Indian Railways: भारत में कहां चलती है रेलबस और क्या है किराया, जानें

Indian Railways: भारत में आपने ट्रेन और बस, दोनों का ही सफर किया है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि यदि ट्रेन और बस को मिला दिया जाए, तो क्या बन सकता है। दरअसल, भारतीय रेलवे यह काम बहुत पहले ही कर चुकी है, जिसे रेलबस का नाम दिया गया था। यह आज भी भारत के विभिन्न राज्यों में देखने को मिल जाती है, जो कि शहर के अंदर ही एक सीमित दूरी तक का सफर पूरी करती है। इस लेख के माध्यम से हम रेलबस का इतिहास, संचालन का स्थान और इसके किराये के बारे में जानेंगे। रेलबस से संबंधित जानकारी जानन के लिए यह लेख पढ़ें।
क्या होती है रेलबस
रेलबस का निर्माण ट्रेन और बस को ध्यान में रखते हुए किया गया है। यह अन्य ट्रेन की तरह लंबी होने के बजाय सिर्फ एक कोच जितनी होती है। रेलबस में बोगी के ऊपर बस की तरह कोच को फिट किया जाता है, जिसके बाद रेलबस तैयार हो जाती है। इसमें दोनों तरफ लोको-पायलट केबिन होते हैं, जिससे रेलबस का संचालन किया जाता है। वहीं, यात्रियों के चढ़ने और उतरने के लिए दो गेट की सुविधा दी जाती है।
क्या है रेलबस का इतिहास
रेलबस का इतिहास 1925 में हंगरी से शुरू हुआ था, जहां इसे लोकल यात्रियों के लिए चलाया गया था। इसके बाद 1930 में यह दुनिया के अलग-अलग हिस्सों तक तेजी से फैल गई। भारत में भी इसके चलने पर रेलयात्रियों ने इसे खूब पसंद किया था।
कितनी होती हैं सीट
एक रेलबस में अधिकतम 70 सीटों पर सवारी बैठ सकती है। हालांकि, इसके अलावा कुछ यात्री खड़े होकर भी यात्रा कर सकते हैं।
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कितनी होती है रफ्तार
रेलबस अन्य रेलगाड़ियों की तुलना में हल्की होती है, जिसका Gross Weight 16 टन तक हो सकता है। इसके साथ ही इसमें 16 सिलिंडर वाला इंजन होता है और अधिकतम रफ्तार 60 किलोमीटर प्रतिघंटा तक होती है।
इन जगहों पर देखने को मिलती है रेलबस
भारत में सिर्फ कुछ जगहों पर ही रेलबस की सेवा देखने को मिलती है। इसमें शिमला-कालका, मथुरा-वृंदावन, बंगारपेट-कोलार, गोविंदवाल- ब्यास और बोबीली शामिल है। इसके अलावा मीटरगेज पर सिल्चर-जीरीबाम, जूनागढ़-धारी, शिमोगा-तालागुप्पा और अंबलीयासन-विजयपुर शामिल है। हालांकि, इसमें से अब सिर्फ कुछ ही जगहों पर रेलबस सेवा बची है।
इतना है किराया
अभी हाल ही कुछ समय पहले ही रेल मंत्रालय की ओर से मथुरा और वृंदावन के बीच जन्माष्टमी पर दोबारा से रेलबस को शुरू किया गया था। इस रेलबस को पहले से अधिक आरामदायक बनाया गया था, जिससे यात्रियों को सफर में कोई परेशानी न हो। इस रेलबस का संचालन दिन में दो बार किया जाता है। पहली रेलबस मथुरा से सुबह 8ः55 मिनट पर चलती है और 9ः30 बजे वृंदावन पहुंचती है। वहीं, दूसरी रेलबस मथुरा से दोपहर 3ः20 पर चलती है, जो कि दो स्टेशन मसानी और श्रीकृष्ण जन्म स्थान पर रूकती है।