Earth Day 2020: पृथ्वी दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

Earth Day 2020: पृथ्वी दिवस 2020 के लिए थीम है; climate action. पृथ्वी दिवस का आयोजन हर वर्ष 22 अप्रैल को दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्थन प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया जाता है. सन् 1970 से प्रारम्भ हुए इस दिवस को आज पूरी दुनिया के 192 से अधिक देशों के 1 अरब से अधिक लोग मनाते हैं. वर्ष 2020 में इसके 50 वर्ष पूरे हो चुके हैं.
Earth Day 2020
Earth Day 2020

महात्मा गाँधी ने एक बार कहा था कि प्रकृति में इतनी ताकत होती है कि वह हर मनुष्य की “जरुरत” को पूरा कर सकती है लेकिन पृथ्वी कभी भी मनुष्य के “लालच” को पूरा नही कर सकती है.

पृथ्वी दिवस की स्थापना अमेरिकी सीनेटर गेलोर्ड नेल्सन (Gaylord Nelson) ने पर्यावरण शिक्षा के रूप की थी. सन् 1970 से प्रारम्भ हुए इस दिवस को आज पूरी दुनिया के 195 से अधिक देश मनाते हैं. इन्हें फादर ऑफ़ अर्थ डे कहा जाता है.

पृथ्वी  दिवस की गतिविधियों में पूरी दुनिया में लगभग 1 अरब से अधिक लोग हर साल भाग लेते हैं. इस प्रकार इतनी बड़ी संख्या के साथ यह पूरी दुनिया का सबसे बड़ा नागरिक आन्दोलन है.

पृथ्वी दिवस एक वार्षिक आयोजन है, जिसे 22 अप्रैल को दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्थन प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया जाता है. इस तारीख के समय उत्तरी गोलार्द्ध में वसंत और दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद का मौसम रहता है.

22 अप्रैल 1970 को आयोजित पहले पृथ्वी दिवस में 20 मिलियन अमेरिकी लोगों ने भाग लिया था जिसमे हर समाज, वर्ग और क्षेत्र के लोगों ने भाग लिया था. इस प्रकार यह आन्दोलन आधुनिक समय के सबसे बड़े पर्यावरण आन्दोलन में बदल गया था.

विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस

इस दौरान अमेरिका के हजारों कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों ने पर्यावरण में गिरावट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था.

पर्यावरण-प्रेमी, प्रबुद्ध समाज, स्वैच्छिक संगठन; समुद्र में तेल फैलने की घटनाओं को रोकने, नदियों में फैक्ट्री का गन्दा पानी डालने वाली कंपनियों को रोकने के लिए, जहरीला कूड़ा इधर उधर फेकने की प्रथा पर रोक लगाने के लिए और जंगलों को काटने वाली आर्थिक गतिविधियों को रोकने के लिए आज भी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.  

पृथ्वी दिवस शब्द किसने दिया था? (Who Invented World Earth Day)

"पृथ्वी दिवस या अर्थ डे" शब्द को जुलियन कोनिग (Julian Koenig) 1969 ने दिया था. इस नए आन्दोलन को मनाने के लिए 22 अप्रैल का दिन चुना गया, इसी दिन केनिग का जन्मदिन भी होता है. उन्होंने कहा कि "अर्थ डे" "बर्थ डे" के साथ ताल मिलाता है, इसलिए उन्होंने 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाने का सुझाव दिया था.

इसके अलावा इस माह में विश्व में स्कूलों की छुट्टियाँ भी होतीं हैं जिससे लोग आन्दोलन में भाग लेने ले लिए फ्री होते हैं और विश्व के देशों में तापमान भी अनुकूल रहता है.

रोन कोब्ब ने एक पारिस्थितिक प्रतीक (Ecological symbol) का निर्माण किया, जिसे बाद में पृथ्वी दिवस के प्रतीक के रूप में अपनाया गया था. यह लोगो "E" व "O" अक्षरों को जोड़कर बनाया गया था जिसमे  "E" "Environment" व "O" "Organism" को दर्शाता है. इस लोगो को “लॉस एंजेलिस फ्री प्रेस” में 7 नवम्बर 1969 को प्रकाशित किया गया और फिर इसे सार्वजानिक डोमेन में रखा गया था.

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पृथ्वी के पर्यावरण को नष्ट करने वाले कारक इस प्रकार हैं;

1. पॉलीथीन पृथ्वी के लिए सबसे घातक है, फिर भी हम इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं. पृथ्वी दिवस 2018 की थीम भी इसी “प्लास्टिक को ख़त्म करने” पर आधारित है. जबकि वर्ष 2019 के पृथ्वी दिवस की थीम "Protect Our Species" है. पृथ्वी दिवस 2020 के लिए थीम है; climate action. Earth Day 2020 theme: climate action.

2. पेड़ को काटना और नदियों, तालाबों को गंदा करना हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बना हुआ है.

3. विश्व का मानव संसाधन पर्यावरण जैसे मुद्दों के प्रति कम जागरूक है.

4. प्रथ्वी के प्रति मानव की शोषण धारित प्रवृत्ति का होना.

5. वन और पर्यावरण सुरक्षा कानूनों का शिथिल होना.

2020 में पहले प्रथ्वी दिवस की 50वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी. इस वर्षगाँठ को सही मायने में सफल बनाने के लिए प्रथ्वी दिवस का कार्यकारी समूह 21वीं शताब्दी के पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए पर्यावरणीय लक्ष्यों का एक महत्वाकांक्षी सेट लॉन्च करने जा रहा है.

व्यंग्य करने वाले लोग वायु प्रदुषण को "समृद्धि की गंध" कहते हैं (Air pollution is commonly accepted as the smell of prosperity.) अगर हर देश में वनों का इसी तरह से अंधाधुंध विनाश होता रहा अर्थात लकड़ी के जंगलों की जगह कंक्रीट के जंगल बनते रहे, उद्योग लगते रहे और विश्व के नेता और उद्योगपति अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों को मौजमस्ती का अड्डा समझते रहे तो बहुत जल्दी ही यह प्रथ्वी फिर से आग का गोला बन जाएगी.

अंत में यह कहा जा सकता है कि जिस दिन हम इस प्रथ्वी को आने वाली पीढ़ियों के लिए रहने लायक दुबारा बना देंगे उसी दिन दुनिया सही मायने में अर्थ डे या प्रथ्वी दिवस मनाएगी.

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