कौन थी दुनिया की पहली महिला कार चालक, जानें

आपने सड़कों पर महिलाओं को कार चलाते हुए देखा होगा। लेकिन, क्या आपको पता है कि दुनिया की वह पहली महिला कौन थी, जिन्होंने पहली बार कार चलाई थी। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम यह जानेंगे।
पहली महिला कार चालक
पहली महिला कार चालक

इन दिनों सड़कों पर महिलाओं को गाड़ी चलाते हुए देखा जा सकता है। वहीं, कुछ लोग महिलाओं की ड्राइविंग पर सवाल भी उठाते हैं। हालांकि, क्या आपको पता है कि दुनिया में पहली बार सबसे लंबी दूरी पर गाड़ी चलाने वाली महिला ही थी। वहीं, क्या आपको यह जानकारी है कि दुनिया की पहली महिला कौन थी, जिन्होंने पहली बार कार को चलाया था। इस लेख के माध्यम से हम इन सभी सवालों के बारे में जानेंगे। साथ ही कार चलाने को लेकर छिपी एक रोचक जानकारी को भी जानेंगे। 



फोर्ड मॉडल की थी पहली टी कार

जर्मनी में रहने वाले कार्ल बेंज पेशे से एक इंजन डिजाइनर और एक ऑटोमोटिव इंजीनियर थे। उन्होंने अपनी पहली कार को बनाया था, जो कि फोर्ड मॉडल टी कार थी। यह कार चार पहिये की नहीं, बल्कि तीन पहिये वाली थी। 

 

तीन साल तक नहीं बिकी कार

कार्ल बेंज ने जब कार को डिजाइन कर तैयार किया, तो उनकी कार नहीं बिकी। कार बनने के बाद तीन साल हो चुके थे, लेकिन उनकी कार नहीं बिक रही थी, जिससे कार्ल बेंज और उनकी पत्नी बार्था बेंज परेशान हो गई थी।

 

पत्नी को आया आइडिया

कार न बिकने की वजह से बार्था बेंज ने सोचा कि जब तक कार का इस्तेमाल कर लोगों को नहीं दिखाया जाएगा, तब तक कोई भी व्यक्ति कार को नहीं खरीदेगा। ऐसे में उन्होंने कार चलाने का निर्णय लिया। 

 

बिना अनुमति के 106 किमी तक दौड़ाया

अगस्त 1888 में बार्था बेंज ने अपने पति कार्ल बेंच की बिना अनुमति के ही कार को चलाने का निर्णय लिया। उन्होंने कार्ल को बिना बताए ही कार को निकाल 106 किलोमीटर तक दौड़ा दिया। खास बात यह रही कि इस सफर में उनके दोनों बेटे रिचर्ड और यूसेन जिनकी उम्र क्रमशः 13 और 15 वर्ष थी, वे भी साथ थे। बार्था बेंज कार को चलाकर अपने माता-पिता के घर तक ले गई थी।

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आसान नहीं था सफर

बार्था ने जब 106 किलोमीटर का सफर तय किया, तो वह आसान नहीं था। लंबी दूरी तक गाड़ी चलने पर गाड़ी गर्म हो रही थी, जिसे ठंडा करने के लिए वह रास्ते में बार-बार रूक कर पानी का स्त्रोत ढूंढ रही थी। उन्हें रास्ते में कहीं भी पानी का स्त्रोत मिला, उन्होंने वहां से पानी लेकर गाड़ी को ठंडा किया था और इस तरह अपनी मंजिल को तय किया था। 

 

कार्ल बेंज को दी टेलीग्राम से जानकारी

बार्था जब अपने माता-पिता के घर पहुंच गई थी, तब उन्होंने कार्ल बेंज को टेलीग्राम के माध्यम से जानकारी दी थी। वहीं, जिस रास्ते से वह गाड़ी चलाकर पहुंची थी, उस रास्ते को बार्था मेमोरियल रूट के नाम से जाना जाता है। आपको बता दें कि पहली कार का निर्माण निकोलस द्वारा 1759 में किया गया था, जिसमें स्टीम इंजन लगाया गया था। 

 

हम उम्मीद करते हैं यह लेख आपको पसंद आया होगा। इसी तरह की अन्य जानकारी जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करें।

 

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