सुभाष चंद्र बोस जयंती 2020: उपलब्धियां और योगदान

सुभाष चंद्र बोस की 123rd जयंती सम्पूर्ण विश्व में 23 जनवरी को मनाई जाती है. इसी दिन इनका जन्म हुआ था. भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. 1920 में उन्होंने ब्रिटिश सरकार की आईसीएस परीक्षा को पास किया था परन्तु नौकरी नहीं की थी. आइये सुभाष चंद्र बोस और उनकी उपलब्धियों के बारे में अध्ययन करते हैं.
Subhas Chandra Bose: Birth Anniversary, Achievements and Contributions
Subhas Chandra Bose: Birth Anniversary, Achievements and Contributions

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने "तुम मुझे खून दो में तुम्हें आजादी दूंगा", 'जय हिन्द' और 'दिल्ली चलो' नारा दिया था. उन्होंने आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया और भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान वे लगभग 11 बार जेल गए. उनकी देशभक्ति, स्वतंत्रता के लिए आह्वान और वांछित लक्ष्य हासिल करने से पहले रुकने से इनकार करने के कारण वे युवाओं के लिए हीरो के समान हैं.

जन्मदिवस: 23 जनवरी 1897
जन्म स्थान: कटक, बंगाल प्रेसीडेंसी का ओड़िसा डिवीजन, ब्रिटिश भारत
राष्ट्रीयता: भारतीय
शिक्षा: बी०ए० (आनर्स)
शिक्षा प्राप्त की: कलकत्ता विश्वविद्यालय
पदवी: अध्यक्ष (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)(1938) ,सुप्रीम कमाण्डर आज़ाद हिन्द फ़ौज
प्रसिद्धि कारण: भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी सेनानी तथा सबसे बड़े नेता
राजनैतिक पार्टी: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 1921–1940, फॉरवर्ड ब्लॉक 1939–1940
धार्मिक मान्यता: हिन्दू
पत्नी का नाम: एमिली शेंकल (1937 में विवाह किन्तु जनता को 1993 में पता चला)
बच्चे: अनिता बोस फाफ

सुबाष चंद्र बोस: पारिवारिक इतिहास और प्रारंभिक जीवन
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी सन् 1897 को ओड़िशा के कटक शहर में हिन्दू कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था। उनके पिता कटक शहर के मशहूर वकील थे। अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें रायबहादुर का खिताब दिया था।
उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज से स्नातक किया। 16 वर्ष की आयु में उनके कार्यों को पढ़ने के बाद वे स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण की शिक्षाओं से प्रभावित हुए। फिर उन्हें भारतीय सिविल सेवा की तैयारी के लिए उनके माता-पिता द्वारा इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय भेज दिया गया। 1920 में उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा पास की, लेकिन अप्रैल 1921 में, भारत में राष्ट्रवादी उथल-पुथल के बाद, उन्होंने अपनी उम्मीदवारी से इस्तीफा दे दिया और भारत वापस आ गए।

सुबाष चंद्र बोस और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
सिविल सर्विस छोड़ने के बाद वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ गए। सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी के अहिंसा के विचारों से सहमत नहीं थे। वास्तव में महात्मा गांधी उदार दल का नेतृत्व करते थे, वहीं सुभाष चंद्र बोस जोशीले क्रांतिकारी दल के प्रिय थे। महात्मा गाँधी और सुभाष चंद्र बोस के विचार भिन्न-भिन्न थे लेकिन वे यह अच्छी तरह जानते थे कि महात्मा गाँधी और उनका मक़सद एक है, यानी देश की आज़ादी। सबसे पहले गाँधीजी को राष्ट्रपिता कह कर नेताजी ने ही संबोधित किया था।
वह एक युवा शिक्षक और बंगाल कांग्रेस के स्वयंसेवकों के कमांडेंट बन गए। उन्होंने 'स्वराज' नामक अखबार शुरू किया। 1927 में, जेल से रिहा होने के बाद, बोस कांग्रेस पार्टी के महासचिव बने और जवाहरलाल नेहरू के साथ स्वतंत्रता के लिए काम किया।
1938 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया और उन्होंने एक राष्ट्रीय योजना समिति का गठन किया, जिसने व्यापक औद्योगीकरण की नीति तैयार की। हालाँकि, यह गांधीवादी आर्थिक विचार के अनुरूप नहीं था, जो कुटीर उद्योगों की धारणा से जुड़ा था और देश के अपने संसाधनों के उपयोग से लाभान्वित हुआ था। बोस का संकल्प 1939 में आया, जब उन्होंने पुनर्मिलन के लिए गांधीवादी प्रतिद्वंद्वी को हराया। बहरहाल, गांधी के समर्थन की कमी के कारण "बागी अध्यक्ष" ने इस्तीफा देने के लिए बाध्य महसूस किया और उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया।

