भारत vs चीन: जल, थल और वायुसेना की ताकत का तुलनात्मक अध्ययन

India vs China military strength 2020: चीन का रक्षा बजट सन 2020 में यह US$179 अरब डॉलर था जबकि भारत का रक्षा बजट केवल US$ 70 अरब डॉलर का है. इसके अलावा चीन के पास भारत से अधिक बड़ी सेना भी है. लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि भारत की सेना को पृथ्वी पर दुनिया की सबसे खतरनाक सेना माना जाता है. आइये इस लेख में भारत और चीन के बीच डिफेन्स ताकत की तुलना करते हैं.
India vs. China: Comparision of defence strength
India vs. China: Comparision of defence strength

भारत और चीन एशिया की दो महाशक्तियां मानी जातीं हैं. डोकलाम विवाद के कारण इन देशों के सम्बन्ध और भी कड़वे हो गए हैं. भारत, CPEC (China–Pakistan Economic Corridor) को लेकर पहले ही अपना ऐतराज जता  चुका है. चीन “स्ट्रिंग्स ऑफ़ पर्ल्स प्रोजेक्ट” के जरिये भारत को उसकी सीमा के भीतर चारों ओर से घेरने की कोशिश कर रहा है.

अब सवाल यह उठता है कि आखिर इन दोनों देशों में ज्यादा शक्तिशाली कौन है? क्या आज का भारत वही भारत है जिसको चीन ने 1962 के युद्ध में बुरी तरह से हरा दिया था या फिर आज का भारत इतना शक्तिशाली हो चुका है कि चीन इसके साथ लड़ाई का ख्याल भी अपने दिमाग में नही लायेगा.

आइये इस लेख में यही जानने की कोशिश करते हैं कि इन दोनों देशों की सैन्य ताकत में किसका पलड़ा भारी है?
थल सेना में किसका पलड़ा भारी है?

इतना तो आप जानते हैं कि लड़ाई में क्रूरता और लड़ाई की कला आना बहुत ही जरूरी है. ज्ञातव्य है कि चीन का सैनिक मौका पड़ने पर कुंगफू का इस्तेमाल कर सकता है, और बिना बन्दूक के लड़ सकता है, और किसी भी वस्तु को हथियार की तरह प्रयोग कर सकता है.

इसके अलावा चीनी सैनिक खाने के लिए अंडे मांस या अन्य पौष्टिक आहारों की खेप का इंतजार न करके जानवर, पशु-पक्षी, सांप-बिच्छू को खाकर अपना पेट भर सकते हैं और तो और वे मरे हुए सैनिकों को भी कच्चा खा सकते हैं . चीन के सैनिक ठन्डे इलाकों में भी आसानी से रह सकते है. चीनी सेना में मंगोल सैनिक हैं, जो दुनिया के सबसे क्रूर और खूंखार सैनिक हैं. भारत के ऊपर जब नादिरशाह और चंगेश खान ने आक्रमण किया था तो उनकी मुख्य ताकत उनकी सेना के मंगोल सैनिक ही थे.
दूसरी ओर यह बात भी किसी से नही छुपी है कि भारत के सैनिकों को पृथ्वी पर लड़ी जाने वाली लडाइयों के लिए दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में गिना जाता है. “यह कहना गलत नही होगा कि यदि किसी सेना में अगर अंग्रेज अफसर हो, अमेरिकी हथियार हों और हिंदुस्तानी सैनिक हों तो उस सेना को युद्ध के मैदान में हराना नामुमिकन होगा.”

अब यह सवाल उठता है कि क्या भारत के सैनिक इतने क्रूर हैं और इतने अधिक तैयार हैं कि वे कुछ भी खाकर युद्ध में डटे रहेंगे. इसका उत्तर होगा नही. लेकन फिर भी भारत से जीतना चीन के लिए आसान नही होगा जानिए क्यों ?

भारत vs चीन: 13 विभिन्न क्षेत्रों में तुलना
भारतीय नौसेना की ताकतें क्या हैं? (Indian Navy Strength)
(i). युद्धपोत (Aircraft)                    --1
(ii). विमान वाहक युद्धपोत                  -- 18
(iii). लड़ाकू युद्धपोत (Frigates)           --15
(iv). विध्वंसक युद्धपोत (Destroyer)     --10
(v). छोटे जंगी जहाज़ (Corvettes)       --20
(vii). पनडुब्बियां (Submarines)          --14
(viii). गस्ती युद्धपोत (Patrol Craft)     --135
(ix). समुद्री बेड़े                             --295
INS विक्रमादित्य युद्धपोत
INS विक्रमादित्य युद्धपोत, पूर्व सोवियत विमान वाहक एडमिरल गोर्शकोव का नया नाम है. इस विमान वाहक पोत को 2013 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था. इसकी लंबाई लगभग तीन फुटबॉल मैदानों तथा ऊंचाई लगभग 22 मंजिली इमारत के बराबर है.
इस पर कामोव-31, कामोव-28, हेलीकॉप्टर, मिग-29-K लड़ाकू विमान, ध्रुव और चेतक हेलिकॉप्टरों सहित तीस विमान और एंटी मिसाइल प्रणालियां तैनात होंगी, जिसके परिणामस्वरूप इसके एक हजार किलोमीटर के दायरे में दुश्मन के लड़ाकू विमान और युद्धपोत नहीं फटक सकेंगे. विक्रमादित्य में 1,600 लोगों को ले जाने की क्षमता है और यह 32 नॉट (59 किमी/घंटा) की रफ्तार से गश्त करता है और 100 दिन तक लगातार समुद्र में रह सकता है.

