भारतीय रिज़र्व बैंक के मुख्य कार्य क्या हैं?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भारत की सर्वोच्च मौद्रिक संस्था है. RBI की स्थापना 1935 में RBI अधिनियम 1934 द्वारा की गई थी. RBI; विदेशी रिज़र्व, बैंकों का बैंक, भारत सरकार के बैंकर और ऋण नियंत्रक के रूप में कार्य करता है. RBI; भारतीय अर्थव्यवस्था में नोटों की छपाई और पैसों की आपूर्ति का प्रबंधन करने के लिए भी जिम्मेदार होता है.
RBI
RBI

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) देश का केन्द्रीय बैंक है। भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना 1935 में बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1934  के तहत 5 करोड़ रूपए की शुरूआती धनराशि के साथ की गई थीl  उस समय भारतीय रिजर्व बैंक के लगभग सभी शेयरों का स्वामित्व गैर-सरकारी शेयरधारकों के हाथों में थाl इसलिए कुछ लोगों के हाथों में शेयरों के केन्द्रीयकरण को रोकने के लिए, 1 जनवरी 1949 को भारतीय रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण किया गया थाl

भारतीय रिजर्व बैंक के कार्य (Functions of RBI)

1. नोट जारी करना: भारतीय रिजर्व बैंक के पास देश में नोटों को छापने का एकाधिकार है. उसके पास एक रूपए के नोट (केवल वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है) को छोड़कर सभी प्रकार के नोट जारी करने का अधिकार है. 


नोटों को जारी करने/छपाई के लिए रिजर्व बैंक; न्यूनतम रिजर्व प्रणाली (Minimum Reserve System)को अपनाता है. इस प्रणाली के तहत 1957 से रिजर्व बैंक सोने और विदेशी मुद्रा भंडार के रूप में 200 करोड़ रूपए रिजर्व रखता है जिनमें से कम-से-कम 115 करोड़ रूपए सोने के रूप में और शेष विदेशी मुद्राओं के रूप में होनी चाहिए. इस 200 करोड़ की धनराशि को रखने के बाद रिजर्व बैंक जरुरत के हिसाब से कितनी भी मुद्रा को छाप सकता है हालांकि उसे भारत सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है.

 functions-of-rbi

image source:IDFC Mutual Fund

भारत में पैसा छापने का निर्णय कौन करता है?

2. भारत सरकार का बैंक: भारतीय रिजर्व बैंक का दूसरा महत्वपूर्ण कार्य भारत सरकार और राज्यों के बैंक, एजेंट और सलाहकार के रूप में कार्य करना हैl यह राज्य और केन्द्र सरकार के सभी बैंकिंग कार्य करता है और आर्थिक और मौद्रिक नीति से संबंधित मामलों पर सरकार को उपयोगी सलाह भी देता हैl यह सरकार के सार्वजनिक ऋण का प्रबंधन भी करता है।

3. बैंकों का बैंक: भारतीय रिजर्व बैंक अन्य वाणिज्यिक बैंकों के लिए उसी प्रकार कार्य करता है जिस प्रकार अन्य बैंक आमतौर पर अपने ग्राहकों के लिए कार्य करते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक देश के सभी वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है।

bank-of-the-bank

image source:Basictell.com

जानें भारत में एक नोट और सिक्के को छापने में कितनी लागत आती है?

4. क्रेडिट का नियंत्रक: भारतीय रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों द्वारा उत्सर्जित क्रेडिट को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी लेता हैl इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए यह देश में प्रभावी रूप से ऋण को नियंत्रित करने और विनियमन करने के लिए मात्रात्मक और गुणात्मक तकनीकों का व्यापक उपयोग करता हैl जब भारतीय रिजर्व बैंक देखता है कि अर्थव्यवस्था में पर्याप्त धन आपूर्ति है और इससे देश में मुद्रास्फीति की स्थिति पैदा हो सकती है तो वह अपने कड़े मौद्रिक नीति के माध्यम से बाजार में पैसे की आपूर्ति में कमी करता है और जब अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति में कमी हो जाती है तो वह बाजार में पैसे की आपूर्ति को बढ़ा देता हैl

measures-of-credit-contro

5. विदेशी मुद्रा भंडार का संरक्षक: विदेशी विनिमय दर को स्थिर रखने के उद्देश्य से भारतीय रिजर्व बैंक विदेशी मुद्राओं को खरीदता और बेचता है और देश के विदेशी मुद्रा भंडार की सुरक्षा भी करता हैl विदेश विनिमय बाज़ार में जब विदेशी मुद्रा की आपूर्ति कम हो जाती है तो भारतीय रिजर्व बैंक इस बाजार में विदेशी मुद्रा बेचता है जिससे कि इसकी आपूर्ती बढाई जा सके और जब विदेशी मुद्रा की आपूर्ति अर्थव्यवस्था में बढ़ जाती है तो RBI विदेशी मुद्रा बाजार से विदेशी मुद्रा को खरीदता हैl वर्तमान में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 360 बिलियन अमेरिकी डॉलर हैl

 foreign-currency

image source:Online Sale India

भारत में रुपया कैसे, कहां बनता है और उसको कैसे नष्ट किया जाता है?

6. अन्य कार्य: भारतीय रिजर्व बैंक कई अन्य विकास कार्यों को करता है। इन कार्यों में कृषि के लिए ऋण का अनुमोदन और कार्यान्वयन (जोकि नाबार्ड को स्थानांतरित किया जाता है), सरकारी प्रतिभूति और व्यापारिक बिलों की खरीद-बिक्री, सरकारी खरीद के लिए ऋण देना और मूल्यवान वस्तुओं की बिक्री आदि शामिल हैl यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में भी कार्य करता है और भारत की सदस्यता का प्रतिनिधित्व करता है।

भारतीय रिजर्व बैंक में एक नए विभाग का गठन: 6 जुलाई, 2005 को वित्तीय बाजारों पर निगरानी के लिए भारतीय रिजर्व बैंक में एक नए विभाग, जिसका नाम वित्तीय बाजार विभाग रखा गया है, का गठन किया गया थाl

यह नवगठित विभाग भविष्य में ऋण प्रबंधन और मौद्रिक संचालन की गतिविधियों को अलग करेगा। यह विभाग मुद्रा बाजार के उपकरणों के विकास और निगरानी का कार्य करेगा और सरकारी प्रतिभूतियों और विदेशी मुद्रा बाजार की निगरानी भी करेगा।

इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि भारत का केन्द्रीय बैंक देश की मौद्रिक नीति को बनाता है और उन सभी उपायों को करता है जिससे कि अर्थव्यवस्था में आवश्यकता के अनुसार मुद्रा की पूर्ती सुनिश्चित की जा सकेl

भारत में नये नोटों को छापे जाने की क्या प्रक्रिया होती हैl

जानें हर भारतीय के ऊपर कितना विदेशी कर्ज है?

Get the latest General Knowledge and Current Affairs from all over India and world for all competitive exams.
Jagran Play
खेलें हर किस्म के रोमांच से भरपूर गेम्स सिर्फ़ जागरण प्ले पर
Jagran PlayJagran PlayJagran PlayJagran Play