जानें भारत ‌- पाकिस्तान के बीच कितने युद्ध हुए और उनके क्या कारण थे

सुबाष चंद्र बोस और फोर्वर्ड ब्लाक का गठन
ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक भारत में एक वामपंथी राष्ट्रवादी राजनीतिक दल था, जो 1939 में सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में भारत कांग्रेस के भीतर एक गुट के रूप में उभरा। सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस में अपने वामपंथी विचारों के लिए जाने जाते थे। फ्रोवर ब्लाक का मुख्य उद्देश्य कांग्रेस पार्टी के सभी कट्टरपंथी तत्वों को लाना था। ताकि वह भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के अर्थ को समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के पालन के साथ फैला सके।

सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज

आज़ाद हिन्द फ़ौज सबसे पहले राजा महेन्द्र प्रताप सिंह ने 29 अक्टूबर 1915 को अफगानिस्तान में बनायी थी। मूलत: यह 'आजाद हिन्द सरकार' की सेना थी जो अंग्रेजों से लड़कर भारत को मुक्त कराने के लक्ष्य से ही बनायी गयी थी। किन्तु इस लेख में जिसे 'आजाद हिन्द फौज' कहा गया है उससे इस सेना का कोई सम्बन्ध नहीं है। हाँ, नाम और उद्देश्य दोनों के ही समान थे। रासबिहारी बोस ने जापानियों के प्रभाव और सहायता से दक्षिण-पूर्वी एशिया से जापान द्वारा एकत्रित क़रीब 40,000 भारतीय स्त्री-पुरुषों की प्रशिक्षित सेना का गठन शुरू किया था और उसे भी यही नाम दिया अर्थात् आज़ाद हिन्द फ़ौज। बाद में उन्होंने नेताजी सुभाषचंद्र बोस को आज़ाद हिन्द फौज़ का सर्वोच्च कमाण्डर नियुक्त करके उनके हाथों में इसकी कमान सौंप दी।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान स्वतंत्रता संघर्ष के विकास में आजाद हिन्द फ़ौज के गठन और उसकी गतिविधियों का महत्वपूर्ण स्थान था। इसे इन्डियन नेशनल आर्मी या आईएनए के नाम से भी जाना जाता है। रास बिहारी बोस नाम के भारतीय क्रांतिकारी, जो कई सालों से भारत से भागकर जापान में रह रहे थे, ने दक्षिण पूर्व एशिया में रह रहे भारतीयों के सहयोग से इन्डियन इन्डिपेंडेंस लीग का गठन किया। जब जापान ने ब्रिटिश सेना को हराकर दक्षिण पूर्व एशिया के लगभग सभी देशों पर कब्ज़ा कर लिया तो लीग ने भारतीय युद्धबंदियों को मिलाकर इन्डियन नेशनल आर्मी को तैयार किया ताकि भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्ति दिलाई जा सके। ब्रिटिश भारतीय सेना में अधिकारी रहे जनरल मोहन सिंह ने इस आर्मी के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

इसी दौरान 1941 में सुभाष चन्द्र बोस भारत की स्वतंत्रता के लिए भारत से भागकर जर्मनी चले गए। 1943 में वे इन्डियन इन्डिपेंडेंस लीग का नेतृत्व करने के लिए सिंगापुर आये और इन्डियन नेशनल आर्मी (आजाद हिन्द फ़ौज) का पुनर्गठन किया ताकि वह भारत की स्वतंत्रता को प्राप्त करने का महत्वपूर्ण हथियार बन सके। आजाद हिन्द फ़ौज में लगभग 45,000 सैनिक शामिल थे, जिनमे भारतीय युद्धबंदियों के अलावा वे भारतीय भी शामिल थे जो दक्षिण पूर्व एशिया के अनेक देशों में बस गए थे।

