भारतीय रेलवे द्वारा ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कौनसे सुरक्षा उपाय किए जाते हैं

भारत जैसे आबादी वाले देश में अधिकतर लोग दूर के सफर के लिए ट्रेन का ही इस्तेमाल करते है. भारतीय रेलवे एक राज्य स्वामित्व वाली राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर है, जो भारत में रेल परिवहन प्रदान करती है. यह रेल मंत्रालय के माध्यम से भारत सरकार द्वारा संचालित है. यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है और विश्व की आठवीं सबसे बड़ी रोजगार देने वाली कंपनी. भारतीय रेलवे, रेल ऑपरेशन में सुरक्षा के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता देती हैं. भारतीय रेलवे में जो सुरक्षा उपाय लिए जाते है वह एक सतत प्रक्रिया है, जो कि दुर्घटना की रोकथाम करती है और ग्राहकों को एक्सीडेंट होने के रिस्क से बचाती है.
हालांकि 20 वीं और 21 वीं शताब्दी के अंत में दुनिया भर में कई आधुनिक और अत्यधिक परिष्कृत तकनीकों को विकसित किया गया है, इससे रेलवे की सुरक्षा में भी वृद्धि हुई है और व्यस्त और घनीभूत नेटवर्क के साथ बहुत तेजी से ट्रेनों का आवागमन शुरू हुआ है. आइये इस लेख के माध्यम से उन उपायों के बारे में जानते है जो रेलवे में सुरक्षा के लिए किए जाते है और एक्सीडेंट के रिस्क को भी कम करते हैं.
रेलवे प्रणालियों में मौजूद सुरक्षा सुविधाओं को मोटे तौर पर दो भागों में विभाजित किया जा सकता है:
- लोकोमोटिव और ट्रेन में मौजूद सुरक्षा सुविधाएं
- रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे पटरियां, स्टेशन और सिग्नल में मौजूद सुरक्षा विशेषताएं
आइये देखते है भारतीय रेलवे दुर्घटनाओं को रोकने के लिए क्या-क्या सुरक्षा उपाय करता है
1. ब्रेक्स ट्रेन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि ट्रेन के लम्बी होने कि वजह से ट्रेन के हर पहियों को ब्रेक से रोकना, वो भी कम दूरी में काफी मुश्किल होता है. इसके लिए एक सिस्टम की जरुरत होती है ताकि ट्रेन सही समय पर और सही दूरी पर रुक सके और पटरी पर ना फिसले. एक ट्रेन का ब्रेक एक असफल-सुरक्षित प्रणाली का पालन करता है ताकि कोई भी विफलता होने से पहले सुरक्षा कि जा सके. ट्रेन की ब्रेक डिफ़ॉल्ट अवस्था में भी चलती रहती है. यदि किसी भी वजह से मशीन या सिस्टम काम करना बंद कर देता है, तो ब्रेक स्वतः ही काम करेगी और ट्रेन रुक जाएगी. ट्रेन में सबसे सफल ब्रेक हवा ब्रेक हैं जो हवाई दबाव के सिद्धांत पर काम करती हैं. इसलिए इस सिस्टम को समय-समय पर चेक करना अनिवार्य है.
2. चालक का सुरक्षा डिवाइस: यह सबसे पुराना सुरक्षा उपकरण है, जिसका वर्तमान में भी उपयोग किया जाता है. इसे मृत व्यक्ति के स्विच के रूप में भी जाना जाता है. इसमें एक पेडल शामिल है जिसे पैर द्वारा प्रेशर को बनाए रखने के लिए लगातार दबाया जाता है. अगर चालक की चेतना खोजाती है या नींद की स्थिति में, स्विच को दबाया नहीं जाता है तो आपातकालीन ब्रेक ट्रेन को रोक देगी जिससे एक्सीडेंट होने से बच जाएगा. हैना सबसे महत्वपूर्ण डिवाइस.
3. पावर ब्रेक नियंत्रक: यह एक ऐसा उपकरण है जो एक्सीलेरेटर और ट्रेन की ब्रेक के लिए एकल नियंत्रण प्रदान करता है. इसलिए, ड्राइवर एक ही समय में ब्रेक नही लगा सकता है और साथ ही ट्रेन की स्पीड नहीं बड़ा सकता है. इसके अलावा, यदि ब्रेक गार्ड द्वारा या चेन खींचने के कारण लगती हैं या यदि आपातकालीन ब्रेक लग जाती हैं तो ट्रेन खुद बा खुद रुक जाएगी और उसकी स्पीड में भी बढ़ोतरी नहीं होगी.
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4. रेलवे परिवहन का एक अपना तरीका है. भारी ढांचे और जमीन नियंत्रण की वजह से ट्रेनों की गति या चाल को ट्रैक किया जाता है और इसकी चाल से जुड़े सभी निर्णयों को एक रिमोट स्टेशन पर ले जाया जाता है जहां से यह सिग्नल प्रणाली के माध्यम से ट्रेन में स्थानांतरित हो जाता है. ऐसा प्रतीत होता है कि ट्रेन ड्राईवर चला रहा है पर ऐसा नहीं है. ड्राईवर स्वयं कोई भी निर्णय नहीं ले सकता है और पूरी तरह से नियंत्रण अधिकारियों के निर्देशों पर निर्भर रहता है, जो उन्हें संकेतों के माध्यम से स्थानांतरित करते हैं. ड्राइवर बस एक नियंत्रक होता है जिसे फैसले को लागू करना होता है यहां तक कि चालक द्वारा दी गई सीटियाँ विशिष्ट कोड द्वारा बाध्य होती हैं, जिनके कारण सीटी से संबंधित संकेत मिलता है. यहां तक कि उन जगहों पर जहां वाहन चालक को सीटी बजानी होती है, रेल लाइन के साथ चिह्नित होती है.
