जानें घर में बने मास्क कैसे कोरोना से बचा सकते हैं?

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय ने 31 मार्च को एक मैन्युअल जारी करके कहा कि यदि 80% लोग पुरानी बनियान, टी-शर्ट और रूमाल जैसी सूती वस्तुओं का उपयोग करके घर का बना मास्क पहनते हैं तो कोरोना पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है.
Home made mask
Home made mask

अपने सामान की स्वयं रक्षा करें की तर्ज पर अपनी जान की स्वयं सुरक्षा करें. अपने आप को कोरोना के संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए आपको कई तरह के उपाय करने पड़ रहे हैं. जिनमें एक उपाय है अपने मुंह और नाक को ढकना.

मुंह को ढंकने के लिए सबसे सरल उपाय है मास्क लगाना. लेकिन बाजार में मास्क कम मात्रा में उपलब्ध हैं और जो मास्क उपलब्ध हैं वे बहुत महंगे भी हैं इसलिए हर व्यक्ति उन्हें खरीद नहीं रहा है.

इसी दिशा में कदम उठाते हुए भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय ने 31 मार्च को एक मैन्युअल जारी करके कहा कि जरूरी नहीं है कि आप सभी लोग बाजार से खरीदकर ही मास्क पहने. बल्कि घर में बने हुए मास्क भी उतने ही असरदार हैं जितने बाजार के.

घर में मास्क कैसे बनायें?

प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय ने कहा है कि लोग पुरानी बनियान,टी-शर्ट और रूमाल जैसे सूती कपड़ों और आसानी से उपलब्ध वस्तुओं का उपयोग करके घर में मास्क बना सकते हैं.

यदि "100 प्रतिशत सूती कपड़े की एक दोहरी परत वाले मास्क बनाये जाएँ तो ये मास्क सर्जिकल मास्क की तरह 70% तक प्रभावी होते हैं और कोरोनावायरस से पांच गुना छोटे कणों को भी रोकने में कामयाब होते हैं.

दरअसल ये मास्क उन कणों को रोकने में भी कामयाब हो जाते हैं जो कि एक कोरोना प्रभावित मरीज द्वारा खुली हवा में छोड़े जाते हैं.

इसके अलावा इस मास्क की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनको पहनकर साँस लेने में कोई कठिनाई नहीं होती है जैसा कि बाजारु मास्क में होता है. इन होम मेड मास्क को गन्दा होने पर धुला भी जा सकता है.

वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय ने इन मास्कों के लिए धुलाई और निर्माण से सम्बंधित मैन्युअल भी जारी किया है. जो इस प्रकार है.

1. मास्क बनाने से पहले, कपड़े को अच्छी तरह से धोया जाना चाहिए और 5 मिनट के लिए पानी में उबला भी जाना चाहिए और उसमें  नमक भी मिलाया जाना चाहिए. 

2. इन्हें हर दिन धोना चाहिए क्योंकि बिना धोये इनका इस्तेमाल हानिकारक भी हो सकता है. इन्हें धूप में सुखाया जाना चाहिए. 

3. हेल्थ मैन्युअल कहता है कि मास्क को धोने के लिए पानी, साबुन, अल्कोहल, नमक, और सुखाने के लिए गर्मी, और पराबैंगनी प्रकाश अर्थात सूर्य की रोशनी का प्रयोग किया जाना चाहिए.

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वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय ने होम मेड मास्क के प्रयोग को बढ़ावा देने की बात इसलिए कही है क्योंकि यह आसानी से कम कीमत पर घरों में उपलब्ध सामान से बनाया जा सकता है. इसे धुलकर दुबारा पहना जा सकता है. 

इस काम में गैर सरकारी संगठन (NGOs) भी अहम भूमिका अपनाते सकते हैं और इनकी मदद से लोगों को मास्क बनाना आसानी से सिखाया भी जा सकता है.
इस मैन्युअल में घनी आबादी वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए मास्क पहनने की विशेष रूप से सिफारिश की गयी है.

"विश्लेषण बताते हैं कि अगर 50 प्रतिशत आबादी मास्क पहनती है, तो केवल 50 प्रतिशत आबादी ही वायरस द्वारा प्रभवित होती है और अगर 80 प्रतिशत आबादी मास्क पहन लेती है, तो इसका प्रकोप तुरंत रोका जा सकता है.

इस प्रकार स्पष्ट है कि मास्क, कोविड-19 से लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.अतः आप सभी से निवेदन है कि सरकार द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का पालन करें और इस लड़ाई में सरकार का साथ दें.

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