जानें नई रामसर साइटों के बारे में

हाल ही में, महाराष्ट्र के बुलढाणा (Buldhana) जिले के लोनार झील और आगरा में सूर सरोवर (Soor Sarovar) को रामसर संरक्षण संधि के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व के आर्द्रभूमि स्थल के रूप में चुना गया है. लोनार झील का निर्माण कई हजार साल पहले बेसाल्ट बेडरोल पर उल्कापिंड के प्रभाव से हुआ था.
यहीं आपको बता दें कि इस वर्ष की शुरुआत में करबरतल वेटलैंड (Kabartal Wetland ) (बिहार) और असान संरक्षण रिजर्व (Asan Conservation Reserve, Uttarakhand) को रामसर साईटके रूप में नामित किया गया था.
रामसर कन्वेंशन की संधि के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्व के मान्यता प्राप्त साइटों की सूची में दो और जोड़े जाने के साथ भारत में 41 वेटलैंड हो गए हैं जो दक्षिण एशिया में सबसे अधिक हैं.
जैसा की उपर बताया गया है कि महाराष्ट्र में लोनार झील और आगरा में सूर सरोवर, जिसे कीथम झील (Keetham lake) भी कहा जाता है, को मान्यता प्राप्त रामसर स्थलों की सूची में जोड़ा गया है.
देहरादून में असान कंज़र्वेशन रिज़र्व (Asan Conservation Reserve), रामसर सम्मेलन द्वारा मान्यता प्राप्त उत्तराखंड का पहला वेटलैंड इस साल अक्टूबर में सूची में जोड़ा गया था.
आइये अब लोनार झील के बारे में अध्ययन करते हैं
लोनार झील वन्यजीव अभयारण्य का हिस्सा है जो मेलघाट टाइगर रिजर्व (Melghat Tiger Reserve, MTR) के एकीकृत नियंत्रण में आता है.
दक्कन के पठार की ज्वालामुखी बेसाल्ट चट्टान में स्थित लोनार झील लगभग 35,000 से 50,000 साल पहले उल्का के प्रभाव से बनी थी.
यह नासिक जिले में नंदुर मद्महेश्वर पक्षी अभयारण्य (Nandur Madhmeshwar Bird Sanctuary) के बाद महाराष्ट्र का दूसरा रामसर साईट है.
इसे लोनार क्रेटर के रूप में भी जाना जाता है और यह एक अधिसूचित राष्ट्रीय भू-विरासत स्मारक (National Geo-heritage Monument) है.
सूर सरोवर झील के बारे में
इसे सूर सरोवर पक्षी अभयारण्य के भीतर स्थित कीथम (Keetham) झील के नाम से भी जाना जाता है, जिसे वर्ष 1991 में पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था.
यह झील उत्तर प्रदेश के आगरा में यमुना नदी के किनारे स्थित है.
सूर सरोवर पक्षी अभयारण्य लगभग 7.97 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है.
रामसर कन्वेंशन के बारे में अंतर्राष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड्स पर रामसर कन्वेंशन विशेष रूप से वाटरफॉवल हैबिटैट (Waterfowl Habitat) ऐसी साइटों के संरक्षण और स्थायी उपयोग के लिए एक संधि है. इसका नाम ईरानी शहर रामसर के नाम पर रखा गया है, जहां 1971 में संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे, और इसके तहत संरक्षण के लिए चुने गए स्थानों को 'रामसर साइट' tag दिया गया था.
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1971 में कन्वेंशन पर हस्ताक्षर ईरानी शहर रामसर में किए गए थे जो कि आर्द्रभूमि के पारिस्थितिक चरित्र के संरक्षण के लिए सबसे पुराने अंतर-सरकारी (inter-governmental) समझौते में से एक है.
यह वेटलैंड्स पर कन्वेंशन के रूप में भी जाना जाता है, इसका उद्देश्य जैविक विविधता के संरक्षण और मानव जीवन को बनाए रखने के लिए आर्द्रभूमि का एक वैश्विक नेटवर्क विकसित करना है.
यहीं आपको बता दें कि वेटलैंड्स भोजन, पानी, फाइबर, groundwater recharge, जल शोधन (water purification), फ्लड मॉडरेशन, erosion control और जलवायु विनियमन जैसे महत्वपूर्ण संसाधनों और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करते हैं.
भारत में अन्य रामसर साइटों में शामिल हैं:
ओडिशा में चिलिका झील (Chilika Lake in Odisha)
राजस्थान में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park in Rajasthan)
पंजाब में हरिके झील (Harike Lake in Punjab)
मणिपुर में लोकटक झील (Loktak Lake in Manipur)
जम्मू और कश्मीर में वुलर झील (Wular Lake in Jammu and Kashmir)
मॉन्ट्रोक्स रिकॉर्ड (Montreux Record) के बारे में मॉन्ट्रोक्स रिकॉर्ड वेटलैंड साइटों की एक सूची है जो अंतरराष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड्स की सूची में है जहां पारिस्थितिक चरित्र में परिवर्तन हुए हैं, हो रहे हैं, या तकनीकी विकास, प्रदूषण या अन्य मानव हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप होने की संभावना है. इसे रामसर सूची के भाग के रूप में बनाए रखा गया है. |
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