महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न कंपनियों का चुनाव कैसे किया जाता है?

वर्तमान में भारत में 10 महारत्न कम्पनियाँ,14 नवरत्न कम्पनियाँ हैं और 73 मिनीरत्न कंपनियों को श्रेणी 1 और श्रेणी 2 में बांटा गया है. कौन सी कंपनी किस केटेगरी में रहेगी इसका फैसला, कंपनी के औसत वार्षिक कारोबार, कर चुकाने’के बाद कंपनी का कुल लाभ, कंपनी की कुल औसत वार्षिक संपत्ति, और कंपनी की पॉपुलैरिटी के आधार पर लिया जाता है. आइये इस लेख में जानते हैं कि कौन सी कंपनी किस केटेगरी में है?
How Miniratna Navratna Miniratna companies selected
How Miniratna Navratna Miniratna companies selected

भारत सरकार का “लोक उद्यम विभाग” सभी केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSEs) का नोडल विभाग है और यह CPSEs से संबंधित नीतियां तैयार करता है. वर्तमान में लोक उद्यम विभाग; भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्रालय का हिस्सा है.
केन्द्र सरकार ने केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSEs) को महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न का दर्जा देने के लिए पात्रता मानदंड निर्धारित किया है. यह लेख इस बात पर प्रकाश डाल रहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न का दर्जा किस आधार पर दिया जाता है.

ज्ञातव्य है कि वर्तमान में भारत में 10 महारत्न कम्पनियाँ, 14 नवरत्न कम्पनियाँ और 73 मिनीरत्न कम्पनियाँ है जिनको श्रेणी 1 और श्रेणी 2 में बांटा गया है.
आइये अब जानते हैं कि किसी कंपनी को महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न का दर्जा किस आधार पर दिया जाता है;
किसी कंपनी को महारत्न कम्पनी बनने के लिए निम्न मापदंडों को पूरा करना होता है;
Maharatna navratna miniratna psu
1. कंपनी को नवरत्न कंपनी होना चाहिए.
2. कम्पनी को भारतीय शेयर बाजार में पंजीकृत होना चाहिए और सेबी द्वारा तय की गयी सीमा के हिसाब से कुछ शेयर आम लोगों के पास होने चाहिए.
3. पिछले 3 वर्षों के दौरान कंपनी का औसत वार्षिक कारोबार (Average annual turnover) 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का होना चाहिए.
4. पिछले 3 वर्षों के दौरान कंपनी की कुल औसत वार्षिक संपत्ति 15,000 करोड़ रुपये से अधिक होनी चाहिए.
5. पिछले 3 वर्षों के दौरान ‘कर चुकाने’ के बाद कंपनी का कुल लाभ 5,000 करोड़ रुपये से अधिक होना चाहिए.
6. कंपनी का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात होना चाहिए.
 किसी कंपनी को नवरत्न कम्पनी बनने के लिए निम्न मापदंडों को पूरा करना होता है;
1. किसी कंपनी को नवरत्न कम्पनी का दर्जा तभी मिलता है जब वह पहले से ही मिनीरत्न कम्पनी की कैटेगरी 1 में रजिस्टर्ड हो और उसने पिछले 5 सालों में से 3 साल उत्कृष्ट (excellent) 'या' बहुत अच्छा (very good) की रेटिंग हासिल की हो.
2.  कंपनी ने नीचे दिए गए 6 प्रदर्शन मापदंडों में कम से कम 60 या उससे अधिक का स्कोर प्राप्त किया हो.
छह प्रदर्शन मापदंड इस प्रकार हैं:
I.  प्रति शेयर कमाई
II. कम्पनी की शुद्ध पूँजी और शुद्ध लाभ
III.  उत्पादन की कुल लागत के सापेक्ष मैनपॉवर (manpower) पर आने वाली कुल लागत
IV. ब्याज भुगतान से पहले लाभ और कुल बिक्री पर लगा कर
V. मूल्यह्रास के पहले कम्पनी का लाभ, वर्किंग कैपिटल पर लगा टैक्स और ब्याज
VI. जिस क्षेत्र की कंपनी है उसमे कम्पनी का प्रदर्शन
 मिनीरत्न कम्पनी बनने के लिए निम्न मापदंडों को पूरा करना पड़ता है;
केन्द्रीय सार्वजानिक क्षेत्र की वे कम्पनियाँ जिन्होंने;
1. पिछले लगातार तीन सालों से लाभ कमाया हो
2. जिनकी कुल संपत्ति धनात्मक हो
उनको मिनीरत्न कम्पनी का दर्जा दे दिया जाता है.
इस प्रकार आपने पढ़ा कि केन्द्रीय सार्वजानिक क्षेत्र की कंपनियों को महारत्न, नवरत्न और मिनी रत्न का दर्जा किस आधार पर दिया है और वर्तमान में भारत में कितनी महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न कम्पनियाँ हैं.
भारत में महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न कंपनियों की सूची

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