ज्ञानपीठ सम्मान की स्थापना वर्ष 1961 में ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के प्रकाशक साहू जैन परिवार द्वारा की गयी थी | भारत की लगभग सभी प्रमुख भाषाओं के लेखकों को यह सम्मान प्रदान किया जाता है |
(2017 की ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता कृष्णा सोबती)
ज्ञानपीठ सम्मान से संबन्धित तथ्य :
1. ज्ञानपीठ सम्मान की शुरुआत भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक साहू शांतिप्रसाद जैन की पचासवीं वर्षगाँठ पर 22 मई,1961 को की गयी थी |
2. ज्ञानपीठ सम्मान भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है |
3. प्रथम ज्ञानपीठ सम्मान वर्ष 1965 में जी. शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था |
4. अब तक सर्वाधिक हिंदी के दस लेखकों को यह सम्मान प्रदान किया गया है, उसके बाद आठ कन्नड़ लेखकों को यह सम्मान दिया गया है | बंगाली व मलयालम भाषा के लेखकों को पाँच-पाँच बार यह सम्मान प्रदान किया गया है |
5. ज्ञानपीठ सम्मान भारतीय संविधान की आठवीं सूची में शामिल 22 भाषाओं के भारतीय लेखकों को प्रदान किया जाता है |ज्ञानपीठ सम्मान प्राप्तकर्ता को 11 लाख रुपये और ज्ञान व विद्या की देवी ‘सरस्वती’ की कांस्य प्रतिमा प्रदान की जाती है|
6. वर्ष 1982 से पूर्व यह सम्मान लेखक की किसी एक कृति के लिए प्रदान किया जाता था, लेकिन उसके बाद से यह सम्मान भारतीय साहित्य में आजीवन योगदान के दिया जाने लगा |
7. वर्ष 2015 के लिए ज्ञानपीठ सम्मान रघुवीर चौधरी को प्रदान किया गया है|
ज्ञानपीठ सम्मान प्राप्त लेखकों की सूची :
वर्ष | सम्मानित लेखक | कृति | भाषा | चित्र |
1965 | जी. शंकर कुरूप | ओदक्कुझल (Odakkuzhal) | मलयालम | |
1966 | ताराशंकर बंदोपाध्याय | गणदेवता | बंगाली | |
1967 | कुप्पली वेंकटप्पा पुटप्पा (कुवेम्पु) | श्री रामायण दर्शनम | कन्नड़ | |
उमाशंकर जोशी | निशीथ | गुजराती | | |
1968 | सुमित्रानंदन पंत | चिदंबरा | हिंदी | |
1969 | फ़िराक गोरखपुरी | गुल-ए-नगमा | उर्दू | |
1970 | विश्वनाथ सत्यनारायन | रामायण कल्पवृक्षमू | तेलगू | |
1971 | बिष्णु डे | स्मृति सत्ता भविष्यत | बंगाली | – |
1972 | रामधारी सिंह दिनकर | उर्वशी | हिंदी | |
1973 | दत्तात्रेय रामचन्द्र बेंद्रे | नाकुतंती | कन्नड़ | |
गोपीनाथ मोहंती | मटिमातल | ओडिया | | |
1974 | विष्णु सखाराम खांडेकर | ययाति | मराठी | |
1975 | पी. वी. अकीलन | चित्तरपवई | तमिल | |
1976 | आशापूर्णा देवी | प्रथम प्रतिश्रुति | बंगाली | – |
1977 | के. शिवराम करन्थ | मूकज्जिया कनासुगलू | कन्नड़ | |
1978 | सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ | कितनी नावों में कितनी बार | हिंदी | – |
1979 | बीरेंद्र कुमार भट्टाचार्य | मृत्युंजय | असमिया | – |
