विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2020: भारतीय रैंक, पैरामीटर और रैंक गिरने के कारण

मीडिया को भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है. यह माना जाता है कि जब भी एक लोकतांत्रिक सरकार निरंकुश होने लगती है, भाई-भतीजावाद चरम पर होता है और सामान्य नागरिकों की आवाज, सरकार तक नहीं पहुँच पाती है तो मीडिया नागरिकों और लोकतान्त्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए सामने आता है.
लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह देखा गया है कि सरकार ने प्रायोजित सामग्री (sponsored content) दिखाने के लिए मीडिया हाउस पर दबाव डाला है और किसी को भी सरकार की आलोचना करने की अनुमति नहीं है और सरकार की आलोचना को ही देश की आलोचना मान लिया गया है. शायद यही एकमात्र कारण है कि विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2020 में भारतीय रैंकिंग 180 में से 142 वें पायदान खिसक गई है.
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक के बारे में (About World Press Freedom Index)
यह स्वतंत्रता सूचकांक 2002 के बाद से रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RWB) द्वारा प्रकाशित किया जाता है. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RWB) एक पेरिस स्थित स्वतंत्र एनजीओ है, जिसकी; यूनेस्को, संयुक्त राष्ट्र, यूरोप काउंसिल और फ्रैंकोफोनी के अंतर्राष्ट्रीय संगठन के साथ परामर्शात्मक स्थिति (consultative status) है. वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स, दुनिया भर में प्रेस की स्वतंत्रता के दमन पर आधारित होता है.
दुनिया भर के विशेषज्ञों द्वारा पूरी की गई 20 भाषाओं में प्रश्नावली के आधार पर वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम सूचकांक तैयार किया जाता है. इस प्रश्नावली में ‘मूल्यांकन पीरियड’ के दौरान पत्रकारों, मीडिया हाउसों के खिलाफ हिंसा और अत्याचारों से संबंधित मात्रात्मक डेटा होता है. प्रतिभागी देशों की रैंकिंग कुछ मापदंडों/मात्रात्मक डेटा के आधार पर की जाती है.
प्रेस की स्वतंत्रता तय करने के मापदंडों में शामिल हैं (The parameters to decide the Press freedom)
1. मीडिया की स्वतंत्रता
2. बहुलताबाद
3. मीडिया के लिए माहौल और स्व-सेंसरशिप
4. विधायी ढांचा
5. समाचार में पारदर्शिता
6. समाचार और सूचना के उत्पादन के लिए बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2020 के मुख्य बिंदु (Key points of World Press Freedom Index 2020)
1. कुल 180 देशों का मूल्यांकन किया गया.
2. नॉर्वे लगातार चौथे वर्ष में शीर्ष स्थान पर है जबकि फिनलैंड दूसरे और तीसरे स्थान पर डेनमार्क है.
3. उत्तर कोरिया 180 वें स्थान पर अर्थात सबसे नीचे है.
4. भारत 142 वें स्थान पर है जो पिछले साल की तुलना में दो रैंक नीचे है.
5. दक्षिण एशियाई देशों ने इस सूचकांक में बहुत खराब प्रदर्शन किया है. चीन 177 वें स्थान पर रहा, पाकिस्तान 145वें स्थान पर और बांग्लादेश 151वें स्थान पर रहा है.
6. शीर्ष छह स्थानों पर यूरोपीय देशों का कब्जा है.
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2020 में भारतीय रैंकिंग क्यों गिर गई (Why Indian ranking fallen in the World Press Freedom Index 2020)
1. हिंदुत्व के समर्थक अनुयायियों द्वारा सोशल मीडिया पर पत्रकारों के खिलाफ घृणा फैलाने वाले अभियान.
2. सरकार की हिंदू विचारधारा का समर्थन करने के लिए मीडिया घरानों और पत्रकारों पर भारी दबाव. इसने मीडिया की स्वतंत्रता को दबा दिया.
3. लगातार प्रेस की स्वतंत्रता के उल्लंघन. इसका मतलब है कि मीडिया को वह सच कहने की आजादी नहीं है जो वह कहना चाहता है.
4. सरकार की विचारधारा को आगे नहीं बढ़ाने पर पत्रकारों पर हमले और धमकियाँ पत्रकारों के खिलाफ हिंसा का प्रयोग भी हुआ है. कुछ मामलों में मीडिया हाउस के मालिक की राजनीतिक रूप से प्रेरित गिरफ्तारी भी हुई है.
5. भारत में 2018 में 6 पत्रकारों की हत्याएं हुईं थीं, जबकि साल 2019 में यह गिनती शून्य है जो कि एक अच्छा संकेत है. लेकिन कई पत्रकारों ने शिकायत की है कि उन्हें हिंदुत्व समर्थकों और स्थानीय राजनीतिक नेताओं से कई धमकी भरे फोन आ रहे हैं कि वे सरकार की आलोचना क्यों कर रहे हैं?
तो यह था वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2020 का अवलोकन. हमने इंडेक्स के मापदंडों, एशियाई देशों के रैंक और स्वतंत्रता सूचकांक में भारतीय रैंकिंग के गिरने के कारणों पर चर्चा की है. यह लेख संघ लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा के लिए बहुत जरूरी है.
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