भारत में पेट्रोल भंडार कहां और क्यों बना रहा है ?

मनुष्य की आधारभूत जरूरतों में रोटी कपड़ा और मकान को माना जाता है, लेकिन अब मनुष्य की आधारभूत जरूरतों में एक और चीज जुड़ गयी है और इस चीज का नाम है ऊर्जा. मनुष्य ने सभ्यता की शुरुआत में पत्थर की रगड़ से आग पैदा की थी और अब विद्युत् ऊर्जा, थर्मल ऊर्जा से लेकर परमाणु ऊर्जा भी पैदा कर रहा है.
यदि पेट्रोलियम ऊर्जा की बात की जाए तो भारत इस मामले में आत्मनिर्भर नहीं है. आज भारत के अपनी जरूरत का 85% कच्चा तेल आयात करना पड़ता है और अब भारत में डीजल और पेट्रोल की कीमतें हर दिन ऊपर-नीचे होतीं रहतीं हैं, क्योंकि तेल की कीमतें बाजार भाव से तय होतीं हैं. इसलिए तेल की कीमतों में स्थिरता लाने और देश की ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए भारत को पेट्रोलियम भंडार बनाने की सख्त जरुरत है.
आइये इस लेख में जानते हैं कि भारत कहाँ-कहाँ पर पेट्रोलियम के भंडार बना रहा है और क्यों बना रहा है?
क्रूड ऑयल स्टोरेज को जमीन के नीचे पत्थरों की गुफाओं में बनाया जाता है. पत्थर की गुफाएं मानव निर्मित होती हैं और इनहें हाइड्रोकार्बन जमा करने के लिए सबसे सुरक्षित माना जाता है.
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भारत में पेट्रोलियम भंडारों की शुरुआत कब हुई? (When Petroleum Reserves Built in India)
वर्ष 1990 में हुए प्रथम खाड़ी युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बहुत उछाल आया था जिसके कारण भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बहुत गिरावट आई थी और भारत के पास आयातित माल का भुगतान करने के लिए केवल तीन हफ्ते के आयात (1.2 बिलियन डॉलर) का पैसा बचा था.
तेल बाजार में उत्पन्न हुई समस्या का दीर्घकालिक समाधान निकलने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 1998 में ऑयल रिजर्व करने का आइडिया दिया था.
कहाँ - कहाँ होंगे भारत के पेट्रोलियम भंडार? (Location of Petroleum Reserves in India)
रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (एसपीआर) के निर्माण और रखरखाव का जिम्मा भारतीय सामरिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड (ISPRL) को दिया गया है. भूमिगत चट्टानों में कच्चे तेल को स्टोर करना सबसे सुरक्षित माना जाता है.
ध्यान रहे कि भारत के पास पहले से ही तीन जगहों पर 5.33 MMT स्टोरेज की अंडरग्राउंड गुफाएं हैं. इनमें विशाखापट्टनम (1.33 MMT), मंगलौर (1.5 MMT) और पदूर-केरल (2.5 MMT) शामिल हैं.
सरकार ने इस योजना के दूसरे चरण में 12.5 मिलियन मीट्रिक टन क्षमता के अतिरिक्त भंडार बनाने का फैसला लिया है. ये नए भंडार ओडिशा में चंडीखोल जिसकी क्षमता 40 लाख मीट्रिक टन है इसके अलावा कर्नाटक के पदूर (कर्नाटक के उडुपी जिले में) में 25 लाख मीट्रिक टन क्षमता वाला भंडार बनाया जायेगा. हालाँकि सरकार की योजना बीकानेर (राजस्थान)और राजकोट (गुजरात) के भी इस तरह के भंडार बनाने की योजना है.
भारत पेट्रोलियम भंडारों की जरुरत क्यों? (Why Petroleum Reserves Required in India)
भारत को आज भी अपनी जरुरत का 85% पेट्रोलियम आयात करना पड़ता है. इसके अलावा अक्सर पेट्रोलियम के दामों में रोज उतार चढ़ाव होता रहता है और भारत अपनी ज्यादातर पेट्रोलियम की खपत के लिए खाड़ी देशों पर निर्भर रहता है.
ज्ञातव्य है कि खाड़ी देशों में राजनीतिक उथल पुथल हमेशा ही होती रहती है, इसलिए भारत अपने देश को पेट्रोलियम की निर्बाध आपूर्ति करने के लिए रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व्स) को बना रहा है.
ज्ञातव्य है कि वर्तमान में मौजूद तीनों भंडारों से भारत की 13 दिन की पेट्रोलियम की जरुरत को पूरा किया जा सकता है. लेकिन केवल 13 दिन का भंडार भारत के लिए ज्यादा ऊर्जा सुरक्षा प्रदान नहीं करता है. भारत को 90 दिनों के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त 13.32 मीट्रिक टन क्षमता भंडार बनाने की जरूरत है जो कि दूसरे चरण में बनने वाले भंडारों की मदद से हासिल कर ली जाएगी.
सारांश के तौर पर यह कहा जा सकता है कि भारत द्वारा रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार बनाने की शुरुआत करना देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए बहुत ही अहम् उपाय है. यह उपाय खादी देशों में युद्ध की स्थिति उत्पन्न होने की दशा में भारत के लिए ऊर्जा की गुल्लक की तरह काम करेगा.
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