भारत के इस राज्य में होती है शादी में लड़कों की विदाई

भारत विविधताओं का देश है। यहां के हर राज्य की अपनी अनूठी संस्कृति है। क्या आपको पता है कि भारत में एक ऐसा राज्य भी है, जहां शादी के बाद लड़की को नहीं, बल्कि लड़के को अपना घर छोड़ना पड़ता है। यदि नहीं, तो हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे।
लड़कों की विदाई वाला राज्य
लड़कों की विदाई वाला राज्य

भारत विविधताओं का देश है। यहां उत्तर से दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम तक अलग-अलग संस्कृति देखने को मिल जाएगी। कुछ पुरानी संस्कृतियों में पुरानी पंरपराओं का पालन किया जाता है, जो उस राज्य में रहने वाले लोगों को बाकी लोगों से अलग बनाती है। क्या आपको पता है कि भारत में एक ऐसा राज्य भी है, जहां शादी के बाद लड़की को नहीं, बल्कि लड़कों को घर छोड़ना पड़ता है। वहीं, परिवार में मुखिया भी महिला होती है। आज हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि भारत में ऐसा राज्य कहां है और कौन लोग इस पंरपरा का पालन करते हैं। 



कौन सा है राज्य

भारत के मेघालय राज्य में चेरापूंजी इलाके में खासी जनजाति में शादी होने के बाद लड़कों को अपना घर छोड़ना पड़ता है। दरअसल, यहां शुरू से ही परंपरा है कि शादी के बाद लड़की अपने घर ही रहती है, जबकि लड़के अपना घर छोड़कर लड़की के घर में पहुंचते हैं।

 

कुछ समय बाद बदल लेते हैं घर

चेरापूंजी में खासी जनजाति में लड़के अपना घर छोड़ने के बाद कुछ समय तक लड़की के घर रहते हैं। हालांकि, कुछ समय बाद वह अपना घर बदल लेते हैं। ऐसे में लड़का खुद मेहनत करके अपना घर बनाता है, जिसके बाद वह लड़की के घर से अलग हो जाता है।

 

सबसे छोटी लड़की रहती है साथ 

खासी जनजाति में सबसे छोटी लड़की साथ में रहती है। यहां ऐसी परंपरा है कि सबसे छोटी बेटी मां-बाप की सेवा करेगी। हालांकि, उससे बड़ी बेटियां अपना घर छोड़कर अलग हो सकती हैं। लेकिन, यह एक निश्चित समय के बाद ही किया जा सकता है। 



पसंद से शादी करने की आजादी

इस समुदाय में लड़कियों को अपनी पसंद से शादी करने की इजाजत भी होती है। यदि किसी लड़की को कोई लड़का पसंद है, तो वह अपने घर में यह बात साझा कर सकती है, जिसके बाद परिवार लड़के के बारे में जानकारी हासिल कर शादी के लिए हां कर देते हैं।

 

महिलाएं होती हैं मुखिया

यहां पर पुरुषों के बजाय महिलाएं ही घर की मुखिया होती हैं। महिलाएं ही पूरा घर चलाती हैं। साथ ही वह काम भी करती हैंं। कुछ मामलों में पुरुष सिर्फ घर में रहते हैं, जबकि महिलाएं काम कर कमाती हैं। 

 

बेटियों को अधिक मिलती है प्रोपर्टी

चेरापूंजी में रहने वाली खासी जनजाति में जब भी किसी प्रोपर्टी का बंटवारा होता है, तब अधिक हिस्सा बेटियों को दिया जाता है। इसमें बेटों को कम हिस्सा दिया जाता है, जबकि साथ में रहने वाली सबसे छोटी बेटी को अधिक हिस्सा दिया जाता है। 

 

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