विश्व डाक दिवस 2019: इतिहास और उद्देश्य

विश्व डाक दिवस ( World Post Day) को स्विट्जरलैंड के बर्न में 1874 ईस्वी में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) की स्थापना की याद में मनाया जाता है. क्या आप जानते हैं कि 1 जुलाई, 1876 में भारत यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बना था. इस सदस्यता को लेने वाला भारत एशिया का पहला देश है. 1 अक्टूबर, 1854 में भारत सरकार ने डाक के लिए एक विभाग की स्थापना की थी.
इस तिथि को 1969 ईस्वी में जापान के टोकियो में आयोजित यूपीयू कांग्रेस में विश्व पोस्ट दिवस के रूप में आयोजित किये जाने के लिए चुना गया था. यूपीयू पूरी दुनिया में संचार क्रांति के उद्देश्यों पर यह ध्यान में रखते हुए केन्द्रित रहता है की लोग एक-दुसरे को पत्र लिखें और अपने विचारों को साझा कर सकें. यह दिवस पोस्टल सेवा के महत्वपूर्ण योगदान को भी ध्यान में रखता है.
अंतर्राष्ट्रीय डाक सेवा दिवस - 9 अक्टूबर (1969 में शुरू हुआ था)
भारत में पहला पोस्ट ऑफिस - 1774, कोलकाता
स्पीड पोस्ट भारत में कब शुरू हुआ - 1986
मनी आर्डर सिस्टम कब शुरू हुआ - 1880
पहला डाकघर जो भारतीय सीमा के बाहर है - दक्षिण गंगोत्री, अंटार्टिका (1983)
विश्व डाक दिवस का उद्देश्य
विश्व डाक दिवस का मूल उद्देश्य लोगों के बीच पोस्टल सेवा के बारे में प्रचार प्रसार करना है और उसके महत्व को विस्तृत करना है. साथ ही लोगों के जीवन और राष्ट्र के सामाजिक और आर्थिक विकास में इसके योगदान के बारे में बताना है.
विश्व डाक दिवस : इतिहास
मिस्र में 255 ईसा पूर्व का समय था जब पहली बार पोस्टल सेवा और उसके प्रमाण के बारे में जाना गया. 17 वीं और 18 वीं शताब्दी के दौरान, देशों के मध्य द्विपक्षीय समझौतों और मेल के आदान प्रदान को नियंत्रित करने के सन्दर्भ में पोस्टल समझौतों का इस्तेमाल किया गया था. 19 वीं सदी तक द्विपक्षीय समझौतों का नेटवर्क काफी हद तक जटिल बना रहा, और इसने देशों के मध्य व्यापार और वाणिज्य को नकारात्मक ढंग से प्रभावित किया. अब जरूरत है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे सुव्यवस्थित और सरल बनाने के लिए प्रयास उठे.
31 अक्टूबर को ही राष्ट्रीय एकता दिवस क्यों मनाया जाता है?
1840 के दौरान, इंग्लैंड में, सर रोलैंड हिल ने इस संदर्भ में एक प्रणाली की शुरुआत की जिसके माध्यम से पत्रों के पोस्ट किये जाने की शुरुआत की गयी और उस पर शुल्क लिया गया. इसी तरह घरेलू स्तर पर किये जाने वाले सभी पत्रों पर दूरी के आधार पर शुल्क लिए जाने लगे. साथ ही शुल्क को निर्धारित करने के लिए वजन को भी एक मानक बनाया गया. उसने सर्वप्रथम दुनिया के पहले डाक टिकट की भी शुरुआत की.
