First Female IAS: जानें कौन थी देश की पहली महिला IAS अधिकारी, पद्मभूषण से की गई थी सम्मानित

First Female IAS: देश में आज केंद्र में विभिन्न पदों पर महिला अधिकारी काम कर रही हैं। बीते कुछ वर्षों में सिविल सेवा में बेटियों की भागीदारी बढ़ी है और वे आगे बढ़कर देश की सेवा कर रही हैं। हर साल जब भी सिविल सेवा का रिजल्ट आता है, तो उसमें टॉप रैंक में बेटियां भी शामिल होती हैं, जो IAS बनकर विभिन्न राज्यों में अपनी सेवाएं देती हैं। हालांकि, क्या आपको देश की पहली महिला IAS अधिकारी के बारे में पता है। यदि नहीं, तो आज हम आपको इस लेख के माध्यम से पहली महिला IAS अधिकारी के बारे में बताएंगे। जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें।
यह थी पहली महिला IAS
भारत की पहली महिला IAS अधिकारी अन्ना राजम मल्होत्रा थी। अन्ना का जन्म 17 जुलाई 1924 में केरल के एक छोटे गांव में हुआ था। वह मलयाली लेखक पालियो पॉल की पोती थी। उन्होंने कोझिकोड से अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की और मद्रास विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक की पढ़ाई को पूरा किया।
पढ़ाई के बाद शुरू की सिविल सेवा की तैयारी
अन्ना राजम ने अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद सिविल सेवा में जाने का मन बनाया। यह वह समय था, जब कोई भी लड़की सिविल सेवा के बारे में दूर-दूर तक नहीं सोचती थी, तब अन्ना राजम ने सिविल सेवा में जाने का मन बना लिया था।
पहले प्रयास में पास की परीक्षा
अन्ना राजम ने सिविल सेवा की तैयारी की और अपने पहले प्रयास में ही वह सिविल सेवा को पास करने में सफल हो गई। उन्होंने जब सिविल सेवा का इंटरव्यू दिया, तब इंटरव्यू बोर्ड ने उन्हें IAS न बनने की सलाह देते हुए अन्य सेवाओं जाने का विकल्प दिया, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं थी। हालांकि, सिर्फ परीक्षा पास करने से ही उन्हें सिविल सेवा नहीं मिलने वाली थी, बल्कि आगे और भी मुश्किल उनका इंतजार कर रही थी।
अप्वाइंटमेंट लेटर मिलने में हुई परेशानी
वर्ष 1951 में जब अन्ना राजम को सेवा मिली, तब अप्वाइंटमेंट लेटर में वह एक बात लिखी देखकर हैरान हो गई। लेटर में लिखा था कि शादी होने के बाद उन्हें निलंबित किया जा सकता है। हालांकि, वह इससे परेशान नहीं हुई। उन्होंने कुछ वर्षों तक सेवा की और तब तक सिविल सेवाओं के नियमों में बदलाव हुआ। बाद में उन्होंने अपने बैचमेट रहे आरएन मल्होत्रा से शादी की।
निभाई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी
अन्ना राजम ने अपनी सेवाओं के दौरान कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया और कई महत्वपूर्ण काम किए। उन्होंने देश के पहले कंप्यूटरीकृत बंदरगाह न्हावा शेवा के बनने के दौरान महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई। उन्होंने साल 1982 में आयोजित हुए एशियाई खेलों में भी अधिकारी के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया । साथ ही केंद्रीय मंत्रालय में वह सचिव पद तक पहुंची। उन्होंने अपनी सेवा के दौरान उस समय प्रधानमंत्री रहे इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के साथ काम किया। साथ ही कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ भी काम किया। अंत में उन्हें केंद्र सरकार की ओर से पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।
2018 में ली आखिरी सांस
देश की पहली महिला आईएएस अधिकारी ने कुल 91 साल का जीवन जीने के बाद 2018 में आखिरी सांस ली।