Indian Railways: 111 सालों से पटरियों पर दौड़ रही है देश की सबसे पुरानी ट्रेन, जानें

Indian Railways: भारतीय रेलवे प्रतिदिन हजारों की संख्या में ट्रेनों का संचालन करता है, जिसमें यात्री ट्रेनों की संख्या 13 हजार से अधिक हैं। इन ट्रेनों के माध्यम से प्रतिदिन करोड़ों की संख्या में यात्री सफर कर अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं। हालांकि, क्या आपको भारत की सबसे पुरानी ट्रेन के बारे में पता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इसके बारे में जानेंगे।
देश की सबसे पुरानी ट्रेन
देश की सबसे पुरानी ट्रेन

Indian Railways: भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा और एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, जो कि प्रतिदिन 13 हजार से अधिक यात्री ट्रेनों का संचालन करता है। यह ट्रेनें देश के 7 हजार से अधिक रेलवे स्टेशनों से गुजरते हुए यात्रियों को उनकी मंजिलों तक पहुंचाती हैं। वहीं, ट्रेन में यात्रा करने वाली यात्रियों की संख्या भी करोड़ों में है। यही वजह है कि रेलवे को देश में यातायात के प्रमुख साधनों में गिना जाता है। समय के साथ-साथ रेलवे की ओर से यात्रियों की सुविधा के लिए विभिन्न प्रकार की ट्रेनों का संचालन किया गया, जिसके तहत कुछ नई ट्रेनों को भी जोड़ा गया। हालांकि, इसके साथ कुछ पुरानी ट्रेनों की सेवाओं को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया, लेकिन इसके बावजूद भी रेलवे में एक ऐसी ट्रेने है, जो कि 111 साल से रेलवे से जुड़ी हुई है। इस ट्रेन का आज भी संचालन किया जाता है और यह मुसाफिरों को पहुंचाने में अपनी भूमिका निभा रही है। कौन-सी है यह ट्रेन और कहां से कहां तक होता है इस ट्रेन का संचालन, जानने के लिए यह लेख पढ़ें। 

 

यह है देश की सबसे पुरानी ट्रेन

देश की सबसे पुरानी ट्रेन पंजाब मेल है, जो कि पंजाब के फिरोजपुर से मुंबई के बीच चलती है। मुबंई से उत्तर भारत के रूट पर चलने वाली यह ट्रेन सबसे प्रमुख ट्रेनों में शामिल है।

 

कब चलाई गई थी यह ट्रेन

इस ट्रेन को पहली बार 1 जून, 1912 को चलाया गया था। उस समय यह ट्रेन बल्लार्ड पियर रेलवे स्टेशन से पेशावर तक जाती थी। वर्तमान में यह मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से लेकर पंजाब के फिरोजपुर तक चलती है। ऐसे में इस ट्रेन ने अपने 111 साल पूरे कर लिए हैं, जिसके साथ यह ट्रेन भारत की सबसे पुरानी ट्रेन हो गई है। 

 

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क्यों चलाई गई थी यह ट्रेन

इस ट्रेन को उस दौर में विशेष रूप से अंग्रेजों के लिए चलाया गया था। इस ट्रेन के माध्यम से  ब्रिटिश और सिविल सेवा के अधिकारी अपने परिवार के साथ सफर किया करते थे। वे इस ट्रेन के माध्यम मुंबई से दिल्ली तक का सफर पूरा करते थे और दिल्ली से मुंबई तक तक का सफर पूरा कर पानी के जहाज में सवार हो जाते थे। 

 

1930 में बैठा था आम आदमी

साल 1912 के बाद से चलने के दौरान इसमें आम व्यक्ति को बैठने की अनुमति नहीं थी। यही वजह रही कि इस ट्रेन में पहली बार 1930 में आम आदमी के सफर को अनुमति दी गई। इसके तहत आम आदमी के लिए इसमें थर्ड क्लास डिब्बे लगाए गए थे। वहीं, शुरुआत में यह ट्रेन कोयले के इंजन और लकड़ियों के डिब्बों से चला करती थी। इस ट्रेन को पंजाब लिमिटेड नाम से जाना जाता था, जिसका बाद में नाम बदलकर पंजाब मेल कर दिया गया। साल 1945 में पहली बार इस ट्रेन में एसी कोच लगे थे और आज यह 24 कोच के साथ एक तरफ की 1930 किलोमीटर की यात्रा पूरी करती है। 

 

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