1980 | एस. के. पोत्तेक्कत | ओरु देसथिंते कथा | मलयालम | |
1981 | अमृता प्रीतम | कागज ते कैनवास | पंजाबी | |
1982 | महादेवी वर्मा | यामा | हिंदी | |
1983 | मस्ति वेंकटेश अयंगर | चिक्कावीरा राजेंद्र (कोडावा के राजा चिक्कावीरा राजेंद्र का जीवन एवं संघर्ष ) | कन्नड़ | |
1984 | तकाजी शिवशंकर पिल्लई | कयार | मलयालम | |
1985 | पननलाल पटेल | मानवी नी भावई | गुजराती | |
1986 | सचिदानंद रौतेरा | ओडिया | – | |
1987 | विष्णु वामन सिरवाडकर | मराठी साहित्य में उनके योगदान के लिए | मराठी | |
1988 | सी. नारायण रेड्डी | विश्वंभरा | तेलगू | |
1989 | कुर्तलुएन हैदर | आखिरी शब के हमसफर | उर्दू | |
1990 | विनायक कृष्ण गोकक | भारथ सिंधु रश्मि | कन्नड़ | |
1991 | सुभाष मुखोपध्याय | पदातिक (पैदल सैनिक) | बंगाली | |
1992 | नरेश मेहता | हिंदी | – | |
1993 | सीताकांत महापात्र | भारतीय साहित्य में अतुलनीय योगदान के लिए, 1973–92 | ओडिया | |
1994 | यू. आर. अनंतमूर्ति | कन्नड़ साहित्य में उनके योगदान के लिए | कन्नड़ | |
1995 | एम. टी. वासुदेवन नायर | रंडामूझम (Randamoozham) | मलयालम | |
1996 | महाश्वेता देवी | हजार चौरासीर माँ | बंगाली | – |
1997 | आली सरदार जाफरी | उर्दू | – | |
1998 | गिरीश कर्नाड | कन्नड़ साहित्य और रंगमंच (ययाति) में उनके योगदान के लिए | कन्नड़ | |
1999 | निर्मल वर्मा | हिंदी | | |
गुरदयाल सिंह | पंजाबी | – | ||
2000 | इन्दिरा गोस्वामी | दातल हातिर उन्ये खुवा हौदाह (Datal Hatir Unye Khuwa Howdah) | असमिया | |
2001 | राजेंद्र शाह | ध्वनि | गुजराती | |
2002 | डी. जयकान्तन | तमिल | ||
2003 | विन्दा करंदीकर | मराठी साहित्य में उनके योगदान के लिए | मराठी | – |
2004 | रहमान राही | सुभुक सोदा,कलमी राही और सियाह रोडे जरेन मंज (Subhuk Soda, Kalami Rahi and Siyah Rode Jaren Manz) | कश्मीरी | – |
2005 | कुँवर नारायण | हिंदी | – | |
2006 | रविन्द्र कालेकर | कोंकणी | – | |
सत्यव्रत शास्त्री | संस्कृत | |||
2007 | ओ. एन. वी. कुरूप | मलयालम साहित्य में उनके योगदान के लिए | मलयालम | |
2008 | अखलाक मोहम्मद खान ‘शहरयार’ | उर्दू | – | |
2009 | अमरकांत | हिंदी | – | |
श्रीलाल शुक्ल | हिंदी | – | ||
2010 | चन्द्रशेखर कंबरा | कन्नड़ साहित्य में उनके योगदान के लिए | कन्नड़ | |
2011 | प्रतिभा रे | यज्ञसेनी | ओडिया | |
2012 | रावुरी भारद्वाज | पाकुदुरल्लू | तेलगू | |
2013 | केदारनाथ सिंह | अकाल में सारस | हिंदी | |
2014 | भालचन्द्र नेमाड़े | हिन्दू: जगण्याची समरुद्ध अडगल (Jagnyachi Samrudhha Adgal) | मराठी | |
2015 | रघुवीर चौधरी | अमृता (उपन्यास) | गुजराती | |
2016 | शंख घोष | मूखरे बारो, सामाजिक नोय | बंगाली | |
2017 | कृष्णा सोबती | जिंदगीनामा,डार से बिछुड़ी, मित्रो मरजानी | हिंदी |