गुजरात में अमेरिकी ड्रैगन फ्रूट को संस्कृत नाम क्यों दिया गया?

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी (Gujarat CM Vijay Rupani) ने ड्रैगन फ्रूट का नाम बदलकर 'कमलम' रखा है यानी अब गुजरात में ड्रैगन फ्रूट को 'कमलम' (Kamalam) नाम से जाना जाएगा. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं ड्रैगन फ्रूट और इसे नया नाम क्यों दिया गया है के बारे में.
Dragon Fruit
Dragon Fruit

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी (Gujarat CM Vijay Rupani) के अनुसार ड्रैगन फ्रूट का नाम 'कमलम' (‘Kamalam’) होना चाहिए. गुजरात सरकार ने इस फ्रूट के बाहरी आकार को देखते हुए इसका नाम बदलने का फैसला किया है. रूपाणी जी ने कहा कि इस फ्रूट का अमरीकी नाम एक तो अच्छा नहीं लगता है और इस फल की पत्तियों और नोकों को देखकर कमल के फूल (Lotus) की याद आ जाती है. 

हॉर्टिकल्चर विकास मिशन के शुभारंभ पर मुख्यमंत्री श्री रूपाणी, राज्य की अनुत्पादक भूमि में बागवानी को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना शुरू करते हुए कहा, "हमने ड्रैगन फ्रूट का नाम 'कमलम' को पेटेंट के लिए अप्लाई किया है. लेकिन अब तक भारत में गुजरात सरकार ने ड्रैगन फ्रूट को 'कमलम' कहने का फैसला किया है."

उन्होंने कहा कि गुजरात के कच्छ (Kutch), नवसारी (Navsari) और अन्य हिस्सों में किसान ड्रैगन फ्रूट उगा रहे थे और इसलिए इसका स्थानीय नाम भी होना चाहिए. “हालांकि इसे ड्रैगन फ्रूट के रूप में जाना जाता है, लेकिन यह उचित नहीं लगता है. 'कमलम' शब्द एक संस्कृत शब्द है और फल का आकार कमल के फूल के समान है, इसलिए हमने इसे 'कमलम' कहने का फैसला किया है. उन्होंने कहा, "फल का नाम बदलने के बारे में कुछ भी राजनीतिक नहीं है."

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आइये अब ड्रैगन फ्रूट के बारे में जानते हैं

ड्रैगन फ्रूट दक्षिण और मध्य अमेरिका में पाए जाने वाले देसी जंगली कैक्टस की एक प्रजाति का फल है, जहाँ इसे पिटाया (Pitaya) या पिटाहाया (Pitahaya) कहा जाता है. फल बाहर से आमतौर पर सफेद या लाल रंग का होता है- हालाँकि इसमें पीला पिटाया (Pitaya) भी होता है लेकिन यह कम मिलता है. यह किवी फ्रूट की तरह छोटे बीज वाला होता है बस इसका रंग कीवी फ्रूट से अलग है.

दुनिया में ड्रैगन फ्रूट का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक वियतनाम है, जहां 19वीं शताब्दी में फ्रांसीसी द्वारा इसके प्लांट को लाया गया था. वियतनामी इसे लंबे समय से ‘थान्ह लोंग’ (Thanh long) कहते रहे, जिसका अर्थ "ड्रैगन आई" होता है. ऐसा माना जाता है कि यहीं से इसका अंग्रेजी में नाम ‘ड्रैगन फ्रूट’ फेमस हुआ.

ड्रैगन फ्रूट की खेती कहां होती है?

ड्रैगन फ्रूट की खेती लैटिन अमेरिका में भी की जाती है. इसके अलावा थाईलैंड, ताईवान, चीन, ऑस्ट्रेलिया, इज़रायल और श्रीलंका में भी होती है.

यह 1990 के दशक में भारत में लाया गया था, और कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में इसे उगाया जाता है या इसकी खेती होती है. यह सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जाता है, और अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है.

ड्रैगन फ्रूट को कैसे खाया जाता है और यह कितना हेल्दी होता है?

ड्रैगन फ्रूट को बीच से आधा काटकर सीधे भी खाया जा सकता है या फिर इसके किनारे काट कर और चिल्का निकाल कर भी खाया जा सकता है. इस फ्रूट से Smoothies या शेक भी बनाया जा सकता है. सलाद, केक और टाको जैसे व्यंजनों में भी इसका उपयोग किया जाता है. लैटिन अमेरिका में, पिटाया (Pitaya) जूस काफी लोकप्रिय है. 

ऐसा बताया जाता है कि यह फल सेहत के लिए काफी उपयोगी है. इससे इम्यून सिस्टम मज़बूत होता है और साथ ही इसमें एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर भी अच्छी मात्रा में होता है. 

आइये अब जानते हैं कि इसका नाम बदलने का विचार कैसे आया?

पिछले साल 26 जुलाई को प्रसारित अपने मन की बात में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कच्छ के किसानों को ड्रैगन फ्रूट्स की खेती करने और नवीन प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रशंसा की थी, इसे "आत्मनिर्भरता की भावना" कहा था.

6 अगस्त को, गुजरात के वन विभाग में अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (सामाजिक वानिकी) राम कुमार ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) को ड्रैगन फ्रूट का नाम 'कमलम' बदलने पर एक प्रस्ताव भेजा था. 

'कमलम' गांधीनगर में कोबा (Koba) में भाजपा मुख्यालय का नाम भी है, और कमल -  भाजपा का चुनाव चिन्ह भी है. हालांकि, रूपाणी जी ने कहा कि नाम बदलने के पीछे कोई राजनीति शामिल नहीं थी. 

उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात सरकार ने फैसला किया है कि ड्रैगन फ्रूट एक उपयुक्त शब्द नहीं है. दुनिया भर में इसे ड्रैगन फ्रूट के रूप में जाना जाता है और लोग इसे चीन का फ्रूट भी समझते हैं. इसलिए 'कमलम' नाम दिया गया है. यह फ्रूट दिखने में कमल की तरह ही लगता है.

ICAR के अनुसार गुजरात सरकार के प्रस्ताव को केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय को भेज दिया गया है. ICAR के अधिकारियों ने बताया कि इस तरह के प्रस्ताव को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया और राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण से अनुमोदन की आवश्यकता होगी. साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि ड्रैगन फ्रूट भारत की मूल प्रजाति नहीं है और आधिकारिक घोषणाओं में इसके नामकरण को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी वैधानिक पहलूओं को भी देखना होगा. इसलिए, BSI और NBA की राय मायने रखती है.

तो अब आप जान गाए होंगे की ड्रैगन फ्रूट को गुजरात में 'कमलम' नाम से जाना जाएगा. 

Source: thehindu, indianexpress

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