INS vikramaditya
INS चक्र-2
आईएनएस चक्र-2, भारतीय नौसेना की नाभिकीय ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी है. भारत ने इसे रूस से 10 साल (रूस से एक अरब डॉलर के सौदे पर) के लिए लीज पर लिया है. इसे 4 अप्रैल 2012 को विशाखापत्तनम में भारतीय सेना को सुपुर्द किया गया था. भारतीय नौसेना में शामिल यह पनडुब्बी परमाणु अटैक करने में सक्षम एम् मात्र पनडुब्बी है.

यह पलक झपकते ही चीन और पाकिस्तान पर परमाणु हमला कर सकती है. यह पनडुब्बी 600 मीटर तक पानी के अंदर रह सकती है. यह तीन महीने लगातार समुद्र के भीतर रह सकती है. समुद्र में इसकी रफ्तार 43 किमी प्रति घंटा है.
चीन की नौसेना की ताकत इस प्रकार है (Naval Strength of China)
(i). युद्धपोत (Aircraft)                  --1
(ii). विमान वाहक युद्धपोत              -- 48
(iii). लड़ाकू युद्धपोत (Frigates)        --51
(iv). विध्वंसक युद्धपोत (Destroyer) --35
(v). छोटे जंगी जहाज़ (Corvettes)   --35
(vi). पनडुब्बियां (Submarines)      --68
(vii). गस्ती युद्धपोत (Patrol Craft) --220
(viii). समुद्री बेड़े                       --714

भारत के सामने क्या चुनौतियाँ होंगी?
चीन के साथ की लड़ाई मैंदान की लड़ाई नहीं होगी, यह पहाड़ों की लड़ाई होगी, और पहाड़ों की लड़ाई में तोप और गोलों की जगह पैदल सेना का ज्यादा महत्त्व होता है. यहाँ पर चीन की सेना के पास एडवांटेज होगा क्योंकि वे हमसे ज्यादा ऊंचे स्थान पर बैठे होंगे.

भारत की लड़ाई चीन की सेना से कई मोर्चों पर होगी. यह लड़ाई पाकिस्तानी कश्मीर से फिर लद्दाख फिर तिब्बत, नेपाल, सिक्किम, भूटान, से होती हुई अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, मणिपुर और बर्मा तक फैली होगी. यहाँ पर यह बात ध्यान में रखनी है कि बर्मा और म्यांमार दोनों ही चीन की गोद में बैठे हैं और भारत के खिलाफ लड़ाई में चीन का साथ देंगे.
तो क्या भारत के पास इतनी पैदल सेना (infantry) है की वह पूरे हिमालय क्षेत्र में उसे लगा सके और उसके पास गोला बारूद, तोपें, बंदूकें और खाने पीने का सामान इत्यादि पहुंचा सके. ध्यान रहे कि भारत के पास कुल एक्टिव सेना 13.25 लाख है. इसके विपरीत चीन की कुल आर्मी 23.35 लाख है और उसने पूरे हिमालय में अपनी सेना को लगा रखा है, और अपने सैनिकों को पूरी तरह तैयार कर रखा है.

इतना ही नही यदि चीन से लड़ाई शुरू होती है तो पाकिस्तान, भारत के खिलाफ एक अलग मोर्चा खोल देगा. सबसे खतरनाक हालात भारत के लिए तब पैदा होंगे जब नक्सली इस मौके का फायदा उठाकर लाल गलियारा स्थापित करने की कोशिश करेंगे. चीन और पाकिस्तान दोनों ही भारत के नक्सलियों को हथियार उपलब्ध कराते हैं.हाल में लातेहार में हुए नक्सली हमले में पाक निर्मित हथियार मिले थे जिससे नक्सली को पाकिस्तानी मदद की पुष्टि होती है.

भारतीय वायुसेना का आकलन  (Indian Air force Analysis)

अब अगर भारत की वायुसेना की ताकत की बात की जाये तो फिलहाल हमें चीन पर भी बढ़त हासिल है. चीन के विमान ऊंचाई वाले एयरबेस से उड़ान भरेंगे, वो कम ईंधन और हथियार लेकर ही उड़ सकेंगे. चीन के पास हवा में ईंधन भरने वाले विमान भी नहीं हैं, इसलिए चीन की वायुसेना के मुकाबले भारत की स्थिति बेहतर है.

हालाँकि इस समय भारतीय वायुसेना जिन लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल कर रही है, उनमें से आधे अगले 9 सालों में रिटायर हो जाएंगे. इस समय वायुसेना के पास 35 फाइटर स्क्वाड्रन हैं. जबकि भारत सरकार ने 42 स्क्वाड्रन की मंजूरी दी हुई है जबकि जरूरत 45 स्क्वाड्रन की है.

