत्तों को इंसानों का सबसे बेहतर दोस्त कहा जाता है, जो कि इंसानों के साथ अधिक कनेक्ट होते हैं। वहीं, इंसान भी कुत्तों से अधिक प्रेम करते हैं। यही वजह है कि कई घरों में कुत्तों को पाला जाता है, जो कि उम्र भर एक दोस्त की तरह रहते हैं। हालांकि, क्या आपको पता है कि भारत में एक ऐसा अनोखा मंदिर भी है, जहां पर कुत्तों की पूजा होती है। यदि नहीं, तो इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। कहां है यह मंदिर और क्या है मंदिर बनने के पीछे की कहानी, जानने के लिए यह लेख पढ़ें। 

 

भारत के इस मंदिर में होती है कुत्तों की पूजा

भारत के कर्नाटक राज्य में चन्नापटना शहर में एक मंदिर में कुत्तों की पूचा अर्चना की जाती है, जो कि इस मंदिर को अन्य मंदिरों से अलग बनाती है। स्थानीय स्तर पर इसे नाई देवस्थान कहा जाता है, जिसमें नाई का अर्थ कन्नड़ भाषा में कुत्ता होता है। हालांकि, अब सवाल है कि आखिर क्यों यहां पर कुत्तों की पूजा की जाती है।

 

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क्या है मंदिर के बनने के पीछे की कहानी

इस मंदिर के निर्माण को लेकर हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट बताती है कि कर्नाटक में जिस जगह पर यह मंदिर बना हुआ, वहां पर स्थानीय स्तर पर केमपम्मा देवी की पूजा होती है। ऐसे में यहां मंदिर बनाने के लिए एक व्यापारी ने रुपये दान किए, जिसके बाद मंदिर का निर्माण शुरू हुआ, तो दो कुत्ते यहां पर आकर रहने लगे, जिन्हें गांव वालों ने पाला। वहीं, जब मंदिर का निर्माण पूरा हो गया, तो वे कुत्ते वहां से चले गए और किसी को नहीं मिले। रिपोर्ट के मुताबिक, गांव के किसी व्यक्ति के सपने में आकर देवी ने कुत्तों को वहां लाने के लिए कहा, लेकिन काफी ढूंढने के बाद भी वे कुत्ते नहीं मिले। ऐसे में ग्रामिणों ने मंदिर में कुत्तों की मूर्ति बनाने का निर्णय लिया। 

 

सप्ताह में तीन बार होती है पूजा 

इस मंदिर में कुत्तों की पूरे श्रद्धाभाव के साथ पूजा की जाती है। साथ ही कुत्तों को फल और फूल भी चढ़ाए जाते हैं। वहीं, ग्रामिणों का ऐसा मानना है कि इन कुत्तों से वे किसी भी बुरी चीज से बचे रहते हैं, जिससे उनका गांव सुरक्षित रहता है। 

 

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