Rani Kamalapati: कौन थी रानी कमलापति जिनके नाम पर हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रखा गया है?

Rani Kamalapati, Gond Queen: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 नवंबर 2021 (सोमवार) को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया, जिसे पहले हबीबगंज के नाम से जाना जाता था.
रानी कमलापति रेलवे स्टेशन मध्य प्रदेश का पहला विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशन है, जिसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मोड के तहत पुनर्विकास किया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहा, “पुनर्विकसित रानी कमलापति रेलवे स्टेशन में हवाई अड्डे जैसी आधुनिक सुविधाएं हैं. इसमें आधुनिक शौचालय, गुणवत्तापूर्ण भोजन, एक होटल, अस्पताल, स्मार्ट पार्किंग, स्टेशन के सभी प्लेटफार्मों के साथ केंद्रीय कॉनकोर्स कनेक्टिविटी है".
उन्होंने यह भी कहा कि "यह VIP संस्कृति से EPI (हर व्यक्ति महत्वपूर्ण संस्कृति है) की ओर बढ़ने की शुरुआत है."
प्रधानमंत्री ने गेज परिवर्तित और विद्युतीकृत उज्जैन-फतेहाबाद चंद्रावतीगंज ब्रॉड गेज खंड, भोपाल-बरखेड़ा खंड में तीसरी लाइन, गेज परिवर्तित और विद्युतीकृत मथेला-निमाड़ खीरी ब्रॉड गेज खंड और विद्युतीकृत गुना-ग्वालियर खंड को राष्ट्र को समर्पित किया. उन्होंने इंदौर-उज्जैन रूट पर दो नई MEMU ट्रेनों को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.
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रानी कमलापति कौन थी?
कमलापति सीहोर के सल्कनपुर (Salkanpur) रियासत के राजा कृपाल सिंह सरौतिया (Kirpal Singh Sarautia) की बेटी थीं. वह अपनी बुद्धिमत्ता और साहस के लिए जानी जाती थीं. वह एक कुशल घुड़सवार, पहलवान और धनुर्धर थीं.
एक कुशल सेनापति के रूप में, उन्होंने अपने पिता की सेना और अपनी महिला टीम के साथ युद्ध लड़ा और आक्रमणकारियों से अपने राज्य की रक्षा की.
रानी कमलापति निज़ाम शाह की विधवा थीं, जिनके गोंड वंश ने 18वीं शताब्दी में भोपाल से लगभग 55 किमी दूर तत्कालीन गिन्नौरगढ़ पर शासन किया था.
रानी कमलापति को अपने पति की हत्या के बाद अपने शासनकाल के दौरान हमलावरों का सामना करने में बड़ी बहादुरी दिखाने के लिए जाना जाता है. कमलापति "भोपाल की अंतिम हिंदू रानी" थीं, जिन्होंने जल प्रबंधन के क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया और पार्कों और मंदिरों की स्थापना की थी.
1723 में रानी कमलापति की मृत्यु के बाद, भोपाल में नवाबों का शासन शुरू हुआ, जिसका नेतृत्व दोस्त मोहम्मद खान ने किया.
वीर रानी के बारे में अपने ब्लॉग में, मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने लिखा, “गोंड रानी कमलापति 300 साल बाद आज भी प्रासंगिक हैं, और हम उनके बलिदान के लिए उन्हें सम्मानित करने के लिए आभारी हैं. भोपाल का हर हिस्सा अपनी कहानी बयां करता है. उनके बलिदान की गूँज यहाँ की झीलों के पानी में सुनी जा सकती है,” सीएम ने उनकी “जल समाधि” का जिक्र करते हुए लिखा है."
कमलापति महल के बारे में
कमलापति पैलेस भोपाल की बड़ी और छोटी झील के बीच पुल पर स्थित है. 1722 में निर्मित, इसका नाम रानी कमलापति के नाम पर रखा गया है, जो निज़ाम शाह की विधवा थीं. निज़ाम शाह गोंड शासक, गिन्नोरगढ़ के प्रमुख थे. पैलेस को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा राष्ट्रीय महत्व के स्मारक के रूप में नामित किया गया है.
इस महल के पश्चिमी तरफ पहाड़ी पर फतेहगढ़ किले के अवशेष हैं जिसे भोपाल के सरदार दोस्त मोहम्मद (1708-1726 ई.) ने बनवाया था, जिन्होंने आधुनिक भोपाल की नींव रखी थी.
आखिर में गोंड के बारे में जानते हैं
गोंड भारत के सबसे बड़े आदिवासी समुदायों में से एक हैं, जो मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार और ओडिशा में फैले हुए हैं.
19वीं सदी के प्रतिष्ठित आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को नामित और पुनर्विकसित रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया गया और हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन कर दिया गया है.