कौन-सी है भारत की सबसे ऊंची चोटी और कितनी है ऊंचाई, जानें

यह बात हम सभी को पता है कि दुनिया का सबसे ऊंचा पहाड़ Mt. Everest है, जिसकी ऊंचाई 8849 मीटर है। हालांकि, क्या आपको भारत का सबसे ऊंचा पहाड़ पता है और यह कहां स्थित है। इस लेख के माध्यम से हम भारत के सबसे ऊंचे पहाड़, इसकी ऊंचाई और इसके स्थान के बारे में जानेंगे।
भारत की सबसे ऊंची चोटी
भारत की सबसे ऊंची चोटी

दुनिया में अलग-अलग जगहों पर ऊंचे-ऊंचे पर्वत देखने को मिल जाएंगे। वहीं, जब भी बात दुनिया की सबसे ऊंची चोटी की होती है, तो सबके दिमाग में Mt. Everest का नाम आता है, जिसकी ऊंचाई 8849 मीटर है। दुर्गम रास्तों और मुश्किल परिस्थितियों को पार कर इसकी चोटी पर पहुंचने वाले लोगों की अक्सर कहानियां भी सुनने को मिलती है। हालांकि, क्या आपको भारत के सबसे ऊंचे पहाड़ के बार में पता है और यह कहां पर स्थित है और इसकी कितनी ऊंचाई है। माउंट एवरेस्ट की तरह यह पहाड़ भी अपने दुर्गम रास्तों के लिए जाना जाता है और यहां का मौसम भी पर्वतारोहियों के लिए नई परेशानियों को खड़ा करता है। इस लेख के माध्यम से हम भारत के सबसे ऊंचे पहाड़ और इससे जुड़ी खास बातें जानेंगे। 

 

यह है भारत का सबसे ऊंचा पहाड़

भारत की सबसे ऊंची चोटी कंचगजंगा पहाड़ है, जिसकी ऊंचाई 8586 मीटर यानि 28, 169 फीट है। इसके साथ ही यह दुनिया का तीसरा सबसे ऊंचा पहाड़ है, जो कि अपनी दुर्गम चोटियों के लिए जाना जाता है, जो कि भारत और नेपाल सीमा पर है।

 

कैसे पड़ा पहाड़ का नाम 

कंजनजंगा नाम की उत्पत्ति तिब्बती मूल के चार शब्दों से हुई है, जिसमें कान-छेन-दजो-ंगा है। सिक्किम में इसका अर्थ ऊंचे पहाड़ के पांच खजानों से है। वहीं, नेपाल में इस पहाड़ को लंगूर कुंभकरण के नाम से जाना जाता है। 

 

Jagranjosh

क्या है इस पहाड़ की भूगौलिक स्थिति

दुनिया का तीसरा सबसे ऊंचा पहाड़ दार्जिंलिंग से 74 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-पश्चिमोत्तर में स्थित है। इसके साथ यह सिक्किम व नेपाल की सीमा को छूने वाला भारत के हिमालय पर्वत श्रेणी की हिस्सा है। इसकी भुजाएं चारों दिशाओं में फैली हुई है, वहीं इससे चार हिमनद भी बहते हैं, जिसमें पूर्वोत्तर में जेमु, दक्षिण-पूर्व में तालूंग, दक्षिण-पश्चिम में यालुंग और पश्चिमोत्तर में कंचनजंगा है। 

 

क्या है इस पर्वत से जुड़ा इतिहास 

इस पर्वत का पहला मैप 19 शताब्दी के मध्य में एक विद्वान रीनजिन नांगयाल द्वारा तैयार किया गया था। वहीं, साल 1848-49 में एक वनस्पतिशास्त्री जोजेफ हुकर इस क्षेत्र में आने वाले पहले यूरोपीय थे। वह ही पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने यहां का वर्णन किया था।  आपको यह भी बता दें कि इस पर्वत पर शुरुआत में कई पर्वतारोहियों ने चढ़ने की कोशिश की, लेकिन कई बार यहां हादसे हुए और उन हादसों में कुछ लोगों को अपनी जान भी गवानी पड़ी, जिसके बाद इसे सबसे खतरनाक पर्वतों में शामिल किया गया। इसके बाद 1954 तक इस पर्वत पर चढ़ाई नहीं की गई। हालांकि, साल 1955 में यहां ब्रिटिश दल ने चढ़ाई शुरू की और इसकी चोटी से कुछ दूर पहले ही रूक गए थे। 

 

पढ़ेंः World’s Hottest Places: ये हैं दुनिया की सबसे गर्म जगह, 60 डिग्री से ऊपर रहता है तापमान



Get the latest General Knowledge and Current Affairs from all over India and world for all competitive exams.
Jagran Play
खेलें हर किस्म के रोमांच से भरपूर गेम्स सिर्फ़ जागरण प्ले पर
Jagran PlayJagran PlayJagran PlayJagran Play

Related Categories