संसद की स्थायी समिति की हालिया रिपोर्ट पर विश्वास करें तो इस वक्त वायुसेना की सही ताकत 25 स्क्वाड्रन तक सिमट गई है. इन 25 स्क्वाड्रन में से 14 के पास मिग-27 और मिग-21 लड़ाकू विमान हैं. ये विमान 2015 से 2024 के बीच रिटायर होंगे. चिंता की बात यह है कि 2024 तक भारतीय वायुसेना की ताकत 11 स्क्वाड्रन तक ही सिमटकर रह जाएगी.

भारत की वायुसेना चीन से बेहतर कैसे है? (How Indian Air force is better than China)

मिराज-2000, मिग-29, C-17 ग्लोबमास्टर मालवाहक विमान और लॉकहीड मार्टिन कंपनी का बनाया C-130J सुपर हरक्यूलिस मालवाहक विमानों के अलावा हमारे पास सुखोई-30 जैसे लड़ाकू विमान हैं, जो तीन हजार किलोमीटर दूर तक मार कर सकते हैं और लगातार पौने चार घंटे तक हवा में रह सकते हैं.

इसके अलावा अब भारत के पास फ़्रांस का राफेल जेट विमान भी आने ही वाला है जो कि दक्षिण एशिया में युद्ध का नक्शा ही बदल देगा.

भारत को अमेरिका से 4 चिनूक हेलिकॉप्टर पहले ही मिल चुके हैं. चिनूक हेलीकॉप्टर से भारतीय सेना को हथियार आसानी से मुहैया करवाए जा सकेंगे और भारतीय सेना अपनी टुकड़ियों को दुर्गम और ऊंचे इलाकों में जल्दी पहुंचा सकेगी. यह हेलीकॉप्टर बहुत तेजी से उड़ान भरने में सक्षम है, यही वजह है कि यह बेहद घनी पहाड़ियों में भी सफ़लतापूर्वक काम कर सकता है.

भारत के पास ब्रह्मोस जैसी जबरदस्त मिसाइल भी है. इसकी रफ्तार 952 मीटर प्रति सेकेंड की है. इसके आगे दुश्मन के रडार भी फेल हो जाते हैं और अगर 30 किलोमीटर के दायरे में दुश्मन का रडार इनका पता भी लगा लेता है तो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उन्हें रोकने के लिए 30 सेकेंड से कम का ही समय होता है.
brahmos missile
भारत की वायुसेना की ताकत इस प्रकार है:
1. भारतीय वायुसेना में करीब 1 लाख 40 हजार सैनिक हैं.
2. भारत के पास 1700 एयरक्राफ्ट हैं.
3.  भारतीय वायुसेना में 900 कॉम्बैट एयरक्राफ्ट हैं.
4. भारत के पास 10 की संख्या में C-17 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट हैं जो कि एक बार में 4200-9000 किमी की दूरी तक 40-70 टन के पेलोड ले जाने में सक्षम है.
5. सबसे अहम् भारत की फ़्रांस के साथ 126 राफेल फाइटर जेट की डील फाइनल हो चुकी है और जल्दी ही 4 विमान भारत को मिलने वाले हैं.
चीन की वायुसेना की ताकत इस प्रकार है:
1. पीपल्स लिबरेशन आर्मी एयरफोर्स दुनिया की दूसरी बड़ी वायुसेना है.
2. चीनी वायुसेना “PLAAF” में करीब 3 लाख 30 हजार सैनिक हैं.
3. चीन के पास 2800 मेन स्ट्रीम एयरक्राफ्ट हैं.
4. 1900 कॉम्बैट एयरक्राफ्ट हैं.
5. चीनी वायुसेना ने 192 आधुनिक लांचर बनाये हैं.
6. चीन के पास S-300 जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल है.
इस प्रकार ऊपर दिए गए सभी तथ्यों का आकलन करने के बाद यह कहा जा सकता है कि यदि कुछ मोर्चों पर चीन का पलड़ा भारी है तो कुछ पर भारत का.

एक कडवी सच्चाई यह है कि ये दोनों देश पूरे विश्व के 2 चमकते हुए सितारे हैं इन दोनों की अर्थव्यवस्था पर ही विश्व की अर्थव्यवस्था टिकी हुई है. इसलिए विश्व के अन्य विकसित देश इन दोनों देशों के बीच युद्ध की किसी भी संभावना को ख़त्म करने में कोई कसर नही छोड़ेंगे जो कि विश्व में शांति और विकास के लिए सबसे जरूरी है.हमें उम्मीद है कि इन दोनों देशों के लीडर आपसी मुद्दों को बुलेट की नोक से नही बल्कि कलम की नोक से सुलझा लेंगे.

यदि भारत और चीन का युद्ध होता है तो भारत का साथ कौन से देश देंगे

भारत vs चीन: 13 विभिन्न क्षेत्रों में तुलना

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