इस साल के नोबेल प्राइस के विजेताओं के नाम सामने आने लगे है. फिजियोलॉजी या मेडिसिन (Physiology or Medicine) में 2023 का नोबेल पुरस्कार कैटालिन कारिको (Katalin Karikó) और ड्रू वीसमैन (Drew Weissman) को दिया गया है.
रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने पियरे एगोस्टिनी, फेरेंक क्रूज़ और ऐनी एल'हुइलियर को संयुक्त रूप से भौतिकी में 2023 का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की है. इन्हे यह अवार्ड पदार्थ में प्रकाश के एटोसेकंड पल्स (Attosecond Pulses) से जुड़े अध्ययन के लिए दिया गया है.
BREAKING NEWS
The Royal Swedish Academy of Sciences has decided to award the 2023 #NobelPrize in Physics to Pierre Agostini, Ferenc Krausz and Anne L’Huillier “for experimental methods that generate attosecond pulses of light for the study of electron dynamics in matter.” pic.twitter.com/6sPjl1FFzv
इसकी जानकारी नोबेल प्राइज के आधिकारिक X हैंडल पर भी दी गयी है. दोनों वैज्ञानिकों को न्यूक्लियोसाइड (Nucleoside) आधारित संशोधनों से संबंधित उनकी खोजों के लिए उन्हें यह अवार्ड दिया गया है. न्यूक्लियोसाइड सम्बन्धी इस खोज ने कोविड-19 के खिलाफ प्रभावी एमआरएनए टीकों के विकास को संभव बनाया है.
BREAKING NEWS
The 2023 #NobelPrize in Physiology or Medicine has been awarded to Katalin Karikó and Drew Weissman for their discoveries concerning nucleoside base modifications that enabled the development of effective mRNA vaccines against COVID-19. pic.twitter.com/Y62uJDlNMj — The Nobel Prize (@NobelPrize) October 2, 2023
ड्रू वीसमैन पिछले 15 वर्षों से कर रहे शोध:
पेन मेडिसिन (Penn Medicine) के संक्रामक रोग विशेषज्ञ, ड्रू वीसमैन (एमडी, पीएचडी) 15 वर्षों से अधिक समय से टीकों में उपयोग के लिए आरएनए का अध्ययन कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद नहीं थी कि एमआरएनए टेक्नोलॉजी कोविड-19 आधारित टीकों के लिए इतनी उपयोगी बन जाएगी.
RNA-आधारित टीके अन्य से कैसे है अलग?
कोविड-19 के कई प्रकार के टीके है जो विभिन्न प्रकार के प्लेटफार्मों पर आधारित हैं. अधिकांश फ्लू टीके एक निष्क्रिय वायरस वाले होते है. ये मुर्गी के अंडों में वायरस को विकसित करते हैं, और फिर वे इसे निष्क्रिय कर देते हैं ताकि वायरस मर जाए और इसे बाद में मानव शरीर में इंजेक्ट किया जाता है.
बहुत से टीकों में जीवित वायरस होते हैं जहां वे वायरस को कमजोर कर देते हैं. वे इसे इसलिए बनाते हैं ताकि यह बीमारी के किसी बुरे संस्करण का कारण न बने. इसे छोटे बच्चों की नाक में भी स्प्रे करते हैं.
RNA-आधारित टीके इनसे अलग होते है, आरएनए प्रोटीन के उत्पादक होते है. RNA-आधारित कोविड टीके SARS-CoV-2 वायरस पर पाया जाने वाला स्पाइक प्रोटीन है जो कोविड का कारण बनता है.
किन क्षेत्रों में दिया जाता है नोबेल:
नोबेल पुरस्कार प्रतिवर्ष फिजिक्स, केमेस्ट्री, मेडिसिन, साहित्य, शांति और इकनॉमिक के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए दिया जाता है. यह अवार्ड डाइनामाइट के अविष्कारक महान वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल के याद में दिया जाता है. एक नोबेल पुरस्कार विजेता को एक डिप्लोमा, एक मेडल और 10 मिलियन नकद स्वीडिश क्रोना दिया जाता है.
क्या है अवार्ड के नियम:
नोबेल पुरस्कार आमतौर पर दो या तीन लोगों को संयुक्त रूप से दिया जाता है. शांति के नोबेल पुरस्कार के मामले में यह अवार्ड किसी संगठन या संस्था को भी दिया जाता है. यह अवार्ड मरणोपरांत नहीं दिया जाता है. नोबेल पुरस्कार अधिकतर तीन लोगों के समूह में दिया जाता है.
ये संस्थाएं तय करती है विजेता:
शांति का नोबेल पुरस्कार प्रतिवर्ष ओस्लो (नॉर्वे) में दिया जाता है जबकि अन्य सभी नोबेल पुरस्कार स्टॉकहोम (स्वीडन) में प्रदान किये जाते हैं. नोबेल पुरस्कार विजेताओं का चयन चार संस्थाओं द्वारा किया जाता है-
1 | द नॉर्वेजियन नोबेल कमिटी | शांति पुरस्कार |
2 | द स्वीडिश एकेडमी | साहित्य |
3 | द रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज | भौतिकी, रसायन और अर्थशास्त्र |
4 | द नोबेल असेंबली एट करोलिंस्का इंस्टिट्यूट | चिकित्सा विज्ञान |
नोबेल के लिए क्या खुद कर सकते है आवेदन:
नोबेल के लिए कोई भी व्यक्ति खुद से आवेदन नहीं कर सकता है. इस अवार्ड के लिए इनविटेशन के जरिए ही नॉमिनेट किया जा सकता है. इस प्रक्रिया में एक योग्य नॉमिनेटर के जरिए ये नॉमिनेशन दिए जा सकते है. साथ ही अवार्ड के लिए बनाये गए सभी मानदंडों को भी पूरा करना होता है. शुरू में इसके नॉमिनेशंस को सार्वजनिक नहीं किया जाता है. नियमों के अनुसार 50 साल बाद नॉमिनेशंस के बारें में पता लगाया जा सकता है.
इसे भी पढ़ें:
भारत ने Asian Games 2023 में अब तक कितने मेडल जीते, यहां देखें पूरी लिस्ट