5. ट्रैक सर्किटिंग: प्रत्येक सिग्नल के बीच का ट्रैक विद्युत से पहले और उसके बाद के ट्रैक से पृथक किया जाता है. एक विद्युत रिले को दो संकेतों के बीच दो रेल लाइनों से जोड़ा जाता है; विभिन्न ट्रैक के लिए विभिन्न रिले होते है. इस सर्किट का एक हिस्सा एक विद्युत बल्ब जबकि दूसरा रेलवे पटरियों से जुड़ा हुआ होता हैं. जब ट्रेन नहीं गुजरती है तो दूसरे रास्ते का सर्किट अधूरा होता है और करंट पहले रास्ते से प्रवाह होता है और बल्ब रोशन हो जाता है. जैसे-जैसे ट्रेन गुजरती है, अलग-अलग बल्ब बंद होते जाते हैं जिसके द्वारा ट्रेन की स्थिति एक मॉनिटर पर निर्धारित की जा सकती है. इसलिए ट्रैक सर्किटिंग का सही रूप से काम करने भी जरुरी हैं.
6. स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग (एबीएस)(Automatic block signaling): ट्रैक सर्किटिंग ने सिग्नल की एक श्रृंखला की मदद से ट्रेन के स्थान की जानकारी एकत्र करना संभव बना दिया है. ये इलेक्ट्रिक सिग्नल अब प्रोग्राम डिवाइस के लिए एक इनपुट के रूप में उपयोग किए जाते है जो कि रेल के संकेतों को नियंत्रित करते है.
7. इंटरलॉकिंग: रेलवे, स्विचेस में, जो पॉइंट्स और क्रॉसिंग जुड़े होते हैं, जिनके माध्यम से ट्रेन पटरियों से गुजरती है, वे बहुत महत्वपूर्ण बिंदु होते हैं. इन्हीं बिन्दुओं से ट्रेन का पटरी से उतरना जैसी विफलता की संभावनाएं हो जाती है. इसलिए, इन बिंदुओं पर सुरक्षा सुनिश्चित करना अनिवार्य है. इंटरलॉकिंग सिस्टम की मदद से सिग्नल और स्विच को एक सटीक सिंक्रनाइज़ेशन में संचालित किया जाता है, जिसमें एक को संचालित नहीं किया जा सकता जब तक कि दूसरे पर अपेक्षित ऑपरेशन नहीं किया गया हो.
Source: www. images.mapsofindia.com
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8. ट्रेन टकराव बचाव प्रणाली (टीसीएएस) (Train Collision Avoidance System): यह एक रेडियो संचार आधारित प्रणाली है जो कि निरंतर ट्रेन की आवाजाही को देखता है. इस प्रणाली का उद्देश्य यह है कि जब ट्रेन को किसी खतरे का सिग्नल मिलता है या ट्रेन चालकों द्वारा गति नियंत्रित नही हो पा रही हो तब यह सिग्नल के रूप में ड्राईवर को सूचित करता है. ट्रेन सिस्टम में लोकोमोटिव के अंदर डीएमआई (ड्रायवर मशीन इंटरफेस) स्क्रीन पर सिग्नल को भी प्रदर्शित किया जाता है.
9. दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उठाए गए अन्य सुरक्षा उपायों में लोगों की विफलता को खत्म करने के लिए लोको पायलट, इलेक्ट्रिकल / इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम की सतर्कता जांचने के लिए सतर्कता नियंत्रण उपकरण (वीसीडी) शामिल हैं, ब्लॉक खंड की स्वचालित निकासी के लिए पूर्ण ट्रैक सर्किटिंग, एक्सेल काउंटर (बीपीएसी) ), मानव स्तर पर लेवल क्रॉसिंग फाटकों के इंटरलॉकिंग और प्रकाश उत्सर्जक डायोड (एलईडी) सिग्नल के साथ फिलामेंट टाइप सिग्नल का प्रतिस्थापन करना.
10. रेलवे व्हील इंपैक्ट लोड डिटेक्टर (वाइल्ड), रोलिंग स्टॉक सिस्टम (ओएमआरएस) और केंद्रीयकृत असर मॉनिटरिंग सिस्टम (सीबीएमएस) की ऑनलाइन निगरानी भी स्थापित कर रहा है.
11. इंजीनियरों, गार्ड और रेल ऑपरेशन से जुड़े कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण की सुविधा का आधुनिकीकरण किया गया है जिसमें इंजीनियर प्रशिक्षण के लिए सिमुलेटर का उपयोग किया जाएगा. साथ ही रिफ्रेशर कोर्स निर्दिष्ट अंतराल पर निर्धारित किए गए हैं. ट्रेन ऑपरेशन से जुड़े कर्मचारियों के काम पर लगातार निगरानी रखी जाती है और जो सही से काम नहीं करते है उनको पुन: प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है.
इस लेख से यह ज्ञात होता है कि ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भारतीय रेलवे द्वारा क्या-क्या सुरक्षा उपाय किए जाते है.