भारत के इतिहास की 7 प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं की सूची

प्राकृतिक आपदाएं, मनुष्य के नियंत्रण से बाहर हैं. कई आपदाएं मानव निर्मित गतिविधियों का परिणाम होतीं हैं लेकिन बहुत सी प्राकृतिक आपदायें प्रकृति के रूटीन का हिस्सा होतीं हैं. भारत ने अपने इतिहास में कुछ बहुत ही घातक आपदाओं का सामना किया है.
इस लेख में हमने भारत के इतिहास की शीर्ष घातक प्राकृतिक आपदाओं को प्रकाशित किया है. लेकिन इस बिंदु पर आने से पहले हमें प्राकृतिक आपदा की परिभाषा को जानना होगा.
एक प्राकृतिक आपदा एक प्राकृतिक घटना है जो कि मानव गतिविधियों को प्रभावित करता है और मानव जीवन और संपत्ति को बहुत नुकसान पहुंचाती है. प्राकृतिक आपदा के उदाहरण: ज्वालामुखी, बाढ़, सुनामी और भूकंप, या तूफान या चक्रवात आदि.
आइए हम एक-एक करके उनका अध्ययन करें;
1. कशमीर बाढ़ आपदा, 2014
वर्ष: 2014
प्रभावित क्षेत्र: राजौरी, श्रीनगर, बांदीपुर आदि.
मौतों की संख्या: 550+
कारण: निरंतर मूसलाधार वर्षा के कारण झेलम नदी में बाड़ आना
सितंबर 2014 में झेलम नदी का पानी लगातार मूसलाधार वर्षा के कारण काफी बढ़ गया था इसीलिए कश्मीर क्षेत्र के रिहायशी इलाकों में पानी घुस गया था. भारतीय सेना ने इस क्षेत्र के फंसे हुए निवासियों की बहुत मदद की थी. इस बाड़ में करीब 550 लोगों ने अपनी जान गंवाई और लगभग 5000 करोड़ से 6000 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ था.
2. उत्तराखंड फ्लैश फ्लड्स, 2013
वर्ष: 2013
प्रभावित क्षेत्र: इसने राज्य के 13 में से 12 जिलों को प्रभावित किया था. चार जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हुए; रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ और चमोली.
मौतों की संख्या: 5,700 से अधिक
कारण: भारी वर्षा, बड़े पैमाने पर भूस्खलन
उत्तराखंड फ्लैश फ्लड भारत के इतिहास में सबसे विनाशकारी बाढ़ में से एक है. जून 2013 में उत्तराखंड में भारी वर्षा, बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ था. इसमें 14 से 17 जून तक बाढ़ और भूस्खलन जारी रहा और इसमें लगभग 1 लाख तीर्थयात्री केदारनाथ मंदिर में फंस गए थे.
3. बिहार बाढ़ आपदा, 2007
वर्ष: 2007
प्रभावित क्षेत्र: सबसे अधिक प्रभावित जिलों के नाम हैं भागलपुर, पूर्वी चंपारण, दरभंगा, पटना, मुजफ्फरपुर, सहरसा, सीतामढ़ी, और सुपौल आदि.
मौतों की संख्या: 1,287 लोगों और हजारों पशुधन की जान चली गई
कारण: 30 साल के मासिक औसत से पांच गुना अधिक वर्षा
बिहार बाढ़ आपदा 2007 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा बिहार की "जीवित स्मृति" में सबसे खराब बाढ़ के रूप में वर्णित किया गया था. इसका असर बिहार के 19 जिलों पर पड़ा था.
बिहार बाढ़ ने पूरे राज्य में अनुमानित 10 मिलियन लोगों को प्रभावित किया था. लगभग 29,000 घर नष्ट हो गए और 44,000 घर क्षतिग्रस्त हो गए, लगभग 4822 गाँव और 1 करोड़ हेक्टेयर कृषि भूमि इस बाढ़ से क्षतिग्रस्त हो गई थी.
