जानें भारत में 5 ऐसे मंदिरों के बारे में जहां पुरुषों को जाने की अनुमति नहीं है

भारत को तो मंदिरों की भूमि के रूप में जाना जाता है. भव्य, सरल, अलंकृत से लेकर पवित्र मंदिरों तक, आस्था के ये प्रतीक देश के लगभग हर कोने में देखे जा सकते हैं. किसी भी मंदिर या धार्मिक स्थल पर जाना वास्तव में शांति प्रदान करता है. वहां की वास्तुकला, सुगंधित प्रसाद और गूंजने वाले अनुष्ठान मन को सुख और प्रफुल्लित कर देते हैं.
लेकिन, क्या आप जानते हैं कि भारत में ऐसे भी मंदिर हैं, जहां परंपराएं पुरुषों के प्रवेश पर रोक लगाती हैं, या कुछ दिन ऐसे होते हैं जब मंदिर परिसर में महिलाओं का वर्चस्व होता है, और तब केवल महिलाओं को ही पूजा करने के लिए परिसर में प्रवेश करने की अनुमति होती है? आइये जानते हैं इन मंदिरों के बारे में.
1. देवी कन्याकुमारी / कुमारी अम्मन मंदिर, कन्याकुमारी
कन्याकुमारी में स्थित कुमारी अम्मन मंदिर के गर्भगृह में मां भगवती दुर्गा हैं. यहां केवल संन्यासी (ब्रह्मचारी पुरुष) को मंदिर के द्वार तक जाने की अनुमति है, जबकि विवाहित पुरुषों को परिसर में प्रवेश करने की मनाही है.
ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या की थी. उसी स्थान पर मंदिर बना हुआ है. कन्याकुमारी के इस मंदिर में कन्या (कुंवारी) मां भगवती दुर्गा की पूजा केवल महिलाएं ही करती हैं.
2. कामाख्या मंदिर, असम
यह शायद भारतीय मंदिरों में सबसे प्रसिद्ध है, जहां पुरुषों को वर्ष के कुछ निश्चित समय के दौरान मंदिर परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होती है.
असम के पश्चिम गुवाहाटी में नीलांचल पहाड़ियों पर स्थित यह एक शक्ति पीठ मंदिर है जो भव्य अंबुबाची मेले (Ambubachi Mela) का आयोजन करता है जहां दूर-दूर से भक्त आते हैं. इस दौरान मंदिर का मुख्य द्वार चार दिनों तक बंद रहता है. ऐसी मान्यता है कि इन दिनों देवी के मासिक धर्म का समय होता है.
इस अवसर पर, पुरुषों को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है और उन दिनों केवल महिला पुजारी या संन्यासियों को मंदिर में पूजा-पाठ और बाकी अन्य कामों को करने की अनुमति होती है.
जानें कहां मिला है दुनिया को एक और महासागर
3. भगवान ब्रह्मा मंदिर, राजस्थान
यह ब्रह्मा देवता के बहुत ही दुर्लभ मंदिरों में से एक है. इस प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर में विवाहित पुरुषों को देवता की पूजा करने के लिए गर्भगृह में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है.
एक देवता के रूप में मंदिर में एक पुरुष देवता के होने के बावजूद, आज भी यह नियम है कि पुरुष नहीं जा सकते हैं.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा को अपनी पत्नी देवी सरस्वती के साथ यज्ञ करना था. लेकिन देवी सरस्वती देर से पहुंचीं इसलिए उन्होंने देवी गायत्री से विवाह किया और यज्ञ पूरा किया. इससे देवी सरस्वती क्रोधित हो गई और उन्होंने श्राप दिया कि किसी भी विवाहित व्यक्ति को गर्भगृह में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी; नहीं तो उसके वैवाहिक जीवन में परेशानी आएगी या दुखों से भर जाएगा.
4. अट्टुकल भगवती मंदिर, केरल
केरल का अट्टुकल भगवती मंदिर में एक त्योहार का आयोजन किया जाता है जिसमें महिलाओं का वर्चस्व होता है और जिम्मेदारी महिलाओं के हाथ में होती है. अट्टुकल पोंगल के दौरान, यहां का मुख्य त्योहार, यह मंदिर हजारों महिला भक्तों की एक मण्डली में बदल जाता है या यू कहें कि हर तरफ सिर्फ महिला श्रद्धालुओं की ही भीड़ दिखाई देती है.
यहीं आपको बता दें कि महिलाओं की इतनी भारी संख्या को लेकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में जगह बनाई या अपना नाम दर्ज करवा रखा है. लगभग 10 दिन तक मनाए जाने वाला यह त्यौहार फरवरी और मार्च के बीच मनाया जाता है.
5. चक्कूलाथूकावु मंदिर (Chakkulathukavu Temple), केरल
केरल में स्थित यह एक और मंदिर है जो देवी भगवती को समर्पित है. इस मंदिर में, पुरुषों को वर्ष के एक विशिष्ट समय के दौरान प्रवेश करने की अनुमति नहीं है. यहाँ नारी पूजा हर साल दिसंबर के पहले शुक्रवार के दौरान आयोजित की जाती है जहां पुरुष पुजारी उन सभी महिला भक्तों के पैर धोते हैं जो 10 दिनों से उपवास कर रही हैं. इस दिन को धनु (Dhanu) कहा जाता है और इस दिन केवल महिलाएं ही मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं. इस दिन महिलाएं बड़ी संख्या में पूजा करने के लिए एकत्रित होती हैं.
भगवान बुद्ध की शिक्षाएं जो जीवन को बदल सकती हैं और सकारात्मकता की ओर ले जाती हैं