पर्सनल सैनिटाइजेशन एनक्लोजर (PSE) इकाई क्या है और यह कोविड 19 से कैसे बचाती है?

Personal Sanitisation Enclosure- PSE Unit:सार्वजनिक स्थानों पर लोगों की बड़ी संख्या होने के कारण उनको सैनिटाइज करने के लिए एक सिस्टम का अविष्कार किया गया है जिसमें से गुजरने पर लोग कोरोना संक्रमण से सैनिटाइज हो जायेंगे.इसमें एक विद्युत चालित पंप है जो कम से कम 20 नोजल के सेट के माध्यम से सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिडकाव कर लोगों को सैनिटाइज करता है.
Personnel Sanitisation Enclosure
Personnel Sanitisation Enclosure

कोरोनोवायरस के प्रकोप को केवल सामाजिक दूरी और उचित स्वच्छता के माध्यम से कम किया जा सकता है. इस दिशा में वैज्ञानिक समुदाय और डॉक्टरों द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं.जिनमें से एक है;पर्सनल सैनिटाइजेशन एनक्लोजर (PSE) इकाई का निर्माण.

आइये इस लेख में जानते हैं कि आखिर यह पर्सनल सैनिटाइजेशन एनक्लोजर (PSE) इकाई क्या होती है और इससे कोरोना को कैसे दूर किया जा सकता है.

पर्सनल सैनिटाइजेशन एनक्लोजर (PSE) इकाई क्या होती है? (What is Personal Sanitisation Enclosure- PSE Unit)

पर्सनल सैनिटाइजेशन एनक्लोजर (PSE) एक प्रकार की सैनिटाइजेशन मशीन है जिससे एक दवाई की धुंध निकलती है जो कि कोरोना के वायरस को मार देती है.

पर्सनल सैनिटाइजेशन एनक्लोजर (PSE) इकाई को कहीं भी लगाया जा सकता है. इसका आकार लगभग 8 फीट लंबा, 8 फीट ऊंचा और 4 फीट चौड़ा है. इसके अंदर एक व्यक्ति घुसता है और सैनिटाइज होकर बाहर निकलता है.इसमें व्यक्ति के कपडे भी सैनिटाइज हो जाते हैं.

व्यक्तियों को सैनिटाइज करने के लिए इसमें एक 700 लीटर घोल की टंकी रखी होती है जिसमें सोडियम हाइपोक्लोराइट और रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) उपचारित पानी भरा होता है. कई नोजलों के माध्यम से दवाई की धुंध बनती है जो कि व्यक्ति और उसके कपड़ों को सैनिटाइज कर देती है.

यदि टंकी एक बार पूरी भर दी जाये तो लगभग 650 लोगों को सैनिटाइज किया जा सकता  है. इसमें 80 से 100 लोगों को हर घंटे में सैनिटाइज किया जा सकता है.
इस तरह के PSE दिल्ली में लगाए गए हैं, एक आजादपुर मंडी में और दूसरा AIIMS में. डीआरडीओ ने दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट की अतिरिक्त इमारत के बाहर भी PSE स्थापित किया था.

पर्सनल सैनिटाइजेशन एनक्लोजर (PSE) कैसे काम करता है? (How does Personal Sanitisation Enclosure- PSE work)
इसकी वर्किंग प्रणाली को तीन चरणों में बांटा जा सकता है,

स्टेप 1:- PSE के प्रवेश द्वार पर एक पैडल को दबाकर परिशोधन की प्रक्रिया शुरू की जाती है. जिन जगहों पर बहुत भीड़ होती हैं वहां पर इस पैडल को दबाने की जरूरत नहीं होती है और मशीन लगातार चलती रहती है क्योंकि लोग लगातार घुसते रहते हैं.

स्टेप 2:- सैनिटाइजेशन चैम्बर में प्रवेश करने के बाद, एक विद्युत संचालित पंप सोडियम हाइपोक्लोराइट और रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) उपचारित पानी के कम से कम 20 नोजल के एक सेट के माध्यम से सैनिटाइज करने के लिए कीटाणुरहित धुंध बनाता है.

स्टेप 3:- धुंध स्प्रे 25 सेकंड के लिए चलता  है और सैनिटाइजेशन प्रक्रिया के पूरा होने के संकेत के साथ स्वचालित रूप से बंद हो जाता है.इसके बाद व्यक्ति बाहर निकल जाता है.

pse-azadpur-mandi
PSE को कहीं भी स्थापित किया जा सकता है,जैसे; रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, अस्पताल, शॉपिंग मॉल और बड़ी सब्जी और फल मंडियों में. व्यस्त स्थानों पर स्थापना के लिए  टाइमर को हटाया जा सकता है. ऐसी व्यस्त जगहों पर, मशीन नॉन स्टॉप रेट पर चलती है और लोग एक-एक करके चैम्बर से गुजरते रहते हैं.
नोट: इस सैनिटाइजेशन चैम्बर से गुजरते समय लोगों को अपना मुंह और नाक बंद कर लेने की सलाह दी जाती है.

पर्सनल सैनिटाइजेशन एनक्लोजर किसने डिजाइन किया है:(Who designed the PSE)

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और वाहन अनुसंधान विकास प्रतिष्ठान, अहमदनगर ने इसे डिज़ाइन किया है और इसमें निर्माण के लिए स्थानीय निर्माताओं के साथ गठजोड़ किया है.DRDO ने कहा, “इस प्रणाली का निर्माण गाजियाबाद में डास हिताची लिमिटेड की मदद से चार दिनों में किया गया है. एक PSE इकाई की लागत लगभग 1.5 लाख रुपये है.

इसलिए देश में कोरोनावायरस के प्रकोप को रोकने के लिए पर्सनल सैनिटाइजेशन एनक्लोजर (PSE) इकाई की स्थापना समय की आवश्यकता है. उम्मीद है कि इस PSE यूनिट के विकास से भारत में कोरोना संक्रमण को रोकने में काफी हद तक सफलता मिलेगी.

कोरोना वायरस का नाम ‘कोरोना’ ही क्यों रखा गया है?

जानें क्या है व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) और इसका भारत में कितना उत्पादन होता है?

Get the latest General Knowledge and Current Affairs from all over India and world for all competitive exams.
Jagran Play
खेलें हर किस्म के रोमांच से भरपूर गेम्स सिर्फ़ जागरण प्ले पर
Jagran PlayJagran PlayJagran PlayJagran Play