आमतौर पर माना जाता है कि दुर्लभ ब्लड ग्रुप O नेगेटिव होता है, जिसे प्राप्त करना बहुत मुश्किल होता है। क्योंकि, यह चुनिंदा लोगों में ही पाया जाता है। लेकिन, O नेगेटिव के बजाय एक दुर्लभ ब्लड ग्रुप है, जो लाखों लोगों में से किसी एक में पाया जाता है और इसका नाम है बॉम्बे ब्लड ग्रुप। इस ब्लड ग्रुप को रेयर ऑफ द रेरेस्ट ब्लड ग्रुप भी कहा जाता है।
जरूरतमंदों को रक्तदान कर उनकी जान बचाना पुण्य का काम है। रक्तदान करने से पहले डॉक्टर ब्लड ग्रुप की जांच करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि व्यक्ति रक्तदान कर सकता है या नहीं।
सामान्यतः ब्लड ग्रुप 4 प्रकार का होता है- A, B, AB और O। रक्तदान करने से पहले ब्लड ग्रुप का मिलान करना अनिवार्य है, अन्यथा यह खतरनाक हो सकता है या स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी बढ़ा सकता है। इस लेख में हम सबसे दुर्लभ रक्त समूह "बॉम्बे ब्लड ग्रुप" के बारे में जानेंगे।
क्या होता है बांबे ब्लड ग्रुप
दुनिया में इस तरह का दुर्लभ ब्लड ग्रुप केवल 0.0004 प्रतिशत आबादी में पाया जाता है। भारत में 10,000 लोगों में से केवल एक व्यक्ति का ब्लड ग्रुप बॉम्बे होता है। इसे HH रक्त प्रकार या दुर्लभ ABO रक्त समूह भी कहा जाता है। इस रक्त फेनोटाइप की खोज सबसे पहले 1952 में डॉक्टर वाईएम भेंडे ने की थी।
बांबे ब्लड क्यों कहा जाता है
इसे बांबे ब्लड कहा जाता है, क्योंकि यह सबसे पहले बांबे के कुछ लोगों में पाया गया था। एचएच रक्त समूह में एक एंटीजन, एच एंटीजन होता है, जो लगभग सभी आरबीसी पर पाया जाता है और एबीओ रक्त समूह के भीतर एंटीजन के उत्पादन के लिए बिल्डिंग ब्लॉक है। अधिक समझने के लिए पढ़ें, तो उनकी लाल कोशिकाओं (आरबीसी) में एबीएच एंटीजन होते हैं और उनके सीरा में एंटी-ए, एंटी-बी और एंटी-एच होते हैं।
एबीओ समूह में एंटी-एच की खोज नहीं की गई है, लेकिन प्री ट्रांसफ्यूजन टेस्ट में इसका पता लगाया गया है। यह H एंटीजन ABO ब्लड ग्रुप में बिल्डिंग ब्लॉक के रूप में काम करता है। एच एंटीजन की कमी को "बॉम्बे फेनोटाइप" के रूप में जाना जाता है।
बांबे ब्लड ग्रुप वाला व्यक्ति किससे रक्त ले सकता है और किसे दान कर सकता है
बांबे ब्लड ग्रुप वाला व्यक्ति एबीओ ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को रक्त दे सकता है।, लेकिन उनसे खून नहीं ले सकता है। कोई भी व्यक्ति केवल अपने ब्लड ग्रुप यानि Hh ब्लड ग्रुप से ही रक्त ले सकता है।
बांबे ब्लड कहां पाया जाता है
अक्सर देखा जाता है कि बांबे ब्लड ग्रुप केवल नजदीकी रक्त संबंध वाले लोगों में ही पाया जाता है। मुंबई में इस फेनोटाइप को रखने वाले केवल 0.01 प्रतिशत होंगे। यदि माता-पिता का ब्लड ग्रुप बांबे है, तो संभावना है कि बच्चे का ब्लड ग्रुप भी Hh होगा।
आइये देखते हैं ब्लड ग्रुपिंग के बारे मेंः
वर्ष 1900-1902 में के. लैंडस्टीनर ने मानव रक्त को चार समूहों में विभाजित किया- ए, बी, एबी और ओ। O रक्त समूह को छोड़कर, A, B, AB समूहों में संगत एंटीजन होते हैं, इसलिए O किसी भी रक्त समूह को रक्त दे सकता है और इसलिए इसे सार्वभौमिक दाता कहा जाता है। AB समूह को यूनिवर्सल रेसिपिएंट कहा जाता है, क्योंकि यह A, B, AB और O यानि सभी रक्त समूहों से रक्त ले सकता है।
ब्लड ग्रुप | किसे रक्तदान कर सकते हैं | किससे रक्त प्राप्त कर सकते हैं |
ए | ए,बी | ए और ओ |
बी | बी, एबी | बी और ओ |
एबी | केवल एबी | एबी, ए, बी और ओ |
ओ | एबी, ए, बी और ओ | केवल ओ |
पढ़ेंः उत्तर प्रदेश का कौन-सा जिला ‘कपड़ों’ के लिए है मशहूर, जानें