4. हिंद महासागर सुनामी 2004
वर्ष: 2004
प्रभावित क्षेत्र: दक्षिणी भारत और अंडमान निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप द्वीप, इंडोनेशिया, श्रीलंका आदि.
मरने वालों की संख्या: 2.30 लाख
कारण: सुनामी
यह सबसे घातक सुनामी इंडोनेशिया के सुमात्रा के पश्चिमी तट पर शुरू हुई थी. कुल मिलाकर इसने लगभग 12 देशों को प्रभावित किया और 2.3 लाख से अधिक लोगों को मार डाला था.
इस सुनामी की तीव्रता 9.1 और 9.3 के बीच थी और यह लगभग 10 मिनट तक जारी रही थी. अनुसंधान के अनुसार यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा भूकंप था जो अब तक दर्ज किया गया है.
5. गुजरात भूकंप, 2001
वर्ष: 2001
प्रभावित क्षेत्र: कच्छ, अहमदाबाद, भुज, गांधीनगर, सूरत, सुरेंद्रनगर, राजकोट, जामनगर आदि.
प्रभावित: मौतें 20,000, घायल 167,000 और लगभग 400,000 लोग बेघर हो गए.
कारण: भूकंप
यह 26 जनवरी, 2001 को भारत के 51 वें गणतंत्र दिवस समारोह का दिन था. अचानक, कच्छ (गुजरात) के भचाऊ तालुका में रिक्टर स्केल पर 7.6 से 7.9 की तीव्रता के भूकंप का आया और 120 सेकंड तक चला था. इस आपदा में लगभग 20,000 लोग मारे गए, 167,000 घायल हुए और लगभग 400,000 लोग बेघर हो गए.
6. सुपर साइक्लोन, ओडिशा, 1999
वर्ष: 1999
प्रभावित क्षेत्र: केंद्रपाड़ा, भद्रक, बालासोर, केंद्रपाड़ा, जगतसिंहपुर, गंजम और पुरी आदि के तटीय जिले.
मौतों की संख्या: लगभग 15,000+
कारण: चक्रवात
सन 1999 का सुपर साइक्लोन, उत्तर हिंद महासागर में सबसे खतरनाक उष्णकटिबंधीय चक्रवात था. इसकी गति 260 किमी / घंटा थी. इसने न केवल भारत बल्कि बांग्लादेश, म्यांमार और थाईलैंड को भी प्रभावित किया था.
अनुमान के अनुसार, लगभग 15000 लोग मारे गए, लगभग 1.67 मिलियन लोग बेघर हो गए और 2.75 लाख से अधिक घर नष्ट हो गए थे.
7. महान बंगाल अकाल, 1770
वर्ष: 1770
प्रभावित क्षेत्र: पश्चिम बंगाल (बीरभूम और मुर्शिदाबाद), बिहार (तिरहुत, चंपारण और बेतिया), ओडिशा और बांग्लादेश
मौतों की संख्या: लगभग 1 करोड़
कारण: सूखा/अकाल
नोबेल पुरस्कार विजेता भारतीय अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन इस अकाल को मानव निर्मित आपदा बताते हैं. यह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की शोषणकारी नीतियों और सूखा पड़ने के कारण हुआ था.
यह अकाल 1769 में एक असफल मानसून से शुरू हुआ था जो 1773 तक लगातार दो सीजन तक जारी रहा था. इस अकाल की पूर्ण अवधि के दौरान लगभग 10 मिलियन लोग भूख के कारण मर गए थे.
ये थीं भारत के इतिहास की कुछ महत्वपूर्ण घटनाएँ जिनसे बड़े पैनामे पर जान और माल की हानि हुई थी. इनमें से कुछ घटनाएँ मानव की गतिविधियों के कारण भी पैदा हुईं हैं. अतः मनुष्य को प्रकृति से छेड़छाड़ की कोशिशें कर करनी चाहिए.
ऐसे ही और रोचक लेख पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें.
अम्फान तूफान (Amphan Cyclone) क्या है और इसका नाम कैसे पड़ा?
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA): परिचय, कार्य और बजट