ऑफिस के बाद बॉस का फोन न उठाने का हक, जानें क्या है Right to Disconnect Bill

Dec 9, 2025, 12:51 IST

देशभर में 70 घंटे काम करने को लेकर बहस और चर्चाओं का दौर जारी है। इस बीच हाल ही में लोकसभा में सुप्रिया सुले द्वारा पेश Right to Disconnect Bill ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है। यह बिल ऑफिस समय के बाद ऑफिस से जुड़ा कॉल न उठाने या ईमेल का जवाब न देने की पैरवी करता है। क्या है यह बिल, जानने के लिए यह लेख पढ़ें। 

क्या है राइट टू डिस्कनेक्ट बिल
क्या है राइट टू डिस्कनेक्ट बिल

बीते दिनों 70 घंटे काम करने को लेकर युवा वर्ग में तेज बहस छिड़ गई थी। इस मुद्दे पर अभी भी बहस और चर्चाओं का दौर जारी है। हालांकि, इस बीच संसद के शीतकालीन सत्र में सांसद सप्रिया सुले ने Right to Disconnect Bill पेश कर सभी का ध्यान इस नए बिल पर कर दिया है। यह बिल ऑफिस समय के बाद ऑफिस से जुड़े कॉल या ईमेल का जवाब न देने की पैरवी करता है, जिससे कर्मचारी ऑफिस के बाद किसी प्रकार के कार्य के तनाव में न रहें। यह बिल लोकसभा में पेश किया गया है। ऐसे में इस बिल के बारे में हम विस्तार से जानेंगे। 

क्या है Right to Disconnect Bill 

Right to Disconnect Bill में किसी भी कंपनी, सोसाइटी या संस्था में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए वेलफेयर अथॉरिटी बनाने का प्रस्ताव दिया गया है। साथ ही, ऑफिस टाइम के बाद ऑफिस से जुड़े किसी भी प्रकार के कॉल, ईमेल या मैसेज का जवाब न देने का अधिकार देता है। 

अवहेलना करने पर क्या होगा

बिल में कंपनियों द्वारा इस अधिकार की अवहेलना करने पर जुर्माने का भी प्रस्ताव दिया गया है। इसके तहत किसी भी प्रकार की अवहेलना करने पर कंपनी या संस्था द्वारा उसके कर्मचारियों के कुल पारिश्रमिक का 1 फीसदी जुर्माना लगाया जाएगा। सुप्रिया सुले के मुताबिक, इस बिल का उद्देश्य लोगों को अच्छी जीवन गुणवत्ता और बेहतर वर्क-लाइफ बैलेंस देना है, जिससे आज के डिजिटल कल्चर में पैदा होने वाले बर्नआउट को कम किया जा सके।

डिजिटल डिटॉक्स केंद्रों का दिया गया है प्रस्ताव

इस नए बिल में मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों की भी बात की गई है। इसके तहत टेलीप्रेशर, तनाव और इंफो-ऑबेसिटी के लिए परामर्श सेवा व डिजिटल डिटॉक्स केंद्रों को बनाने की भी प्रस्ताव दिया गया है। आपको बता दें कि पुर्तगाल, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया में इस तरह के कानून पहले से लागू हैं।

निजी सदस्य विधेयक 

संसद में पेश किया गया है यह विधेयक एक निजी सदस्य विधेयक है, जो कि किसी भी संसद द्वारा पेश किया जा सकता है, जो कि मंत्री नहीं है। हमारी संसदीय प्रणाली में किसी भी सांसद को निजी सदस्य तब माना जाता है, जब वह किसी मंत्री पद पर न हो। 

अब तक सिर्फ 14 निजी सदस्य विधेयक पास

निजी सदस्य विधेयक(PMB) शुक्रवार को लिए जाते हैं, जो कि कम ही पास होते हैं। देश की आजादी से अब तक सिर्फ 14 निजी सदस्य विधेयकों को दोनों सदनों के बाद राष्ट्रपति से मंजूरी मिली है। वहीं, 1970 के बाद से एक भी PMB पास नहीं हुआ है। 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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