उत्तर प्रदेश का कौन-सा जिला 'बिंदी' के लिए है मशहूर, जानें

उत्तर प्रदेश भारत के उत्तर में प्रमुख राज्यों में से एक है। इस राज्य में सबसे अधिक हिंदी भाषा बोलने वाले लोग मिल जाएंगे। इसके अलावा यहां पर आपको अलग-अलग शहरों में अलग-अलग विशेषताएं मिल जाएंगी। किसी शहर का स्वाद जुबां पर याद रह जाता है, तो किसी शहर के कपड़े सालों तक अपनी रौनक के लिए जाने जाते हैं।
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इसके अलावा कुछ शहरों में पहुंचने पर साड़ियां, तो कुछ शहरों में पहुंचने पर आपको घी, गुड़ और जरी जरदोजी का प्रमुख रूप से उत्पाद देखने को मिल जाएगा।
इस कड़ी में हम अपने लेखों के माध्यम से उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों को उनके उत्पादों के माध्यम से जान रहे हैं। क्या आपको पता है कि उत्तर प्रदेश का कौन-सा जिला ‘बिंदी’ के लिए मशहूर है, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
कौन-सा जिला बिंदी के लिए है मशहूर
उत्तर प्रदेश में हर जिले का अपना उत्पाद है। ऐसे में उत्तर प्रदेश द्वारा एक जनपद एक उत्पाद योजना(ODOP) के तहत अलग-अलग जिलों में अलग-अलग उत्पादों की पहचान की गई है। इसके तहत उत्तर प्रदेश में पूर्व में स्थित बलिया जिले को बिंदी के लिए चुना गया है। यह ऐसा जिला है, जो कि बिंदी उत्पादन के लिए जाना जाता है।
घर-घर में है कुटीर उद्योग
बलिया जनपद के मनियार विकास खंड में आपको बिंदी का कुटीर लघु उद्योग देखने को मिल जाएगा। यहां पर कई सालों से बिंदी उद्योग स्थापित है। ऐसे में यहां पर बिंदी बनाकर देशभर में आपूर्ति की जाती है।
बलिया का परिचय
उत्तर प्रदेश की एक जनपद-एक उत्पाद वेबसाइट के मुताबिक, बलिया नगर महर्षि भृगु के नाम से जाना जाता है। यहां प्रमुख रूप से हिंदी और भोजपुरी भाषाएं बोली जाती हैं। पहले यह गाजीपुर जिले का हिस्सा हुआ करता था।
बाद में यह अलग से जिला बन गया है। इस जिले को राजा बलि की धरती माना जाता है, जिससे यहां का नाम बलिया पड़ा। वहीं, 1942 में जब अंग्रेजों भारत छोड़ों आंदोलन शुरू हुआ, तो यहां के क्रांतिकारियों ने चित्तू पाण्डेय के नेतृत्व में यहां पर संघर्ष किया था। यहां पर 6 तहसील, 17 विकास खंड, 1830 गांव और पांच प्रमुख उद्योग हैं।
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