भारत के 38 सूचीबद्ध वाणिज्यिक बैंकों की कुल गैर निष्पादित संपत्तियां (NPA) जून, 2017 तिमाही के अंत में 829336 लाख करोड़ रुपये पर पहुँच चुका हैं. गैर निष्पादित संपत्तियां (NPA) बैंक की उस उधार दी गयी राशि को कहा जाता है जिसका मूलधन और ब्याज 180 दिनों के बाद भी बैंक को नही मिलता है.
बैंकों की गैर निष्पादित संपत्तियां (NPA) बढ़ने से बैंकों का पैसा जाम हो जाता है जिससे उनके दीवालिया होने की संभावना बढ़ जाती है. बैंकों को इसी दीवालियेपन से सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार वित्तीय समाधान एवं जमा बीमा बिल (Financial Resolution and Deposit Insurance -FRDI) संसद में पास करने पर विचार कर रही है.
सरकार ने अगस्त, 2017 में FRDI (Financial Resolution and Deposit Insurance) बिल- 2017 लोकसभा में रखा था, वर्तमान में यह संसद की संयुक्त समिति के पास विचाराधीन है. अभी संयुक्त समिति FRDI बिल के प्रावधानों पर सभी हितधारकों से परामर्श कर रही है.
इस बिल में वित्तीय सेवा प्रदाताओं के दिवालियापन से निपटने की बात की गई है. इसके तहत एक ऐसे कॉर्पोरेशन की स्थापना की बात कही गई है जिसके पास वित्तीय फर्म को संपत्तियों के ट्रांसफर, विलय या एकीकरण, दिवालियापन आदि से संबंधित कई अधिकार होंगे.
वर्तमान व्यवस्था (जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम अधिनियम,1961) के मुताबिक, बैंक एक लाख रुपये से अधिक की जमा राशि और ब्याज के लिए बीमा कवर देते हैं लेकिन 1 लाख रुपए से ज्यादा की जमा राशि के लिए इस प्रकार की कोई सुरक्षा नही है. गौरतलब है कि वर्तमान की डिपॉजिट इंश्योरेंस स्कीम फिलहाल सभी बैंकों, वाणिज्यिक, क्षेत्रीय ग्रामीण और कोऑपरेटिव बैंकों को कवर करती है.
आइये अब जानते हैं कि FRDI बिल के पास होने के बाद आपकी बैंक जमा राशि पर क्या फर्क पड़ेगा?
FRDI बिल के प्रावधानों में एक प्रावधान “बेल इन” का है. "बेल इन" का मतलब वित्तीय संस्थानों को वित्तीय संकट के समय बचाने के तरीकों से है. यदि बैंक किसी वित्तीय संकट में फंसते है तो यह बिल बैंकों को यह अधिकार देगा कि वे जनता के जमा धन के माध्यम से अपने लिए पूँजी जुटाएं.
इस बिल के अंतर्गत एक "रेजोल्यूशन कॉरपोरेशन" नाम की अथॉरिटी बनेगी जो कि वर्तमान में कार्यरत “जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम अधिनियम” को अपने अधिकार में ले लेगी.
नए बिल के पास होने के बाद लोगों के बैंक जमा पर निम्न प्रकार के प्रभाव पड़ेंगे:-
1. वर्तमान में यह नियम है कि जितना पैसा आपने बैंक में जमा कर रखा है, आप अपनी जरुरत के हिसाब से निकाल सकते हैं. लेकिन FRDI बिल के पास होने के बाद आपसे यह अधिकार छीन लिया जायेगा. अर्थात बैंक दिवालियापन या अन्य किसी वित्तीय संकट में आपको आपके खाते में जमा पैसे को देने से मना कर सकते हैं.
2. नए बिल के कारण; बैंक खाता धारक अपने जमा पैसे पर नियंत्रण खो सकते हैं और बैंक लोगों के जमा धन को अपनी जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल कर सकते हैं. अर्थात बैंक खातों में जमा आपका पैसा आपका नहीं होगा अर्थात इस जमा धन पर पहला हक़ बैंकों का होगा.
3. अगर बैंक की वित्तीय स्थिति ख़राब होती है तो बैंक खाता धारक को भी जमा धन पर नुकसान उठाना पड़ सकता है.
4. वर्तमान नियम के मुताबिक, बैंक एक लाख रुपये से अधिक की जमा राशि और ब्याज के लिए सभी को एक समान बीमा कवर देते हैं लेकिन नए बिल के आने के बाद यह बीमा कवर हर खाता धारक के लिए अलग-अलग होगा. बड़े खाता धारकों के लिए बीमा की राशि ज्यादा हो सकती है और छोटे खाता धारकों के लिए कम.
5. यदि कोई बैंक वित्तीय संकट में फंसता है तो लोगों का कितना पैसा लौटाना है, कब लौटाना है, किस तरह लौटाना है; नकद या बैंक शेयर में, यह सब बैंक ही तय करेगा.
6. यदि बैंक किसी खाता धारक (ग्राहक) को उसकी जमा राशि के बदले बैंक का शेयर देता है तो शेयरों की वैल्यू ग्राहक के खाते में जमा राशि से कम ही होगी.
इस बिल में बैंकों से यह कहा जायेगा कि यदि वे डूबते हैं तो बचाने के उपाय स्वयं करें और सरकार से किसी भी प्रकार के बेल आउट पैकेज की उम्मीद ना करें. इसके अलावा सबसे चौकाने वाली बात यह है कि " रेजोल्यूशन कॉरपोरेशन" के पास यह अधिकार होगा कि वह किसी कर्मचारी को नौकरी से बर्खास्त कर दे और इसके अलावा उसकी सैलरी में भी बदलाव का अधिकार भी कॉरपोरेशन के पास होगा.
सारांश के तौर पर यह कहा जा सकता है कि FRDI बिल के पास होने के बाद लोगों और रिज़र्व बैंक के अधिकार कम हो जायेंगे और लोगों की मेहनत की कमाई पर बैंकों का एकाधिकार हो जायेगा जो कि भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश के लिए ठीक नही होगा. इसके अलावा लोग बैंकों में पैसा जमा करने से कतराने लगेंगे जिससे देश की बैंकिंग इंडस्ट्री पर बहुत बुरा असर पड़ेगा.
वित्तीय समाधान एवं जमा बीमा बिल कैसे ग्राहकों के बैंक में जमा धन को प्रभावित करेगा?