कौन-सा है भारत का सबसे ऊंचा झरना, जानें

भारत में आपको सैकड़ों की संख्या में प्रमुख झरने देखने को मिल जाएंगे। इनकी सुंदरता यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को एक नजर में ही मोह लेती है। प्रकृति की गोद में बसे इन झरनों से गिरता पानी और आसपास हरियाली की बीच शांति और सुंदर वादियों का मनोरम दृश्य पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए काफी है। हालांकि, क्या आपको भारत के सबसे ऊंचे झरने के बारे में पता है। यदि नहीं, तो इस आर्टिकल के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
भारत का सबसे ऊंचा झरना
भारत का सबसे ऊंचा झरना

भारत के विभिन्न राज्यों में सैकड़ों झरने हैं, जो कि अपनी सुंदरता के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। प्रकृति की गोद में बसे इन झरनों से गिरता पानी और आसपास हरियाली एकाएक ही यहां आने वाले पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। यही वजह है कि प्रकृति प्रेमी इन सुंदर नजारों को देखने के लिए कई किलोमीटर की ट्रैकिंग कर यहां तक पहुंचते हैं। दक्षिण भारत में जब भी आप यात्रा पर जाएंगे, तो यहां आपको अलग-अलग झरने मिल जाएंगे। हालांकि, एक ऐसा झरना भी है, जो कि पूरे भारत में सबसे ऊंचा है। क्या आप जानते हैं कि कौन-सा है यह झरना, यदि नहीं, तो इस आर्टिकल के माध्यम से हम भारत के सबसे ऊंचे झरने के बारे में जानेंगे।   

 

यह है भारत का सबसे ऊंचा झरना

भारत के सबसे ऊंचे झरने के बात करें, तो वह Kunchikal Waterfalls है, जो कि कर्नाटक के शिमोगा जिले में स्थित है। यह झरना ऊंचे पत्थरों से नीचे गिरता है, जिसकी कुल ऊंचाई 455 मीटर है।

 

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कैसे बनता है यह झरना

Kunchikal Waterfalls का निर्माण वरही नदी से होता है, जो कि पश्चिमी घाट में बहने वाली नदी है। वरही नदी को हालादी नदी के रूप में जाना जाता है, जो कि हालादी, बसरूर, कुंडापुरा और गंगोली होते हुए बहती है। यह नदी सौपर्णिका, केदका, चक्र और कुब्जा नदी के साथ मिलकर अंत में अरब सागर में मिल जाती है। इस दौरान इस नदी का पानी कर्नाटक के शिमोगा जिले में स्थित पहाड़ियों से नीचे गिरता है, जिसके बाद भारत के सबसे ऊंचे झरने के रूप में कुंचीकल झरना बनता है। 

 

बांध बनने से झरने पर पड़ा है प्रभाव

Kunchikal Waterfalls के पास स्थित मनी गांव में हाइड्रो-इलेक्ट्रिसिटी के लिए बांध का निर्माण किया गया है, जो कि वरही नदी के ऊपर है। इसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई के साथ पानी से बिजली बनाकर आसपास के इलाकों में बिजली की आपूर्ति पूरी करना है। हालांकि, इस डैम के बनने से इस झरने में गिरने वाली पानी में काफी कमी आ गई है। अब इस झरने में सिर्फ बरसात के दिनों में ही अधिक पानी देखने को मिलता है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक पहुंचते हैं। 

 

झरना देखने के लिए गेट पास की होती है जरूरत

भारत का सबसे ऊंचा झरना एक प्रतिबंधित क्षेत्र में स्थित है। ऐसे में यहां पर पहुंचने के लिए पर्यटकों को एक गेट पास की जरूरत होती है, जो कि स्थानीय प्रशासन की ओर से जारी किया जाता है। वहींं, यहां पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट मंगलुरू एयरपोर्ट है, जो कि यहां से 138 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा शिमोगा जिले में पहुंच यहां रोड के माध्यम से भी पहुंचा जा सकता है। 

 

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