पृथ्वी के तापमान को बनाए रखने में ज्वालामुखी किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं?

हाल ही में शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा किए गए जलवायु परिवर्तन संबंधी अध्ययन में पाया गया है कि पिछले लाखों वर्षों में ज्वालामुखियों ने पृथ्वी के तापमान को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पृथ्वी के तापमान को बनाए रखने में ज्वालामुखी किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं?
पृथ्वी के तापमान को बनाए रखने में ज्वालामुखी किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं?

पृथ्वी की कार्यप्रणाली एक जटिल प्रक्रिया है और इसे समझने के लिए वर्षों के शोध के बाद भी हमेशा कुछ ऐसी खोज होती है जो हमें चकित कर देती है। हाल ही में शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा किए गए जलवायु परिवर्तन संबंधी अध्ययन में पाया गया है कि गर्म लावा और राख फेंकने वाले ज्वालामुखी पृथ्वी के तापमान को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

क्या कहता है अध्ययन?

यह अध्ययन इस बारे में जानकारी देता है कि वर्तमान जलवायु समस्याओं से कैसे निपटा जा सकता है। इसके निष्कर्ष नेचर जियोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं।  इस अध्ययन के परिणाम रासायनिक अपक्षय प्रक्रिया के विश्लेषण पर आधारित हैं जिसमें पृथ्वी की सतह पर चट्टानों का प्राकृतिक टूटना और विघटन शामिल है।

शोध दल में साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय (यूके), सिडनी विश्वविद्यालय (ऑस्ट्रेलिया), ओटावा विश्वविद्यालय (यूएसए) और लीड्स विश्वविद्यालय (यूके) के वैज्ञानिक शामिल थे। शोधकर्ताओं ने पृथ्वी की ठोस परतों, वायुमंडल और महासागर में पिछले 400 मिलियन वर्ष से हो रही प्रक्रियाओं का अध्ययन किया है। 

इसमें चट्टानों का कृत्रिम अपक्षय जहां चट्टानें को पीसकर रासायनिक प्रतिक्रियाओं को तेज कर वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड निकालने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है। हालांकि, इसका यह मतलब नहीं हैं कि यह जलवायु समस्या का रामबाण इलाज है। कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में IPCC द्वारा सुझाए तरीकों के अनुसार जल्दी से कमी लानी होगी। 

पृथ्वी के तापमान को बनाए रखने में ज्वालामुखी की भूमिका

यह प्रक्रिया मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे तत्वों का उत्पादन करती है जो अंततः नदियों के माध्यम से महासागरों में प्रवाहित हो जाते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को सहेजने वाले खनिज बनाते हैं। यह तंत्र वातावरण में गैस की रिहाई की जांच करने में मदद करता है और वायुमंडल में CO2 स्तर और वैश्विक जलवायु स्तर को बनाए रखता है।

शोधकर्ताओं  का मानना है कि अगर दुनियाभर के ज्वालामुखी एक साथ फट जाएं तो पृथ्वी का तापमान आने वाले पांच वर्षों के लिए काफी कम हो जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि ज्वालामुखी के विस्फोट के कारण वायुमंडल में धूल और राख का घनत्व बढ़ जाएगा, जिससे सूरज की किरणें कम प्रेवश कर पाएंगी और तापमान में गिरावट आएगी। 

इसका बेहतरीन उदाहरण है फिलिपींस का माउंट पिनाटुबो जो वर्ष 1991 में भयानक तरीके से फटा था। इस ज्वालामुखी के फटने के बाद विश्वभर के तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आई थी। 

शोधकर्ताओं ने बानाया था अर्थ नेटवर्क 

शोध के लिए वैज्ञानिकों ने मशीन लर्निंग एल्गोरिदम और प्लेट टेक्टोनिक पुनर्निर्माण का उपयोग करके अर्थ नेटवर्क बनाया था, जिससे शोधकर्ताओं को पृथ्वी के भीतर प्रमुख अंतःक्रियाओं और समय के साथ उसके विकास को समझने में मदद मिल सके। 

निष्कर्षों से पता चलता है कि पिछले 400 करोड़ वर्षों में महाद्वीपीय ज्वालामुखी चाप, ज्वालामुखियों की श्रृंखलाएं, अपक्षय की तीव्रता के प्रमुख निर्धारक थे। आज ये महाद्वीपीय चाप ज्वालामुखियों की एक शृखंला बना रहे हैं जैसे दक्षिण अमेरिका में एंडीज और अमेरिका में कास्केड्स। 

अध्ययन इस सिद्धांत को भी चुनौती देता है कि लाखों वर्षों में पृथ्वी की जलवायु स्थिरता में महाद्वीपों के अंदरूनी हिस्सों और समुद्र तल के अपक्षय की भूमिका है। आंकड़ों ने भू-भाग और समुद्र तल के बीच भूगर्भीय रस्साकशी को पृथ्वी की सतह के अपक्षय के प्रमुख कारक के रूप में खारिज कर दिया है।

अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. टॉम गेर्नोन के अनुसार, "आज वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर पिछले 30 लाख सालों के स्तर से ज्यादा हैं और मानव जनित उत्सर्जन ज्वालामुखी उत्सर्जन से 150 गुना ज्यादा है। महाद्वीपीय चाप जो इस ग्रह को पिछले समय में बचाते रहे हैं उस स्तर का काम नहीं कर पा रहे हैं जो आज के कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन का मुकाबला कर सकें।"

पढ़ें: अगर पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमना बंद कर दे तो क्या होगा?

Take Free Online UPSC Prelims 2022 Mock Test

Start Now
Get the latest General Knowledge and Current Affairs from all over India and world for all competitive exams.
Jagran Play
खेलें हर किस्म के रोमांच से भरपूर गेम्स सिर्फ़ जागरण प्ले पर
Jagran PlayJagran PlayJagran PlayJagran Play