वर्ष 1863 के दौरान, संयुक्त राज्य अमेरिका के पोस्टमास्टर जनरल मोंटगोमरी ब्लेयर नें पेरिस में एक सम्मेलन का आयोजन किया. इस सम्मलेन में 15 यूरोपीय और अमेरिकी देशों के प्रतिनिधियों नें भाग लिया और पोस्टल सेवा से जुड़े कई सारे अहम् मुद्दों पर आपसी विचार-विमर्श किया, साथ कई सारे अहम मुद्दों को सुलझाया गया. लेकीन दुर्भाग्यवश इस सम्मलेन में किये गए सारे वायदे नाकाम रहे और सम्मलेन के वास्तविक उद्देश्य को असफलता हाथ लगी. साथ ही पोस्टल समझौतों के सन्दर्भ में इन देशो को निराशा का सामना करना पड़ा.
बर्न(1874) में, हेनरिक वॉन स्टेपहान जोकि उत्तर जर्मन परिसंघ के एक वरिष्ठ डाक अधिकारी थे ने एक अंतरराष्ट्रीय डाक यूनियन के लिए एक योजना तैयार की. उनके सुझाव के आधार पर, स्विस सरकार ने 15 सितंबर 1874 को बर्न में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें 22 राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था.
उसी वर्ष 9 अक्तूबर को विश्व डाक दिवस की शुरुआत की गयी. वर्ष 1878 में, इसका नाम यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन कर दिया गया.
बर्न की संधि, 1874 में हस्ताक्षरित की गयी. इस संधि ने पत्रों के आदान प्रदान के लिए एक एकल पोस्टल क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय डाक सेवाओं और नियमों को व्यवस्थित करने में सफलता प्राप्त की.
विश्व डाक दिवस समारोह
इस दिवस के आयोजन में विविध देशों से प्रतिनिधि भाग लेते हैं. इस आयोजन में अन्तराष्ट्रीय स्तर पर लोगों को जागरूक करने और इसकी महत्ता के बारे में बताने के लिए विविध कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन किया जाता है. प्रति वर्ष 150 से अधिक राष्ट्रों द्वारा विभिन्न तरीकों से विश्व डाक दिवस मनाया जाता है. यद्यपि कई देशों में इस दिन को एक छुट्टी के रूप में मनाया जाता है. कुछ देशों में इस दिन नए डाक उत्पादों और सेवाओं को प्रस्तुत किया जाता है. यहां तक कि इस दिवस के अवसर पर पोस्ट विभाग में कार्यरत कुछ पदों और कर्मचारिओं को उनके उत्कृष्ट सेवाओं के लिए इनाम दिया जाता है.
नए टिकटों की शुरूआत के साथ डाक टिकटों पर प्रदर्शनियों का आयोजन भी किया जाता है. इस दिवस को डाक घरों और अन्य सार्वजनिक जगहों पर पोस्टरों को लगाया जाता है और इस दिवस की महत्ता के बारे में लोगों को बताया जाता है. साथ ही सम्मेलनों, सेमिनारों और कार्यशालाओं और सांस्कृतिक एवं मनोरंजक कार्यक्रमों को भी इस दिन आयोजित किया जाता हैं. टी शर्ट और बैज की तरह विशेष स्मृति चिन्ह कुछ डाकघरों में भी जारी किए जाते हैं.
विश्व डाक दिवस का लोगो
विश्व डाक दिवस के लोगो में दो घटक, एक ग्राफिक और अक्षरों को दर्शाया गया है. ग्राफिक, में दो लोग कोई वस्तु एक-दुसरे को हस्तांतरित कर रहे हैं जोकि एक पत्र भी हो सकता है, पार्सल भी हो सकता है और पोस्टल सामान भी हो सकता है. ग्राफिक में जो लोग दिख रहे है वे ऐसे लग रहे जैसे की किसी किनारे पर कूद रहे हों. इस गतिविधि से यही लगता है की कोई हस्तांतरण केवल कुछ लोगो के बीच ही नही बल्कि सीमा के उस पार भी होनी चाहिए. इस लोगो में नीला रंग आकाश को इंगित करता है और हरा रंग पृथ्वी को इंगित करता है.
5 सितंबर को ही क्यों शिक्षक दिवस मनाया जाता है