हवा में लटके खंभे पर बना है यह अद्भुत मंदिर

देशभर में बहुत से मंदिर हैं और हर मंदिर का अपना इतिहास और कहानी है। इस लेख के माध्यम से हम आपको भारत में बने एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हवा में लटके हुए खंभे पर टिका हुआ है। यहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
हवा में लटके खंभे पर बना है यह अद्भुत मंदिर
हवा में लटके खंभे पर बना है यह अद्भुत मंदिर

भारत के हर राज्य में आपको मंदिर मिल जाएंगे। इसमें भी दक्षिण में बने अद्भुत और सुंदर मंदिर हैं, जहां हर साल बड़ी संख्या में लोग भगवान के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हवा में लटके हुए खंभे पर टिका हुआ है। यह खंभा जमीन से करीब आधा इंच ऊपर है। इस मंदिर में खंभे के नीचे से लोग कपड़ा निकालने की मान्यता को मानते हैं। तो, आइये जानते हैं कहां है यह मंदिर और किसने कराया था मंदिर का निर्माण। पूरी कहानी जानने के लिए यह लेख पढ़ें। 

 

 

कहां स्थित है मंदिर 

 

आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में भगवान वीरभद्र का यह मंदिर लेपाक्षी मंदिर है। इस मंदिर में भगवान शिव के क्रूर और रौद्ररूप में भगवान वीरभद्र विराजमान हैं। ऐसे में इस मंदिर को वीरभद्र मंदिर भी कहा जाता है। 

 

इसलिए मशहूर है यह मंदिर 

 

इस मंदिर में कुल 70 स्तंभ बने हुए हैं। हालांकि, एक स्तंभ ऐसा भी है, जो जमीन पर टिकने के बजाय हवा में लटका हुआ है। जमीन और खंभे के बीच बहुत कम अंतर है, जिससे खंभा हवा में लटका हुआ नजर आता है। 

 

यह है मान्यता

 

यहां दर्शन के लिए पहुंचने वाले लोगों के बीच यह मान्यता है कि यदि खंभे के नीचे से कपड़ा निकालकर घर में रखा जाए, तो घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। ऐसे में यहां पहुंचने वाले लोग खंभे के नीचे से कपड़ा निकालकर घरों में रखते हैं। 

 

यह कहानी है प्रचलित

 

मंदिर को लेकर एक कहानी भी प्रचलित है, जिसके तहत यह मान्यता है कि भगवान वीरभद्र की उत्पत्ति दक्ष प्रजापति के यज्ञ के बाद हुई थी। माता सती के आत्मदाह के बाद भगवान शिव ने दक्ष के वध के लिए अपनी जटाओं से भगवान वीरभद्र को उत्पन्न किया था। दक्ष को मारने के बाद जब भगवान वीरभद्र का गुस्सा शांत नहीं हुआ, तो भगवान शिव ने उन्हें तपस्या करने के लिए कहा। ऐसे में यह मान्यता है कि उन्होंने लेपाक्षी मंदिर के स्थान पर ही तपस्या की थी। 

 

इन राजाओं ने कराया था निर्माण

 

इस मंदिर का निर्माण विजयनगर के राजा रहे विरुपन्ना और विरन्ना ने कराया था। ऐसा कहा जाता है कि इस जगह पर जब कुछ निर्माण किया जाता था, तो वह हिलने लगता था। ऐसे में इस मंदिर का निर्माण ऐसा कराया गया, जिससे मंदिर का आधार खंभा हवा में रहे। इसके बाद से मंदिर का निर्माण पूरा हुआ था, जिसके बाद से यह मंदिर मशहूर हो गया।  



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