Women’s Day 2023: महिलाओं को कब मिलती है गिरफ्तारी से छूट, क्या हैं महत्वपूर्ण अधिकार, जानें

Women’s Day 2023: बीते कई वर्षों में महिलाएं आगे बढ़ी हैं। उन्होंने रूढ़िवादी जड़ों में न बंधकरअपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है। वर्तमान दौर में महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। दुनिया के हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी छाप छोड़ रही हैं, जिससे नारी सशक्तिकरण की मिसाल देखने को मिल रही है। सामाज में महिलाओं का बराबर हिस्सा है और इसी हिस्सा को याद दिलाने के लिए महिला दिवस मनाया जाता है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से महिलाओं से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण अधिकारों के बारे में बताने जा रहे हैं। जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
कब मिलती है गिरफ्तारी से छूट
भारत में बहुत कम महिलाओं को यह जानकारी होती है कि पुलिस ने उन्हें कब गिरफ्तार नहीं कर सकती है। तो, आज हम आपको बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, सूरज ढलने के बाद और सूरज उगने से पहले पुलिस महिला को गिरफ्तार नहीं कर सकती है। वहीं, महिला पुलिस कांस्टेबल या अधिकारी के पास भी यह अधिकार नहीं है। यदि किसी महिला को गिरफ्तार करना बहुत जरूरी है, तब उस स्थिति में मजिस्ट्रेट से विशेष अनुमति लेने की आवश्यकता होगी।
कार्यस्थल पर अधिकार
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, यदि किसी संस्थान या कंपनी में 10 से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं और उसमें महिलाएं भी शामिल हैं, तो कंपनी में महिलाओं से संबंधित यौन उत्पीड़न की शिकायत के लिए एक आंतरिक कमेटी होने चाहिए। वहीं, इसकी अध्यक्ष महिला ही होनी चाहिए। साथ ही कमेटी में कम से कम 50 फीसदी महिलाएं होने चाहिए।
गोपनीयता का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, दुष्कर्म पीड़िता का नाम सार्वजनिक नहीं होने चाहिए। वहीं, पुलिस पीड़िता को सभी लोगों के सामने बयान देने के लिए मजबूर नहीं कर सकती है। पीड़िता अपना बयान किसी महिला पुलिस अधिकारी या फिर मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज करा सकती है।
पूछताछ के लिए थाने नहीं जा सकती महिला
अपराध प्रक्रिया संहिता(सीआरपीसी) की धारा 160 के तहत पुलिस किसी भी महिला को थाने में बुलाकर पूछताछ नहीं कर सकती है, बल्कि पुलिस किसी महिला पुलिस कर्मचारी की मौजूदगी में या परिवार की मौजूदगी में घर पर ही पूछताछ कर सकती है।
मेटरनिटी लीव का अधिकार
महिलाओं को मातृत्व संबंधी अधिकार भी प्राप्त हैं। किसी भी सरकारी या निजी कंपनी में काम कर रही महिला गृभावस्था के दौरान छह महीने की मेटरनिटी लीव ले सकती है।
सामान वेतन का अधिकार
महिलाओं का पुरुषों की तरह सामान वेतन का अधिकार है। यह पारिश्रमिक अधिनियम के तहत है, जिसके तहत महिलाओं के साथ वेतन को लेकर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
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