Indian Railways: क्या होता है रेलवे का Kavach System और हादसे रोकने में कैसे करता है मदद, जानें

Indian Railways: हाल ही में ओडिसा के बालासोर में भीषण रेल हादसे के बाद भारतीय रेलवे का कवच सिस्टम चर्चाओं में आ गया है। रेलवे में सुरक्षा के लिहाज से यह सिस्टम अधिक महत्वपूर्ण बताया जाता है, जिससे हादसे रोकने में मदद मिलती है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे कि क्या होता है कवच सिस्टम और हादसे रोकेन में इससे कैसे मदद मिलती है, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
भारतीय रेलवे कवच सिस्टम
भारतीय रेलवे कवच सिस्टम

Indian Railways: भारतीय रेलवे दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेलवे हैं। इसके साथ ही यह एशिया की सबसे बड़ी रेलवे है। प्रतिदिन करोड़ों यात्री रेलवे पर भरोसा कर अपनी मंजिलों तक का सफर पूरा करते हैं। हालांकि, हाल ही में ओडिसा के बालासोर(Odisha train accident) में हुए भीषण रेल हादसे के बाद रेलवे में सुरक्षा के लिए उपयोग होने वाला Kavach System चर्चाओं में आ गया है। क्या आपको पता है कि रेलवे का यह कवच सिस्टम क्या होता है। यदि नहीं, तो इस आर्टिकल के माध्यम से हम रेलवे के इस अति सुरक्षित कहे जाने वाले सिस्टम के बारे में जानेंगे। 

 

क्या होता है Kavach System

कवच सिस्टम एक स्वेदेशी Anti Protection System(APS) है, जिसे Research Design & Standards Organisation(RDSO) द्वारा साल 2002 में तीन वेंडर के साथ मिलकर बनाया गया था। इसे विशेष रूप से रेल हादसे रोकने के लिए तैयार किया गया था, जिससे जान-माल का नुकसान न हो सके। 

 

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कहां और कितने रूट पर है कवच

कवच सिस्टम के लिए 2022 के बजट में आत्मनिर्भर भारत के तहत भी घोषणा की गई थी, जिसके तहत रेल नेटवर्क को इससे लैस करने की बात थी। वर्तमान में दक्षिण-मध्य रेलवे में यह 1098 किलोमीटर के रूट और 65 लोकोमोटिव में लगाया गया है। इसके अलावा 1200 किलोमीटर के रूट को इससे लैस करने का काम चल रहा है। वहीं, साल 2022 में 1,000 करोड़ रुपये के टेंडर के साथ 3000 किलोमीटर को इससे लैस करने के लिए टेंडर फ्लोट किया गया था, जिसमें दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा रूट शामिल है।  

 

हादसे रोकने में कैसे करता है मदद 

 

-यदि कोई ट्रेन लाल सिग्नल होने के बाद भी क्रास कर जाती है, तब उसे Signal Passed at Danger(SPAD) माना जाता है। इस स्थिति में कवच सिस्टम सक्रिय होकर ट्रेन में ऑटेमेटिकक ब्रेक्स को रिलिज करता है, जिससे ट्रेन की रफ्तार कम हो जाती है। 

 

-यदि कोई ट्रेन ओवरस्पीड में होती है, तब यह सिस्टम अप्लाई होता है और ट्रेन के ब्रेक्स का इस्तेमाल कर स्पीड कम कर देता है।

 

-यदि मौसम खराब होता है या फिर अधिक कोहरा होता है, तब इसकी मदद से ट्रेन का संचालन किया जा सकता है। यह सिग्नल सिस्टम की मदद से लोको-पायलट की ट्रेन के ऑपरेशन में मदद करता है।

 

-यदि किसी एक ट्रैक पर दो ट्रेनें होती हैं, तो सिग्नल सिस्टम की मदद से जानकारी लेकर यह ऑटोमेटिक ब्रेक्स लगाकर ट्रेन को रोक देता है, जिससे दो ट्रेनें आपस में भीड़ने से रूक जाती हैं। एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनों को भीड़ने से रोकने के लिए यह सबसे कामगर प्रणाली मानी जाती है। 

 

- रेलवे में कई हादसे रेलवे फाटक पर भी होते हैं, जिसकी वजह लोगों का इंतजार न करना है। ऐसे में लोग जल्दी में फाटक से गुजरते हैं और अक्सर रेल हादसे का शिकार हो जाते हैं। पूर्व में भी इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं। इसके लिए रेलवे की ओर से फाटक को सिग्नल सिस्टम से जोड़ा जा रहा है, जिससे सिग्नल होने पर ही फाटक खुले। वहीं, फाटक को पार करते हुए लोको पायलट को सीटी देने के लिए कहा जाता है, जिससे फाटक पर खड़े लोग सतर्क हो सके। वहीं, अब ट्रेन की सीटी को कवच सिस्टम के साथ जोड़ दिया गया है, जिससे जब भी ट्रेन फाटक से गुजरेगी, तो इसकी मदद से ऑटोमेटिक सीटी बजेगी। 

 

-यह एक लोको-पायलट को दूसरे लोको-पायलट से संवाद स्थापित करने में मदद करता है, जिससे ट्रेन की सही लोकेशन की जानकारी मिल सके और बेहतर समन्व्य के साथ ट्रेनों का संचालन हो सके।



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