क्यों लाल रंग का होता है LPG Cylinder, जानें

एक समय था, जब घरों तक सिलेंडर नहीं पहुंचा था, तो लोग ईंधन के रूप में चूल्हे में लकड़ी व अन्य सामान जलाकर खाना पकाते थे। इससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता था। वहीं, समय के साथ-साथ इसमें बदलाव हुआ और ईंधन के तौर पर मिट्टी का तेल इस्तेमाल किये जाने लगा। हालांकि, अब मिट्टी का तेल भी बहुत कम देखने को मिलता है। क्योंकि, अब इसकी जगह एलपीजी सिलेंडर ने ले ली है। हालांकि, आज भी कुछ गांव में पारंपरिक रूप से चूल्हे का प्रयोग कर खाना पकाया जाता है। लेकिन, क्या कभी आपने सोचा है कि घरों में इस्तेमाल होने वाले एलपीजी सिलेंडर का रंग लाल ही क्यों होता है, यदि नहीं, तो आज हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे। जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें।
भारत में क्या है एलपीजी का इतिहास
सबसे पहले हम भारत में एलपीजी के इतिहास के बारे में जानेंगे। आपको बता दें कि भारत में एलपीजी की शुरुआत साल 1955 में मुंबई से की गई थी, जिसके बाद यह पूरे देश में फैली। वहीं, साल 2016 में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की भी शुरुआत की थी, जिसके तहत लोगों को एलपीजी के नए कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया था।
लाल रंग के इस्तेमाल के कारण
घरों में इस्तेमाल होने वाले लिक्विड पेट्रोल गैस(एलपीजी) सिलेंडरों का रंग लाल रंग का होता है। इसके दो प्रमुख कारण हैं, पहला कारण है, एलपीजी गैस अत्याधिक ज्वल्नशील होती है। ऐसे में खतरे को भापते हुए इसे लाल रंग दिया गया है, जो कि खतरे का भी संकेत देता है। साथ ही सावधानीपूर्वक इस्तेमाल की भी सलाह देता है।
लाल रंग का दूसरा कारण
आपको बता दें कि एलपीजी सिलेंडर के अलावा भी अलग-अलग सिलेंडर आते हैं, जिसका रंग अलग होता है। उदाहरण के तौर पर, कार्बन डाइक्साइड वाले सिलेंडर ग्रे रंग के होते हैं। वहीं, नाट्रस ऑक्साइड नीले रंगे के सिलेंडर में आती है। ऐसे में अलग-अलग गैस की पहचान के लिए अलग-अलग रंग का इस्तेमाल किया जाता है।
भारत में कितने एलपीजी प्लांट्स हैं
भारत में अलग-अलग जगहों पर एलपीजी प्लांट्स हैं। अकेले उत्तर भारत की बात करें, तो यहां पर 63 बॉटलिंग प्लांट हैं। वहीं, पूरे भारत में 202 बॉटलिंग प्लांट्स हैं। इन प्लांट पर सिलिंडर में गैस को रिफिल कर देश के अलग-अलग हिस्सों तक पहुंचाया जाता है।
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