भारत में नये नोटों को छापे जाने की क्या प्रक्रिया होती है

भारतीय रिजर्व बैंक को भारत का केन्द्रीय बैंक भी कहा जाता है | यह संस्था भारत की सबसे बड़ा मौद्रिक प्राधिकरण (monetary authority) है| भारतीय रिजर्व बैंक 2 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक के नोटों को छापती है| एक रुपये के नोट को छापने और सिक्कों के बनाने का अधिकार भारतीय रिजर्व बैंक के पास नही है बल्कि वित्त मंत्रालय के पास है |

भारतीय रिजर्व बैंक को भारत का केन्द्रीय बैंक भी कहा जाता है| यह संस्था भारत की सबसे बड़ी मौद्रिक प्राधिकरण (monetary authority) है| भारतीय रिजर्व बैंक 2 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक के नोटों को छापती है| एक रुपये के नोट को छापने और सिक्कों के बनाने का अधिकार भारतीय रिजर्व बैंक के पास नही है बल्कि वित्त मंत्रालय के पास है हालांकि सभी नोटों और सिक्कों को बाजार में भेजने का काम भारतीय रिजर्व बैंक ही करती है|

आइये अब यह जानने का प्रयास करते हैं कि भारत में नोट बनने की पूरी प्रक्रिया कितने चरणों में पूरी की जाती है |

प्रथम चरण: साईमल्टन सेक्शन:-

नोटों की छपाई का पहला चरण यहीं से शुरू होता है| यह टाकीज के जितना बड़ा हॉल होता है जो कि दो भागों में बंटा होता हैl इस हॉल में 9 मशीनें हैं जो कि नोट का पिछला भाग और वाटर मार्क वाला भाग छापतीं हैंl यहाँ छपे नोट को सूखने में 2 दिन लगते हैं, इसी चरण में ख़राब नोट की सीटों को हटा दिया जाता है |

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दूसरा चरण: (इंटाग्लो सेक्शन):-

यहाँ पर सिर्फ उन्ही नोटों का दूसरा भाग छापा जाता है जो कि पहले परीक्षण में ठीक पाये जाते हैं| इस चरण में भी लगभग 9 मशीनें हैं जो कि “धारक को वचन सहित अन्य कलर छापतीं हैं”| यहाँ पर फिर नोटों को सूखने के बाद परीक्षण के लिए भेजा जाता है |

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image source:jagranjosh

तीसरा चरण:

इस चरण में नोटों पर नम्बरिंग की जाती है जिसमे 6 मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है| नम्बरिंग के बाद नोटों की गिनती की जाती है साथ ही यह भी चेक किया जाता है कि कहीं ऐसा तो नही कि नम्बरिंग में कुछ गलती हो गई हो| छापी गई नोट सीट के साथ रिकॉर्ड के लिए एक कागज भी अलग से रखा जाता है जिसमे नम्बरिंग से सम्बंधित सारे रिकॉर्ड दर्ज होते हैं जिन्हें संभालकर रखा जाता है|

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image source:Business Standard

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चौथा चरण:

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि सारे नोट्स एक सीट्स पर छापे जाते हैं| इस चरण में इन सही सीटों को मशीनों की सहायता से काटा और 100 की संख्या में गड्डी बनाकर पैक किया जाता है | इस चरण में 4 मशीनों का प्रयोग किया जाता है |

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image source:Times of India

पाचंवा चरण: यह बहुत ही अविश्वसनीय चरण है जिसमे नम्बरिंग के दौरान जिन सीटों में गलतियाँ पायी जातीं हैं उन्हें यहाँ फिर से चेक किया जाता है और सीट के जिस नोट में गड़बड़ी है उस पर खड़िया(chalk) से निशान लगाया जाता है | अब नोट की मैन्युअल कटिंग करके पैकिंग के समय उस नंबर के नोट को तुरंत हटा लिया जाता है और उसके स्थान पर वही नंबर हाथ से लिखकर गड्डी को ओके करके पैक कर दिया जाता है (हालांकि ऐसा बहुत ही कम होता है)|

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छठवां चरण: अंतिम चरण में नोटों को कार्टून में भरकर RBI की निगरानी में भेज दिया जाता है जो कि नोटों को वाणिज्यिक बैंकों तक पहुंचा देती है | देवास बीएनपी के अन्दर (यहीं से एक रेल लाइन) से एक स्पेशल ट्रेन सेवा के द्वारा कड़ी सुरक्षा के बीच नोटों के कंटेनरों को गंतव्य तक पहुंचा दिया जाता है |

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image source:www.ndtv.com

ख़राब छापे नोटों का क्या किया जाता है ?

छपाई के दौरान जो शीटें ख़राब हो जातीं हैं या जो नोट ख़राब छपते हैं उन्हें कारखाने के अन्दर ही लगी हुई मशीन में डालकर काट दिया जाता है |

भारतीय रिजर्व बैंक के पास भारतीय मुद्रा को मुद्रित करने की शक्ति है, हालांकि ज्यादातर फैसलों को भारत सरकार द्वारा ही अंतिम रूप दिया जाता है| उदाहरण के लिए, सरकार यह तय करती है कि किस मूल्यवर्ग (denominations) के कितने नोट छापे जायेंगे, नोटों का डिज़ाइन क्या होगा और उनमे कौन-कौन से सुरक्षा मानक रखे जायेंगे|

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