प्राचीन साहित्यों में दिल्ली को इंद्रप्रस्थ को कहा गया है, जो कि पाण्डवों की राजधानी थी। हालांकि, समय ने अपनी करवट ली और यहां कई विदेशी शासकों ने आक्रमण किया। इस दौरान दिल्ली कई बार बसी और कई बार उजड़ी।
आज भी दिल्ली के प्राचीन किलों में इसके बसने और उजड़ने के निशान देखे जा सकते हैं। क्योंकि, इस दौरान शासकों ने दिल्ली में कई एतिहासिक इमारतों का निर्माण करवाया, जो कि दिल्ली सल्तनत की झलक दिखाने का काम करते हैं।
दिल्ली में आज मौजूदा समय में 11 प्रशासनिक जिले हैं। हालांकि,आज भी यहां के एतिहासिक 7 शहरों को देखा जा सकता है। कौन-से हैं ये शहर और क्या है इन शहरों को इतिहास, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
दिल्ली के सात शहर
किला राय पिथौरा या लालकोट
साल 1060 में तोमर वंश के राजा अनंगपाल तोमर ने अपनी राजधानी दिल्ली के लालकोट में स्थांतरित की थी। यही से दिल्ली में किले बनना शुरू हुए थे। यह वह समय था, जब दिल्ली में रक्षा के लिए एक किला बनवाया गया था।
साल 1179 में शाखंभरी के चाहमना ने अनंगपाल को सत्ता से हटाया और पृथ्वीराज-3 राजा बने। उन्होंने लाल कोट के किले को बढ़ाया और यह दिल्ली का पहला शहर बना। मुगल कोर्ट के अबुल फजल ने इस किले को किला राय पिथौरा नाम दिया था।
आज भी इस किले को कुतुब मीनार के पास देखा जा सकता है। कुतुब मीनार में स्थित लौह स्तंभ भी अनंगपाल तोमर ने उदयगिरी की गुफाओं से लाकर यहां स्थापित किया था। पहली दिल्ली की झलक आज भी आपको साकेत, किशनगढ़, वसंतकुंज और महरौली में देखने को मिल जाएगी।
बाद में यहां पर कुतुबुद्दीन एबक ने शासन किया और कुतुब मीनार जैसी एतिहासिक इमारतों की नींव रखी। बाद में इसे इल्तुतमीश ने पूरा कराया।
सिरी फोर्ट
गुलाम वंश के अंत के बाद अलाउद्दीन खिलजी ने यहां पर मुगलों के आक्रमण से बचने के लिए सिरी फोर्ट का निर्माण करवाया। इसके साथ ही उसने हौज खास इलाके में पानी की आपूर्ति के लिए एक तालाब का निर्माण करवाया।
उस समय में सल्जुक शैली से दिल्ली का नया नगर स्थापित किया गया था। आज भी सिरी फोर्ट और हौज खास इलाके में इसके प्रमाण देखे जा सकते हैं। 1290 में यह वंश खत्म हो गया।
तुगलकाबाद
तुगलकाबाद दिल्ली का तीसरा नगर कहा जाता है, जिसकी स्थापना मुल्तान के गर्वनर गयासुद्दीन तुगलक ने की थी। इसे आज हम तुगलकाबाद किले के नाम से भी जानते हैं। इसका प्रमुख उद्देश्य मंगोल से आक्रमण होने पर बचाना था। वह इस किले को बनाने में इतने उत्सुक थे कि उन्होंने सूफी संत निजामुद्दीन औलिया द्वारा बनवाई जा रही बावड़ी का निर्माण भी रोक दिया था।
जहांपनाह
गयासुद्दीन के बाद उनके बेटे मोहम्मद बिन तुगलक ने गद्दी संभाली। इस दौरान उन्होंने दिल्ली के चौथे शहर यानि की जहांपनाह की नींव रखवाई। इस किले को दिल्ली के पहले दो नगरों को घेरते हुए बनवाया गया था।
आज के सिरी से लेकर कुतुत मीनार जाने वाले रोड इसके निशान को देखा जा सकता है। तुगलक ने सात साल राज करने के बाद महाराष्ट्र के दौलताबाद में अपनी राजधानी शिफ्ट की और बाद में इसे वापस दिल्ली लाया गया।
फिरोजाबाद
दिल्ली में 5वें शहर को बसाने के लिए फिरोज शाह तुगलक को जाना जाता है। वह मोहम्मद-बिन-तुगलक के रिश्तेदार थे। उन्होंने मौर्यन राजा अशोक के दो पीलर को दिल्ली में स्थापित करवाया, जिसमें एक दिल्ली रिज में है, जबकि दूसरा फिरोज शाह कोटला में देखने को मिलता है।
फिरोज शाह कोटला ही दिल्ली का पांचवा नगर था। वहीं, भूली भटियारी का महल, पीर गायब और मालचा महल भी फिरोज-शाह-तुगलक द्वारा बनवाया गया था।
शेरगढ़
शेरगढ़ को आज हम पुराना किला के नाम से जानते हैं, जिसके निर्माण की नींव साल 1533 में बाबर के बेटे हुमायूं ने रखी थी, जो कि दीनपनाह नाम से एक शहर का निर्माण करवाना चाहते थे।
हालांकि, बिहार के शासक शेर शाह सूरी ने हुमायूं को हराया और शेरगढ़ का निर्माण शुरू करवाया। यहां शेरमंडल को आज भी देखा जा सकता है। बाद में इसे दोबारा हुमायूं ने जीत लिया था।
शाहजहांनाबाद
शाहजहांनाबाद की स्थापना मुगल शाक शाहजहां ने की थी। 16वीं शताब्दी में दिल्ली के इस नगर की नींव पड़ी, जिसे एक बड़ी दीवार बनाकर बसाया गया था। इन दीवारों में दरावाजों को बनाया गया था, जिन्हें आज कश्मीरी गेट, दिल्ली गेट, लाहौरी गेट, मोरी गेट और तुर्कमान गेट के नाम से जानते हैं।
बाद में यहां पर मराठाओं का अप्रत्यक्ष रूप से शासन रहा। एतिहासिक लाल किला और जामा मस्जिद इसी जगह पर है, जिसे हम पुरानी दिल्ली के नाम से जानते हैं।
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