21 अक्टूबर ,1943 में सुभाष बोस, जिन्हें अब नेताजी के नाम से जाना जाने लगा था, ने सिंगापुर में स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार (आजाद हिन्द) के गठन की घोषणा कर दी। नेताजी अंडमान गए,जो उस समय जापानियों के कब्जे में था,और वहां भारतीय  झंडे का ध्वजारोहण किया। 1944 के आरम्भ में आजाद हिन्द फ़ौज (आईएनए) की तीन इकाइयों ने भारत के उत्तर पूर्वी भाग पर हुए हमले में भाग लिया ताकि ब्रिटिशों को भारत से बाहर किया जा सके। आजाद हिन्द फ़ौज के सबसे चर्चित अधिकारियों में से एक शाहनवाज खान के अनुसार जिन सैनिकों ने भारत में प्रवेश किया वे स्वयं जमीन पर लेट गए और भावुक होकर अपनी पवित्र मातृभूमि को चूमने लगे। हालाँकि,भारत को मुक्त करने का आजाद हिन्द फ़ौज का प्रयास सफल नहीं हो सका।

भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन ने जापानी सरकार को भारत के मित्र के रूप में नहीं देखा।उसकी सहानुभूति जापानी हमलों के शिकार हुए देशों के लोगों के प्रति थी।हालाँकि,नेताजी का मानना था कि जापान के समर्थन,आजाद हिन्द फ़ौज के सहयोग और देश के अन्दर होने वाले विद्रोह के द्वारा भारत से ब्रिटिश शासन को उखाड़कर फेंका जा सकता है। आजाद हिन्द फ़ौज का दिल्ली चलो  का नारा और जय हिन्द की सलामी देश के अन्दर और बाहर दोनों जगह भारतीयों की प्रेरणा की स्रोत थी।भारत की स्वतंत्रता के लिए नेताजी ने दक्षिण पूर्व एशिया में रह रहे सभी धर्मों और क्षेत्रों के भारतीयों को एकत्र किया।

जानें भारत ‌- पाकिस्तान के बीच कितने युद्ध हुए और उनके क्या कारण थे

भरतीय स्वतंत्रता की गतिविधियों में भारतीय महिलाओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।आजाद हिन्द फ़ौज की महिला रेजीमेंट का गठन किया गया,जिसकी कमान कैप्टन लक्ष्मी स्वामीनाथन के हाथों में थी। इसे रानी लक्ष्मीबाई रेजीमेंट कहा जाता था। आजाद हिन्द फ़ौज भारत के लोगों के लिए एकता का प्रतीक और वीरता का पर्याय बन गयी।जापान द्वारा आत्मसमर्पण करने के कुछ दिन बाद ही नेताजी,जो भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के महानतम नेताओं में से एक थे,की एक हवाई दुर्घटना में मौत की खबर आई।

द्वितीय विश्व युद्ध 1945 में फासीवादी जर्मनी और इटली की पराजय के साथ समाप्त हो गया। युद्ध में लाखों लोग मारे गए। जब युद्ध समाप्ति के करीब था और जर्मनी व इटली की हार हो चुकी थी, तभी संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापान के दो शहरों-हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिरा दिए। कुछ ही क्षणों में ये शहर धराशायी हो गए और 200,000 से भी ज्यादा लोग मारे गए। इसके तुरंत बाद जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया। हालाँकि,परमाणु बमों के प्रयोग के कारण युद्ध तो समाप्त हो गया लेकिन इसने विश्व में एक नए तरह का तनाव पैदा कर दिया और एक से बढकर एक ऐसे खतरनाक हथियारों को बनाने की होड़ लग गयी जोकि सम्पूर्ण मानव-जाति को ही नष्ट कर सकते है।

जानें कैसे सिक्किम भारत का हिस्सा बना?

Get the latest General Knowledge and Current Affairs from all over India and world for all competitive exams.
Jagran Play
खेलें हर किस्म के रोमांच से भरपूर गेम्स सिर्फ़ जागरण प्ले पर
Jagran PlayJagran PlayJagran PlayJagran Play