2 June ki Roti: क्या होता है 2 जून की रोटी का महत्व और क्यों कही जाती है यह कहावत, जानें

2 June ki Roti: आज तारीख की बात करें, तो वह 2 जो जून है और आपने अक्सर अपने बड़ों से 2 जून की रोटी की बारे में सुना होगा। इन कहावतों में कुछ कहावतें प्रमुख हैं, जिनमें कुछ प्रमुख कहावतों की बात करें, तो वे हैं जैसे, दो जून की रोटी का बड़ी मुश्किल से इंतेजाम हो पाता है, दो जून की रोटी मिलना मुश्किल है और दो जून की रोटी मिल जाए, यही बड़ी बात है आदि। क्या आपने कभी इस कहावत का मतलब पता किया है। यदि नहीं, तो इस आर्टिकल के माध्यम से हम इस प्रमुख कहावत का मतलब जानेंगे।
अक्सर बोली जाती है कहावत
यह बात हम सभी जानते हैं कि भारत में कई लोग गरीबी से जूझ रहे हैं। यही वजह है कि एक बड़ी आबादी गरीबी रेखा(BPL) से नीचे है। जीवन की मुख्य जद्दोजहद पेट भरने की है। इसके बाद अन्य काम को प्राथमिकता दी जाती है। इंसान अपना और अपने परिवार का पेट भर सके, इसके लिए दिन-रात मेहनत करता है। वहीं, कई लोग पेट भरकर भी खाना नहीं खा पाते हैं। हालांकि, बीते वर्षों में गरीबों के लिए केंद्र की ओर से कई योजनाएं भी चलाई गई हैं, जिसमें अंत्योदय अन्न योजना, गरीब कल्याण अन्न योजना, पीएम स्वनिधि योजना, पीएम उज्जवल योजना व मनरेगा योजना जैसी कुछ प्रमुख योजनाएं हैं।
क्या है लोगों की राय
कुछ लोगों के मुताबिक, 2 जून की रोटी की कहावत 500 से अधिक साल पुरानी है, जो कि लोगों की जुबान पर बनी हुई है। यह मुश्किल से मिलने वाली रोटी के लिए इस्तेमाल की जाती है। वहीं, कुछ लोगों का यह भी तर्क है कि जून का महीना सबसे गर्म होता है, ऐसे में किसान अधिक मेहनत कर घर लौटता है और तब जाकर उसे रोटी मिलती है। हालांकि, इसके पीछे की कहानी अलग है।
क्या होता है 2 जून की रोटी का मतलब (2 June ki Roti Meaning in Hindi)
दरअसल, जून शब्द अवधी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ समय होता है। इसलिए यह कहावत कही जाती है कि 2 जून की रोटी मिलना मुश्किल होती है, यानि दो समय की रोटी मिलना मुश्किल है। इस कहावत के बनने के बाद लोगों ने इसे गर्म महीने से जोड़ दिया और इसे लेकर अलग-अलग अर्थ निकाले गए। आपको बता दें कि 2 जून की रोटी का प्रयोग बड़े साहित्यकार प्रेमचंद और जयशंकर प्रसाद द्वारा अपनी कहानियों और कवितािओं में किया गया है।